-डॉ अशअर अली ने जटिल सर्जरी कर दिलायी 22 वर्षों से चल रही तकलीफ से निजात
सेहत टाइम्स
लखनऊ। 22 वर्ष पूर्व कार दुर्घटना में जांघ एवं कूल्हे में फ्रैक्चर होने के बाद बार-बार सर्जरी के बावजूद असफल उपचार होने के चलते पीड़ा झेलते-झेलते दाहिने पैर का घुटना भी खराब हो गया। डॉ अशअर अली खान ने इस 67 वर्षीय मरीज के घुटने, कूल्हे और जांघ की हड्डी का एकसाथ ऑपरेशन कर मरीज को तकलीफ से निजात दिलायी है।
इस विषय में जानकारी देते हुए यहां इंदिरा नगर स्थित स्टेन्फोर्ड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के हड्डी एवं जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ अशअर अली खान ने बताया कि यह ऑपरेशन बीती 21 फरवरी को किया गया है, ऑपरेशन कामयाब रहा तथा मरीज अब बिल्कुल ठीक है। उन्होंने बताया कि अलीगंज के रहने वाले मरीज विनोद कुमार सिंह के जांघ एक कूल्हे की हड्डी 22 वर्ष पहले कार दुर्घटना में टूट गयी थी, इनकी हड्डी पर 22 वर्ष पहले 7 बार ऑपरेशन हो चुका था, उस समय इनकी जांघ की हड्डी जोड़ी गई एवं उसके बाद नहीं जुड़ी तो कूल्हा बदलने का ऑपरेशन हुआ। इसके बावजूद यह पूरी तरह से ठीक नहीं पाये थे। हर समय दर्द होता था एवं छड़ी के सहारे ही मुश्किल से चल पाते थे।
डॉ अशअर ने बताया कि इस मरीज में जो कृत्रिम कूल्हा लगा था वो समय के साथ एसिटाबुलन को तोड़कर हड्डी घिसते-घिसते ऊपर चला गया था। इसके अलावा जांघ की हड्डी तिरछी जुड़ गयी थी, जिसके कारण घुटना में भी घिस-घिस कर ऑर्थराइटिस (गठिया) हो गई थी। परिणाम स्वरूप दाहिना का पैर छोटा हो गया था और चलने में बहुत दर्द होता था। डॉ अशअर ने इन सारी समस्याओं को एक साथ निपटाने की चुनौती स्वीकार की। इसके लिए कृत्रिम इम्प्लांट मुम्बई से मंगवाया गया और एक ही बार में घुटना, कूल्हा एवं जांघ की टेढ़ी हड्डी का ऑपरेशन कर दिया। यह आपरेशन कुल 7 घण्टे चला एवं पूर्णतः सफल रहा। इस आपरेशन के दौरान एनेस्थीसिया विशेषज्ञ, डॉ पीपी सिंह, सहायक विष्णु, मनोज, अंकुर, अविनाश जलोटा आदि ने डॉ अशअर का साथ दिया।
इस तरह की गयी सर्जरी
सर्जरी के बारे में जानकारी देते हुए डा0 अशअर ने बताया कि सबसे पहले घुटना प्रत्यारोपण किया ताकि घुटने से बोन ग्राफ्ट (हड्डी के टुकड़े) मिल जायें। फिर पुराने कूल्हे के कृत्रिम जोड़ को बाहर निकाला गया। उसके बाद डैमेज हड्डी को बोन ग्राफ्ट एवं स्क्रू से रिपेयर से करके सही स्थान पर कूल्हे का साकेट बनाया फिर जांघ की टेढ़ी हड्डी को काटकर सीधा किया, फिर ‘‘नॉन सीमेंटेड, डिस्टल लोडिंग लॉन्ग स्टेम’’ लगाकर जांघ की हड्डी को सीधा करके रिवीजन कूल्हा प्रत्यारोपण कर दिया गया। डॉ अशअर ने बताया कि यह मरीज कुछ ही हफ्तों में अपने पैर पर चलने लगेगा।
इस बारे में मरीज विनोद कुमार सिंह का कहना है कि वह अब पहले से बहुत अच्छा महसूस कर रहें हैं, अब जो दर्द पिछले 22 साल से लेटे-बैठे भी रहता था, वह अब समाप्त हो चुका है और उम्मीद हो चली है कि बिलकुल ठीक हो जायेंगे। मरीज के परिजन भी बहुत संतुष्ट दिखे, सब ने इस ऑपरेशन की बहुत प्रशंसा की। इस तरह के जटिल आपरेशन की सफलता पूरे उ0प्र0 के लिए गौरव की बात है।
डॉ अशअर इससे पहले भी बहुत सारे जटिल आपरेशन कर चुके हैं। हजारों सफल जोड़-प्रत्यारोपण कर चुके डॉ अशअर अली ने अनेकों कीर्तिमान बनायें हैं।
प्रदेश का पहला कंधा प्रत्यारोपण।
प्रदेश का पहला कोहनी प्रत्यारोपण।
प्रदेश में एक साथ दोनों घुटनों का पहला प्रत्यारोपण।
पूर्वांचल का पहला जांघ की हड्डी के साथ घुटना प्रत्यारोपण।
पूर्वांचल का पहला रिवीजन घुटना प्रत्यारोपण।
पूर्वांचल का पहला रिवीजन कूल्हा प्रत्यारोपण।
पूर्वांचल का पहला असिस्ट टू पाड टेक्निक से घुटना प्रत्यारोपण।
पूर्वांचल का पहला ‘‘एटयून प्रोस्थेसिस’ घुटना प्रत्यारोपण।
पूर्वांचल का पहला ‘‘नॉन सीमेंटेड’’ कूल्हा प्रत्यारोपण।