-एसजीपीजीआई में अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त इमेजिंग वैज्ञानिक डॉ हरीश पोपटानी ने दिया व्याख्यान

सेहत टाइम्स
लखनऊ। मैग्नेटिक रेज़ोनन्स इमेजिंग (MRI) में हाल में हुई प्रगति चिकित्सा शोध को तेज़ी से नई ऊँचाइयों तक ले जा रही हैं। अब इमेजिंग केवल निदान तक सीमित नहीं रही, बल्कि सटीक और लक्षित चिकित्सा विज्ञान का सशक्त माध्यम बन चुकी है। एसजीपीजीआई में आयोजित एक हालिया शैक्षणिक कार्यक्रम में यह रेखांकित किया गया कि उन्नत एमआरआई MRI और मैग्नेटिक रेज़ोनन्स स्पेक्ट्रोस्कोपी (MRS) तकनीकें ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी), आनुवंशिक एवं मेटाबॉलिक रोगों तथा ब्रेन ट्यूमर जैसे सामाजिक रूप से प्रभावी रोगों के शोध को किस प्रकार आगे बढ़ा रही हैं।
मिली जानकारी के अनुसार व्याख्यान अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त इमेजिंग वैज्ञानिक डॉ हरीश पोपटानी, प्रोफेसर एवं चेयर, सेंटर फॉर प्रीक्लिनिकल इमेजिंग, यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल (यूके) द्वारा दिया गया। डॉ. पोपटानी संजय गांधी पीजीआई के ही नहीं, बल्कि भारत के प्रथम रेडियोलॉजी पीएचडी भी हैं। उन्होंने बताया कि फंक्शनल व मेटाबॉलिक इमेजिंग से लेकर प्रीक्लिनिकल डिज़ीज़ मॉडलिंग तक की उन्नत MRI तकनीकें मस्तिष्क विकास, ट्यूमर माइक्रोएन्वायरनमेंट और आनुवंशिक विकारों को अभूतपूर्व स्तर पर समझने में सहायक हैं—जो शीघ्र निदान, लक्षित उपचार और बेहतर रोगी परिणामों की आशा जगाती हैं।
यह आयोजन संजय गांधी पीजीआई के रेडियोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ अर्चना गुप्ता की दूरदर्शी अकादमिक सोच को भी प्रतिबिंबित करता है। उनके नेतृत्व में नवाचार, ट्रांसलेशनल रिसर्च और वैश्विक अकादमिक सहयोग को निरंतर प्रोत्साहन मिला है।

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