-पैदायशी पेशाब टपकने की समस्या से थी ग्रस्त, जन्म से नहीं था मलद्वार, 2017 में हो चुकी है मलद्वार बनाने की सर्जरी
-पीडियाट्रिक सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो जेडी रावत के नेतृत्व में हुई जटिल सर्जरी
सेहत टाइम्स
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में सात वर्षीया बालिका की पूर्ण लैप्रोस्कोपिक नेफ्रोयूरेटरेक्टॉमी सफलतापूर्वक की गयी है। इस सर्जरी में बायीं ओर का गुर्दा और मूत्र नली को शल्य क्रिया से हटाया जाता है, तथा दूसरी मूत्र नली बना दी जाती है। इस बच्ची की 2017 में भी केजीएमयू में सर्जरी कर मलद्वार बनाया गया था।
सर्जरी का नेतृत्व करने वाले विभागाध्यक्ष डॉ जेडी रावत ने बताया कि बाराबंकी निवासी पी मिश्रा की सात वर्षीया पुत्री के जन्म से ही मलद्वार नहीं था, ऐसी स्थिति में मल बच्चेदानी के रास्ते से पास हो रहा था। इस समस्या के समाधान के लिए डॉ जेडी रावत द्वारा ऑपरेशन वर्ष 2017 में किया गया था, उन्होंने बताया कि साथ में जन्म से ही बच्ची को लगातार मूत्र टपकने की शिकायत थी। उन्होंने बताया कि अल्ट्रासाउंड और न्यूक्लियर स्कैन में बाईं ओर का गुर्दा अत्यंत छोटा और कार्य नहीं कर पाने वाला पाया गया, जबकि दायां गुर्दा सामान्य था। यही नहीं बच्ची को लम्बे समय से उच्च रक्तचाप (Blood presure) था, जो औषधियों से नियंत्रित नहीं हो रहा था। डॉ रावत ने बताया कि बच्ची का आपरेशन करने की योजना बनायी गयी।

उन्होंने बताया कि दो दिन पूर्व 28 जुलाई को दूरबीन विधि से बाईं ओर की नेफ्रोयूरेटरेक्टॉमी (गुर्दा व मूत्रनली को हटाने की शल्यक्रिया) की गई। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के दौरान यह पाया गया कि बायां गुर्दा अत्यंत छोटा था और मूत्रनली फूली हुई (डायलेटेड) थी। मूत्रनली का अंतिम छोर असामान्य रूप से योनि में खुल रहा था। इस स्थिति को देखते हुए पूर्ण लैप्रोस्कोपिक नेफ्रोयूरेटरेक्टॉमी की गई। शल्यक्रिया सफलतापूर्वक पूर्ण हुई, और बच्ची की शल्योपरांत स्थिति अच्छी रही।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में उसे कोई भी शिकायत नहीं है। शल्य दल में प्रो. जे. डी. रावत, डॉ. राहुल कुमार राय एवं डॉ. मनीष राजपूत सम्मिलित थे। एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. नील कमल द्वारा किया गया, जिनके साथ सिस्टर सुधा ने सहयोग प्रदान किया।

