केजीएमयू-लविवि के संयुक्त शोध का परिणाम, ध्यान करने से होते हैं शरीर की आंतरिक क्रियाओं में परिवर्तन लखनऊ। कहते हैं कि जब तक सांस है तब तक आस है और यही सांस लेने में अगर कष्ट हो तो क्या आशा और कैसी आशा, साथ ही इसका अनुभव अत्यन्त पीड़ादायक होता …
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