हिंद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने आयोजित की अपनी तरह की विशेष कार्यशाला
ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े पैरामेडिकल स्टाफ को दिया प्रशिक्षण

लखनऊ। हिन्द इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज सफेदाबाद में आज प्रसूति और नवजात विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला की विशेषता यह थी कि इसमें जटिल प्रसव के दौरान आने वाले जोखिमों से किस तरह से निपटना है, इसके बारे में मुख्य रूप से पैरामेडिकल स्टाफ विशेषकर ग्रामीण अस्पतालों के पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण अच्छी तरह समझ में आ सके इसके लिए इसका लाइव प्रदर्शन किया गया गर्भवती माता जैसे पुतले से प्रसव कर शिशु को निकालने के बारे में ऐसा चित्रण किया गया जो सजीव जान पड़ रहा था।

इस कार्यशाला के भाग लेने वाले मुख्य पैनेलिस्टोंम में डॉ एपी द्विवेदी, डॉक्टर एमपी सिंह, डॉ आर आहूजा, डॉ उत्कर्ष बंसल, डॉ रचना जिंदल के साथ ही मेलबोर्न ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वॉविद्यालय के डॉ अतुल मल्होत्रा और डॉ अरुनाज़ कुमार व उनकी टीम शामिल रही। कार्यशाला के दौरान पैनलिस्ट में शामिल विशेषज्ञों ने बच्चे के जन्म संबंधी जटिलताओं से निपटने के तरीकों को सरल शब्दों में समझाया डॉक्टर ए के द्विवेदी ने माता और बच्चे दोनों में गंभीर जटिलताओं की रोकथाम पर जानकारी दी जबकि डॉक्टर आहूजा ने बच्चों के जन्म संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए आधुनिक तकनीक के साथ किस तरह कार्य किया जाए इसके बारे में बताया। डॉ मल्होत्रा और डॉक्टर कुमार ने अपने पायलट प्रोजेक्ट वन-सिम वर्कशॉप के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इससे किस प्रकार से मातृ एवं शिशु मृत्युव दर को कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भारत में शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर को कम करना है। उन्हों ने बताया कि यह प्रोजेक्टा प्रसव के दौरान की जटिलताओं को समझने में मदद करता है जैसे प्रसव के समय भारी मात्रा में रक्तस्राव होना, गर्भाशय को नुकसान होना, गर्भवती माता को अस्थमा होने की स्थिति में किस प्रकार निपटा जाए, इसके बारे में बताया गया क्योंकि इन सब दिक्कतों की वजह से नवजात शिशु की मृत्यु हो सकती है, मस्तिष्क क्षति हो सकती है।

डॉक्टर कुमार ने प्रसव के बाद होने वाले रक्तमस्राव के कारण मातृ मृत्यु दर पर प्रकाश डालते हुए बताया कि विकसित देश ऑस्ट्रेलिया और भारत में यह दर इतनी कम क्योंत है। डॉक्टर उत्कर्ष बंसल ने प्रसव के बाद के पहले गोल्डन मिनट के बारे में बताया। संस्थान द्वारा आयोजित किया गया यह अपनी तरह का पहला प्रोग्राम था जिसमें पुतलों के जरिए प्रसव को बिना जटिलता के सुरक्षित प्रसव के बारे में बताया गया।
इससे पूर्व कार्यशाला का उद्घाटन इंस्टीट्यूट की अध्यक्ष डॉ ऋचा मिश्रा, डॉक्टर ए के सचान और प्रिंसिपल डॉ जेवी सिंह ने किया। इस कार्यशाला में ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 70 पैरामेडिकल स्टाफ ने भाग लिया इसके अतिरिक्त हिंद इंस्टी ट्यूट के छात्र-छात्राओं ने भी हिस्सा लिया। कार्यशाला में शामिल होने वाले लोगों में डॉक्टर अंजाना, डॉक्टर सोनिया, डॉ ऋचा, डॉक्टर सिराज, डॉक्टर एकांश, डॉ नरेंद्र, डॉक्टर प्रगति, डॉ फातिमा, डॉ खुशबू, डॉ आदित्य, डॉ अमित, डॉ अभिषेक, डॉ वीएस निगम के साथ ही सचिन, प्रणव, प्रियंका, प्रतिभा, रूपाली, आंचल, साक्षी, सुरुचि, शुभम, श्रेया, सोनल सहित अनेक इंटर्न शामिल रहे।

Sehat Times | सेहत टाइम्स Health news and updates | Sehat Times