Saturday , October 5 2024

समाज की मूल्यवान धरोहर हैं बुजुर्ग

-विश्व वृद्ध दिवस (1 अक्टूबर) पर प्रो डॉ राजेंद्र राजपूत की कलम से विशेष लेख

प्रो डॉ राजेंद्र राजपूत

विश्व वृद्ध दिवस, जो हर साल 1 अक्टूबर को मनाया जाता है, बुजुर्गों के प्रति सम्मान, सेवा और समर्थन का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन हमें बुजुर्गों की सेवा करने, उनकी जरूरतों को समझने और उनके अधिकारों की रक्षा करने की याद दिलाता है। बुजुर्ग हमारे समाज की धरोहर हैं। उनका अनुभव, ज्ञान और विवेक हमारे लिए बहुत मूल्यवान हैं। वे हमें जीवन के मूल्यों, संस्कृति, परंपराओं और इतिहास के बारे में सिखाते हैं। उनकी कहानियाँ और अनुभव हमें जीवन के हर पहलू में मदद करते हैं।

बुजुर्गों की चुनौतियाँ-

बुजुर्गों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:

  1. अकेलापन और उदासीनता
  2. आयुवाद और भेदभाव
  3. स्वास्थ्य सेवाओं की कमी
  4. आर्थिक असुरक्षा
  5. स्वतंत्रता की कमी

बुजुर्गों को स्वस्थ रखने के उपाय-

  1. नियमित स्वास्थ्य जांच
  2. शारीरिक गतिविधियों में भाग लेना
  3. सामाजिक भागीदारी और समुदाय में शामिल होना
  4. जीवन भर सीखना और कौशल विकास
  5. स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच

बुजुर्गों को सशक्त बनाने के लिए हमें-

  1. बुजुर्गों से भेदभाव के खिलाफ लड़ना होगा।
  2. बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा करनी होगी।
  3. स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक सेवाओं तक उनकी पहुंच बढ़ानी होगी।
  4. बुजुर्गों की सेवा और समर्थन करना होगा।
  5. बुजुर्गों की उपलब्धियों और योगदान का जश्न मनाना होगा।

विश्व वृद्ध दिवस पर हमें बुजुर्गों की सेवा करने, उनकी जरूरतों को समझने, उनके अधिकारों की रक्षा करने की और निम्न गतिविधियों में शामिल होने की आवश्यकता है-

  1. बुजुर्गों की सेवा करना।
  2. बुजुर्गों की जरूरतों को समझना।
  3. बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा करना।
  4. बुजुर्गों की उपलब्धियों और योगदान का जश्न मनाना।
  5. बुजुर्गों के लिए स्वस्थ आयु को बढ़ावा देना।

होम्योपैथी: एक सुरक्षित और प्रभावी उपचार

बुजुर्गों के रोगों का उपचार एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि उनकी उम्र के साथ कई शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं। होम्योपैथी एक प्राकृतिक और सुरक्षित उपचार पद्धति है जो बुजुर्गों के रोगों के उपचार में बहुत प्रभावी हो सकती है। होम्योपैथी एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है जो शरीर की स्वयं की उपचार क्षमता को बढ़ावा देती है। यह पद्धति जर्मन चिकित्सक सैमुअल हैनिमैन द्वारा विकसित की गई थी। होम्योपैथी में दवाएं प्राकृतिक स्रोतों से बनाई जाती हैं और इनका उपयोग शरीर के विभिन्न रोगों के उपचार के लिए किया जाता है।

बुजुर्गों के रोग और होम्योपैथी

बुजुर्गों के रोगों में होम्योपैथी बहुत प्रभावी हो सकती है, खासकर:

  1. मधुमेह
  2. उच्च रक्तचाप
  3. हृदय रोग
  4. आर्थराइटिस
  5. अल्जाइमर रोग
  6. पार्किंसंस रोग
  7. डिप्रेशन
  8. अनिद्रा
  9. पाचन संबंधी समस्याओं
  10. मूत्र रोग आदि में सफल उपचार किया जा सकता है।
    होम्योपैथिक दवाएं: जो योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श के बाद उपयोग की जायें।
  11. आर्निका मोंटाना 2. बेलाडोना 3. कैल्केरिया कार्बोनिका 4. लाइकोपोडियम 5. पल्सेटिला 6. नैट्रम म्यूरियेटिकम 7. सेपिया 8. थूजा 9. कार्बो वेज 10. सल्फर

होम्योपैथी के फायदे:

  1. सुरक्षित और प्राकृतिक।
  2. दीर्घकालिक उपचार।
  3. कम दुष्प्रभाव।
  4. आर्थिक रूप से सस्ता।
  5. बुजुर्गों के लिए उपयुक्त।

होम्योपैथी बुजुर्गों के रोगों के उपचार में एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प हो सकती है। इसके लिए किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव की संभावना बहुत कम होती है, और यह आर्थिक रूप से भी सस्ता होता है। इसलिए, बुजुर्गों के रोगों के उपचार के लिए होम्योपैथी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

(प्रो डॉ राजेंद्र राजपूत, राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, गाज़ीपुर में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत हैं)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.