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बच्चों को क्रॉनिक किडनी डिजीज की चपेट में आने से बचाने के लिए व्यापक रणनीति बनायें : योगी आदित्यनाथ

-एसजीपीजीआई में इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के 54वें वार्षिक अधिवेशन में शामिल हुए मुख्यमंत्री

सेहत टाइम्स

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) का मुकाबला संतुलित और संयमित जीवन से कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज छोटे बच्चे भी क्रोनिक किडनी डिजीज की चपेट में हैं, जिनको बचाने के लिए व्यापक रणनीति बनाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने दो साल में उत्तर प्रदेश में इंसेफ्लाइटिस बीमारी को खत्म करके एक उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया है।

मुख्यमंत्री ने यह बात संजय गांधी पीजीआई में इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के 18 से 21 दिसम्बर को आयोजित चार दिवसीय 54वें वार्षिक अधिवेशन में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर अपने सम्बोधन में कही। उन्होंने कहा कि एसजीपीजीआई अपनी स्थापना के समय से ही मानवता की सेवा कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों में प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र उपेक्षित था। अस्पतालों को धन की कमी से जूझना पड़ता था। हॉस्पिटल गंदगी और अव्यवस्था का पर्याय बन गए थे। 2017 के बाद हमने एसजीपीजीआई समेत प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल को धन की कमी नहीं होने दी है। उत्तर प्रदेश में 1947 से लेकर 2017 तक केवल 17 मेडिकल कॉलेज थे लेकिन अब प्रदेश में 80 मेडिकल कॉलेज 25 करोड़ नागरिकों की सेवा कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना काल में एसजीपीजीआई समेत सरकारी अस्पतालों की उत्कृष्ट सेवा को याद करते हुए कहा कि हमने संकट की घड़ी में कुशलता से काम किया था। उस समय तकनीक को चिकित्सा सेवा से जोड़ते हुए टेलीमेडिसिन का सहारा लेकर कोरोना मरीजों को इलाज उपलब्ध कराया गया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने अकेले एक वर्ष में प्रदेश के नागरिकों के इलाज के लिए 1300 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये। आज आयुष्मान भारत के अंतर्गत साढ़े 5 करोड़ गोल्डेन कार्ड बन चुके हैं। आयुष्मान कार्ड के तहत किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध करवाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश अब बीमारू राज्य नहीं है। हमारे पास अस्पतालों को वित्तीय सहायता करने के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है। पहले वन डिस्ट्रिक्ट वन माफिया था अब वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज है। हमने हर जिले के सरकारी अस्पताल में डायलिसिस की व्यवस्था की है। हम नागरिकों की सेहत से समझौता नहीं करने वाले हैं। हमारी सरकार मिलावटखोरों के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाती रहती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार 34 जनपदों में नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा दे रही है। हम खेती में उर्वरक के प्रयोग को कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वांचल में 2017 से पहले इंसेप्लाइटिस से हजारों बच्चों की मौत हो जाती थी लेकिन हमने 2017 में सरकार बनने के बाद 2 साल में इस बीमारी को खत्म कर दिया।

ज्ञात हो एसजीपीजीआई में इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के 54वें वार्षिक अधिवेशन का गुरुवार को भव्य शुभारंभ हुआ। 18 से 21 दिसंबर तक चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला ISNCON-2025 में किडनी रोगों के आधुनिक उपचार, अनुसंधान और तकनीकी नवाचारों पर व्यापक विमर्श किया जा रहा है। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, स्वास्थ्य राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह तथा एसजीपीजीआई के निदेशक प्रोफेसर राधाकृष्ण धीमन भी मंच पर उपस्थित रहे। कार्यशाला के आयोजन सचिव प्रो नारायण प्रसाद ने बताया कि इस कार्यशाला में यूरोप, अमेरिका, नेपाल, बांग्लादेश से भी विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब उत्तर प्रदेश में डायलिसिस की सुविधा नहीं हुआ करती थी उस समय, मुख्यमंत्री ने जो गुरु गोरखनाथ हॉस्पिटल स्थापित किया था, उसमें डायलिसिस की सुविधा थी।

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि बीमारियों के उपचार के लिए तो हमारे यहां बहुत कॉन्फ्रेंस होती हैं, लेकिन हम बीमार न पड़ें, इसके लिए कोई कॉन्फ्रेंस नहीं होती है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर कॉन्फ्रेंस में आधे घंटेे का एक सत्र जरूर रखा जाना चाहिये। समारोह में राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने भी विचार प्रकट किये। संस्थान के निदेशक प्रो राधा कृष्ण धीमन ने यहां के नेफ्रोलॉजी विभाग के बारे में जानकारी दी साथ ही बताया कि हमारे यहां इमरजेंसी मेडिसिन एंड रीनल ट्रांसप्लांट सेंटर चल रहा है, इस भवन का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 8 जनवरी, 2022 को ​किया गया था।

 

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