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आंदोलनरत एमपीडब्‍ल्‍यू ने प्रशिक्षण के लिए पीएम और सीएम से लगायी गुहार

-एक वर्षीय प्रशिक्षण को पूरा कराने के लिए 27 जुलाई से परिवार कल्‍याण महानिदेशालय परिसर में कर रहे हैं सत्‍याग्रह आंदोलन

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। संक्रामक बीमारियों के नियंत्रण करने वाली फ्रंटल इकाई पिछली 27 जुलाई से महानिदेशालय परिवार कल्याण परिसर में अपने प्रशिक्षण के लिए आंदोलनरत है। कोरोना काल की विभीषिका के बाद संचारी रोगों मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, टी.बी., कुष्ठ रोग, हैजा, हेपेटाइटिस बी एवं सी आदि बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर मरीजों की ट्रैकिंग करने वाले कर्मचारी जो पिछले 3 माह से महानिदेशालय परिसर में आंदोलनरत हैं, उनकी समस्या जस की तस बनी हुई है।

यह व्‍यथा बताते हुए उत्‍तर प्रदेश एमपीडब्‍ल्‍यू एसोसिएशन के संरक्षक विनीत मिश्रा ने बताया कि हम संविदा कार्मिकों को उच्च न्यायालय खंडपीठ इलाहाबाद एवं लखनऊ द्वारा कार्य पर लिए जाने एवं मानदेय दिए जाने के आदेश पारित हैं। शासन द्वारा उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन न करने के कारण उच्च न्यायालय खंडपीठ इलाहाबाद में एक अवमानना वाद भी प्रचलित है। जिसकी वजह से अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य को अपने ही विभागीय छोटे अधिकारियों को दंडित कर न्यायालय के अंतरिम आदेश के विरुद्ध विशेष अपील दायर करनी पड़ी जो उच्च न्यायालय के द्वारा खारिज की जा चुकी है।

उन्‍होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी आज लखनऊ शहर में हैं ऐसे में मीडिया के माध्‍यम से हम उनसे यह गुहार करते हैं कि प्रधानमंत्री के द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना का लाभ उत्तर प्रदेश की ग्रामीण जनता को नहीं मिल पा रहा है जिसका मूल कारण यहां की बेलगाम नौकरशाही है जिसने पिछले 32 वर्षों से इतने महत्वपूर्ण कर्मचारियों को आवश्यक 1 वर्षीय पदीय प्रशिक्षण ही नहीं दिया है। विनीत मिश्रा ने कहा कि प्रदेश के मुखिया योगी जी से भी हमारी अपील है कि हम संविदा कार्मिकों को विभागीय प्रशिक्षण दिलाकर प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना के तहत हेल्थ एंड वैलनेस उप केंद्रों पर तैनाती देने का कष्ट करें।

उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री से अपील करते हुए कहा है कि महानिदेशालय द्वारा शासन के निर्देश पर विभागीय प्रशिक्षण देने के लिए प्रस्ताव संबंधी प्रक्रिया पूर्ण कर दी गई है। जो अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के कार्यालय में विचाराधीन है। उन्‍होंने अनुरोध करते हुए कहा है कि अपर मुख्य सचिव को इस नीतिगत विषय पर निर्णय लेने के लिए आदेश देने की कृपा करें जिससे ग्रामीण जनता को संक्रामक रोगों से निजात मिल सके तथा हम लोगों के सामने मौजूद रोजी-रोटी का संकट दूर हो सके।

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