लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में की गयी सरकारी वकीलों की नियुक्तियों पर सवाल खड़े हो गये हैं। बताया जा रहा है कि 201 सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्तियों में चहेतों को रेवडिय़ां बांटी गयी हैं। दरअसल इस सूची पर सवाल उठने की दो वजहें हैं पहली तो चहेतों को मनमाने तरीके से नियुक्तियां देना, दूसरा उनकी योग्यता की कसौटी पर खरा न उतरना है।
सूत्र बताते हैं कि 201 अधिवक्ताओं में 109 ब्राह्मïण हैं जबकि पिछड़ी जाति के 11 तथा अनुसूचित जाति का मात्र एक अधिवक्ता है। ऐसे में सत्तारूढ़ दल के ही वरिष्ठ नेता दबी जुबान से सवाल उठाते हैं कि पार्टी जहां पिछड़ों और दलितों में भी अपनी पैठ बनाने में जुटी है खासकर मोदी मैजिक के बाद पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बड़ी संख्या में इन वोटरों का भाजपा की ओर मुडऩा भी यह संकेत देता है। ऐसे में आखिर कौन सा पैमाना है जो सरकार ने इन अधिवक्ताओं की नियुक्तियों में अपनाया है। सूत्रों का कहना है कि इन नियुक्तियों में पार्टी के एक वरिष्ठï एवं अहम सदस्य की बड़ी भूमिका बतायी जा रही है।
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