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पूर्वोत्‍तर राज्‍यों की कला, साहित्‍य व संस्‍कृति से कराया परिचित

-राष्‍ट्रीय वेबिनार में इतिहासकारों, विचारकों, साहित्यकारों ने दी महत्‍वपूर्ण जानकारियां

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ/उन्‍नाव। इंदिरा गांधी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बांगरमऊ, उन्नाव में संपूर्ण भारत को सांस्कृतिक रूप से एक सूत्र में बांधने के उद्देश्य से चलायी जा रही भारत सरकार की “एक भारत श्रेष्ठ भारत” योजना के अंतर्गत गठित ई0बी0एस0बी0 क्लब और इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 15 जून को पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के प्रस्तावित कार्यक्रम “देखो अपना देश” से प्रेरित होकर  “पूर्वोत्तर राज्यों का साहित्य, कला और संस्कृति” विषय पर राष्ट्रीय  वेबि‍नार का आयोजन किया गया जिसके माध्यम से देश भर के विभिन्न इतिहासकारों, विचारकों, साहित्यकारों और विषय विशेषज्ञों ने पूर्वोत्तर राज्यों के विशेष संदर्भ में भारत की संस्कृति, कला और साहित्य पर अपने विचार रखें। कार्यक्रम का प्रारंभ महाविद्यालय के छात्र हर्ष कुमार के द्वारा प्रस्तुत ज्ञान की देवी मां सरस्वती की वंदना से हुई। तदोपरांत महाविद्यालय की छात्रा अनुष्का शर्मा द्वारा गाये गए और अमित सिंह के द्वारा रचित “भारत दर्शन” वीडियो प्रस्तुत किया गया।

महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर सुमन गुप्ता ने सभी प्रतिभागियों, गणमान्य अतिथियों और सभी सुधीजन का हार्दिक स्वागत किया। महाविद्यालय के “एक भारत श्रेष्ठ भारत” कार्यक्रम के नोडल अधिकारी राजीव यादव द्वारा संपूर्ण कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। राजीव गांधी विश्वविद्यालय, इटानगर, अरुणाचल प्रदेश की डॉ0 हैकिम एवलिन ने “Edible Plants of Arunachal Pradesh: A Picturesque View” पर अपने विचार रखते हुए संपूर्ण अरुणाचल प्रदेश की जीवन शैली और संस्कृति का दर्शन कराया।

लखनऊ विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्व विभाग के डॉ0 अनिल कुमार ने अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के पुरातत्व स्थलों का विस्तृत वर्णन करते हुए पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और योगदान पर अपने विचार रखे। जयंतिया ईस्टर्न कॉलेज, ख्लिहैरित, मेघालय के प्रिंसिपल डा0 परविजन ने मेघालय की खासी जनजातियों के मध्य प्रचलित त्योहारों पर अपने विचार रखते हुए मेघालय की सांस्कृतिक विरासत को सबके समक्ष रखा।

इस अवसर पर बोलते हुए डॉ0 अनिल कुमार यादव, असिस्टेंट प्रोफेसर, भारतीय आधुनिक और मध्यकालीन इतिहास विभाग, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय, प्रयागराज ने पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक विरासत को पौराणिक कथाओं, मिथकों, इतिहासवृतों के माध्यम से प्रस्तुत किया। जैंतिया ईस्टर्न कॉलेज, ख्लिहैरित, मेघालय के राजनीति शास्त्र विभाग के डॉ0 निस्वा रिमबाई ने मेघालय की खासी जनजातियों के मध्य प्रचलित मातृसत्तात्मक व्यवस्था को विस्तार से अभिव्यक्त किया। इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए प्रीति गुप्ता सीनियर सॉफ्टवेयर डेवलपर ने मेघालय की सामाजिक संरचना और विभिन्न जनजातियों की जीवन शैली को बहुत सहज और सरल तरीके से बताया।

कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ रंजना सिन्हा, डॉ साधना गुप्ता, डॉ वी0के0 मिश्रा और  राजीव यादव द्वारा किया गया। महाविद्यालय के प्राध्यापकों डॉ वी0के0 मिश्रा,डॉ0 दिग्विजय नारायण और सविता ने भी भारत की संस्कृति पर अपने विचार रखे। इस अवसर पर महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं और देश भर से 200 से अधिक प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए इसको सराहा।

इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ सदानंद राय व किरण के साथ-साथ कर्मचारी भी ऑनलाइन उपस्थित रहे। महाविद्यालय के डॉ विष्णु मिश्रा ने सभी प्रतिभागियों सम्मानित वक्ता गण और सुधीजन का ह्रदय से आभार व्यक्त किया। निःसंदेह सांस्कृतिक रूप से पूर्वोत्तर राज्यों को समझने और उनकी भौगोलिक महत्ता को जानने के उद्देश्य से आयोजित यह राष्ट्रीय वेबिनार अपने उद्देश्यों में पूर्णत: सफल रहा।