-लखनऊ जनपद की टीबी फोरम की बैठक में दिये गये कई सुझाव
सेहत टाइम्स
लखनऊ। सलाह नम्बर 1 – बहुमंजिली इमारतों (फ्लैट) वाले परिसरों में वहां के घरों में घरेलू काम करने वाले वर्कर्स (मेड) के बीच स्क्रीनिंग सहित टीबी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जायें तो इससे टीबी के प्रति जागरूकता फैलाने के साथ ही टीबी मरीज खोजने के कार्य में भी लाभकारी होगा। सलाह नम्बर 2 – टीबी खोजने के अभियान के समय जाने वाली टीम जिस घर में सर्वे कर ले, उसके बाहर स्टेंसिल से दीवार पर निशान बनाते हुए उस पर टोल फ्री नम्बर लिखा जाना चाहिये, सड़क भिक्षा मांगने वालों की टीबी जांच करायी जानी चाहिये…। ये वे सुझाव हैं जो पावर विंग फाउंडेशन की अध्यक्ष सुमन सिंह रावत और आईएमए के प्रतिनिधि के रूप में शामिल डॉ मनोज गोविला ने आज 28 नवम्बर को जनपद लखनऊ टीबी फोरम की बैठक में दिये।
टीबी फोरम की एक बैठक यहां कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में सम्पन्न हुई। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ अतुल कुमार सिंघल की अध्यक्षता में हुई बैठक में केजीएमयू, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ ही विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि, फोरम में सदस्य के रूप में शामिल पत्रकार के साथ ही कुछ मरीज और उनके परिजन भी शामिल हुए।
बैठक के प्रारम्भ में जिला क्षय रोग अधिकारी ने लखनऊ में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम की प्रगति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में बीती 23 नवम्बर से जनसहभागिता सुनिश्चित करते हुए टीबी मरीज खोजो अभियान चल रहा है, यह अभियान 5 दिसम्बर तक चलेगा। उन्होंने बताया कि शुरुआत के दो दिनों में 24,000 लोगों तक पहुंची टीमों ने लक्षणों के आधार पर 864 लोगों की जांच करायी जिनमें 34 लोगों को टीबी संक्रमण होनेे की पुष्टि हुई। डॉक्टर सिंघल ने कहा कि हम लोग जिस घर में किसी व्यक्ति का टीवी का इलाज चल रहा होता है वहां बच्चों को टीवी प्रिवेंशन थेरेपी के तहत दवा देते हैं ताकि बच्चों में संक्रमण न फैल सके। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे टीबी के लक्षण होने पर स्वयं सामने आएं, यदि उनकी जानकारी में कोई व्यक्ति टीबी जैसे लक्षणों से पीड़ित है तो उसकी जानकारी देकर इस नेक कार्य के भागीदार बनें। उन्होंने कहा सरकार टीबी का इलाज बिल्कुल मुफ्त करती है, महंगी दवाओं वाले इस कोर्स में एक दवा ऐसी है जिसकी कीमत एक मरीज पर करीब दो लाख रुपये आती है यही नहीं सरकार द्वारा पोषण युक्त भोजन के लिए प्रतिमाह 500 रुपये भी दिये जाते हैं।
बैठक में केजीएमयू के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रो अजय कुमार वर्मा ने कहा कि टीबी मुक्त होने वाले मरीजों को खुद ठीक होने की जानकारी देते हुए लोगों को जागरूक करना चाहिये।