लखनऊ। भारत की 20 प्रतिशत आबादी एक या अन्य प्रकार की एलर्जी से ग्रस्त है। विभिन्न प्रकार की एलर्जी के कारणों का पता लगाने के लिए त्वचा और रक्त के परीक्षण के साथ मरीज की बीमारी कब से है, इस बारे में जानना बहुत आवश्यक है। यह बात आज इराज लखनऊ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में आयोजित एक सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम में इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी अस्थमा एंड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी नार्थ जोन के अध्यक्ष व इराज लखनऊ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पल्मोनरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने कही।
इराज मेडिकल कॉलेज में सीएमई सम्पन्न
उन्होंने बताया कि विश्व एलर्जी संगठन द्वारा पूरे विश्व में एलर्जी सप्ताह (2 से 8 अप्रैल) मनाया जा रहा है। डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि एलर्जी के निदान के लिए सिर्फ रक्त की जांच पर भरोसा करना अविश्वसनीय है। उन्होंने बताया कि इराज मेडिकल कॉलेज में वह डेढ़ साल से एलर्जी क्लिनिक सफलतापूर्वक चला रहे हैं। कार्यक्रम में इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी अस्थमा एंड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी नार्थ जोन के सचिव व इराज लखनऊ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्रिंसिपल, डीन एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ एपी सिंह ने कहा कि एलर्जी रोग लगातार बढ़ रहा है इसके लिए बदलती जीवन शैली, फास्ट फूड, वायु प्रदूषण, घटती रोग प्रतिरोधक क्षमता जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा परिषद को इस पर ध्यान देना चाहिये।
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो सूर्यकांत ने कहा कि सामान्य से रूप से धारणा है कि देश में खाद्य एलर्जी सबसे ज्यादा है जबकि वास्तव में यह सिर्फ 2-3 प्रतिशत लोगों में मौजूद है। इराज मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ निखिल गुप्ता ने एलर्जी से महामारी पर चर्चा की। डॉ शितांशु श्रीवास्तव ने बच्चों में एलर्जी पर चर्चा की। इस मौके पर डॉ अनुजा भार्गव, डॉ अभिषेक अग्रवाल, डॉ सौरभ करमाकर, डॉ आनंद वर्मा के साथ ही लगभग 150 फैकल्टी, रेजीडेंट्स, छात्रों ने भी भाग लिया।