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भ्रांतियों का मकड़जाल : अस्थमा को जानकर भी जानते नहीं, डॉक्टर की सलाह को मानते नहीं

-सबसे ज्यादा और जल्दी असर करता है इन्हेलर, लेकिन इस्तेमाल सिर्फ 9 फीसदी रोगी ही करते हैं

-विश्व अस्थमा दिवस पर विशेषज्ञों ने कहा, अस्थमा रोगी भी जी सकते हैं खुशहाल जिन्दगी

डॉ बीपी सिंह एवं डॉ एके सिंह

सेहत टाइम्स

लखनऊ। अस्थमा के प्रति भ्रांतियों का हाल यह है कि भारत में अस्थमा रोगियों में सिर्फ 23 प्रतिशत रोगी अपनी बीमारी को अस्थमा नाम से पुकारते हैं, बाकी 77 प्रतिशत रोगी इसे खांसी और जुकाम कहते हैं। यही नहीं डॉक्टर की सलाह के बावजूद सिर्फ 9 प्रतिशत रोगी इन्हेलर का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि इन्हेलर को लेकर भी लोग अनेक भ्रांतियों के शिकार हैं, लोग समझते हैं कि यह आखिरी दवा है जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं है, इन्हेलर एक बहुत अच्छी और ज्यादा सुरक्षित एवं असरदार दवा है।

यह जानकारी विश्व अस्थमा दिवस के मौके पर सिप्ला द्वारा 6 मई को यहां गोमती नगर स्थित एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में लखनऊ के श्वसन क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ बीपी सिंह एवं पल्मोनरी विशेषज्ञ डॉ एके सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि अस्थमा के कारण दुनिया में होने वाली 42 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं इसलिए इस साल की थीम इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए जाने की आवश्यकता पर जोर दे रही है।

डॉ बीपी सिंह ने कहा कि अस्थमा के प्रति संवेदनशीलता बढ़ने वाले कारणों जैसे धूल, धुआं, ठंडी हवा से बचने के बारे जानकारी तो लोगों में बढ़ी है लेकिन इन्हेलर उनके लिए ज्यादा फायदेमंद हैं, इसको ज्यादातर लोग समझ नहीं पाते हैं। उन्होंने कहा कि जब रोगी इनहेलर से दवा लेता है तो कम मात्रा में दवा सीधे फेफड़ों में पहुंचती है और अपना कार्य करती है जिससे तुरंत लाभ होता है जबकि वही दवा अगर टैबलेट के रूप में सेवन की जाती है तो उसको फेफड़ों तक पहुंचने में समय लगता है। उन्होंने कहा कि इसलिए हम जागरूकता बढ़ाकर न केवल मरीजों को बल्कि पूरे समुदाय को समय पर निदान और इसके प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, जिससे अस्थमा के मरीजों को स्वास्थ्य के बेहतर परिणाम मिल सकें।

डॉ एके सिंह ने कहा कि अस्थमा प्रबंधन का उद्देश्य इसके लक्षणों को नियंत्रित करना है जिससे अस्थमा का दौरा न पड़े और जीवन की गुणवत्ता बढ़ सके, इसके लिए मेंटेनेंस और रिलीवर थेरेपी की मदद ली जाती है। इसमें इनहेलेशन थेरेपी काफी कारगर है जो कि जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ा देती है। उन्होंने बताया कि कुछ मरीज जैसे बच्चे और वृद्ध जो तेजी से इन्हेल नहीं कर पाते हैं, उनके लिए नेबुलाइजर ट्रीटमेंट व्यावहारिक समाधान उपलब्ध कराता है, जो खासकर उस समय काफी उपयोगी सिद्ध होता है जब अस्थमा बिगड़ता है।

पत्रकार वार्ता की आयोजक सिप्ला कंपनी की ओर से बताया गया कि सिप्ला का ब्रीदफ्री अभियान अस्थमा के मरीजों को जांच, काउंसलिंग और इलाज के अनुपालन के क्षेत्र में विस्तृत सपोर्ट के संसाधन उपलब्ध करने में मुख्य भूमिका निभा रहा है।

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