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मोटापा व फास्ट फूड का चलन बढ़ रहा, व्यायाम घट रहा, नतीजा है डायबिटीज

-विश्व स्वास्थ्य दिवस पर केजीएमयू के मेडिसिन विभाग में आयोजित किया गया रोगी जागरूकता कार्यक्रम

सेहत टाइम्स

लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ (केजीएमयू) के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो आतम ने कहा है कि भारत में मधुमेह के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसकी वजह बच्चों में मोटापे में वृद्धि, फास्ट फूड के बढते सेवन और नियमित व्यायाम में कमी है। उन्होंने कहा कि अगर हम अपनी जीवनशैली अच्छा प्रबन्धन कर लें तो मधुमेह की रोकथाम की जा सकती है। उन्होंने लोगों से अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की अपील की है।

प्रो आतम ने यह बात आज एसोसिएशन ऑफ फिजीशियन्स ऑफ इंडिया यूपी चैप्टर Association of Physicians of India UP Chapter के सहयोग से विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर केजीएमयू की मेडिसिन विभाग की ओपीडी में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में कही। जागरूकता कार्यक्रम में इस वर्ष का विषय “मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य में निवेश था, जिसका उद्देश्य माताओं और नवजात शिशुओं के बेहतर भविष्य के लिए निवारक देखभाल के महत्व को उजागर करना था।

कार्यक्रम के एक अन्य वक्ता प्रोफेसर कौसर उस्मान ने सुझाव दिया कि 30 वर्ष से अधिक उम्र के सभी व्यक्तियों को प्रत्येक वर्ष ब्लड प्रेशर की जाँच करानी चाहिए। उन्होंने मधुमेह के गम्भीर जटिलताओं पर चर्चा की और हर तीन महिने में HbA1c जांच कराने की सिफारिश की। इसके अतिरिक्त उन्होंने वृद्धावस्था में, विशेष रूप से महिलाओं में, ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों के कमजोर होने) के कारणों और बाहरी भोजन से जुड़ी पोषण सम्बन्धी चिन्ताओं पर प्रकाश डाला। प्रोफेसर एसी चौधरी यूपी एपीआई के सचिव ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और वयस्क टीकाकरण की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण पर भी जोर दिया।

कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर केके सावलानी ने किया, उन्होंने निम्न-सोडियम आहार और स्वास्थ्य जीवनशैली अपनाने पर बल दिया ताकि हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) जैसी हदय संबंधी बीमारियों से बचा जा सके। उन्होंने धूम्रपान और मदिरापान निषेध पर भी बल दिया। डॉ एसके सोनकर ने बिना अधिकृत स्वास्थ्य पेशेवरों की सलाह के अनियंत्रिक दवा के सेवन के खतरों के बारे में चेतावनी दी, जो गुर्दे की बीमारियों को जन्म दे सकता है।

डॉ० जितेंन्द्र सिंह ने बताया कि मोटापा कैसे सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है और मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी पुरानी बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है। उन्होंने स्वच्छ भोजन, स्वच्छ जल सेवन और नियमित व्यायाम की सलाह दी और खासकर बच्चों के फास्ट-फूड के सेवन को सीमित करने पर जोर दिया।

डॉ० अंबुज यादव ने गर्भवती महिलाओं की शीघ्र स्वास्थ्य जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने पर बल दिया ताकि मातृ एवं नवजात शिशु के स्वास्थ्य को सुनिश्चित किया जा सके। डॉ अमित कुमार ने गर्भावस्था के दौरान आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया की रोकथाम के लिए लोहे के बर्तनों में खाना पकाने की सलाह दी। डॉ० दीपक भागचंदानी ने ब्लड शुगर की स्व-निगरानी और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के महत्व पर ध्यान केन्द्रित किया।

डॉ अमित आनन्द ने गर्भवती महिलाओं में हाइपोथायरायडिज्म (थायराइड की कमी) की जल्दी पहचान और उपचार के महत्व पर जोर दिया ताकि मातृ और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। कार्यक्रम में रोगियों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखने के मिली जहां कई रोगियों ने अपने स्वास्थ्य से जुडी समस्याओं के समाधान के लिए प्रश्न पूछे। विशेषज्ञों ने इन प्रश्नों का समाधान करते हुए रोकथाम एवं जीवनशैली में सुधार से जुडी महत्वपूर्ण सलाह दी।
यह जागरूकता कार्यक्रम रोगियों और आम जनता को स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी स्वास्थ्य रणनीतियों के प्रति शिक्षित करने में सफल रहा।

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