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भारत दुनिया भर में अकेला ऐसा देश, जहां अल्‍पसंख्‍यकों की संख्‍या बढ़ी

– नागरिक संशोधन अधिनियम संशय और समाधान विषय पर सेमिनार में प्रोफेसर उमा महेश ने रखे विचार
प्रो उमा महेश

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। मुझे यह कहते हुए गर्व है कि पूरी दुनिया में भारत अकेला ऐसा देश है जहां पर आजादी के बाद अल्‍पसंख्‍यकों की संख्‍या बढ़ी है, घटी नहीं।

यह बात बंगलुरू से आये बंगलुरू से आये वहां के विश्‍वविद्यालय के प्रोफेसर उमा महेश ने रविवार को बीरबल साहनी इंस्‍टीट्यूट के सभागार में संवैधानिक अधिकारों को समर्पित चेरीटेबुल ट्रस्‍ट पीपुल्‍स फोरम फॉर जस्टिस द्वारा आयोजित नागरिक संशोधन अधिनियम संशय और समाधान विषय पर आयोजित विमर्श में कही।

इस मौके पर उनके साथ मंच पर उत्‍तर प्रदेश के पूर्व महाधिवक्‍ता रहे वकील जफरयाब जिलानी, सुप्रीम कोर्ट की वकील सुबुही खान, पीपुल्‍स फोरम फॉर जस्टिस के ट्रस्‍टी डॉ गिरीश गुप्‍ता, सेमिनार के आयोजक हाईकोर्ट के वकील गिरीश सिन्‍हा तथा एडवोकेट रवि सिंह भी उपस्थित थे। नागरिक संशोधन कानून का विरोध करने के मसले पर उन्‍होंने कहा कि यह प्रस्‍ताव आज का नया नहीं है, कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने नवम्‍बर 1947 में एक प्रस्‍ताव पास कर कहा था कि कोई भी जो नॉन मुस्लिम पाकिस्‍तान से यहां भारत आना चाहता है उसे लाने को हम प्रतिबद्ध हैं। फादर ऑफ नेशन महात्‍मा गांधी ने भी 1947 में यही कहा था जो अब किया जा रहा है तो इसमें दिक्‍कत क्‍या है।

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जिस सीएए का विरोध किया जा रहा है, वह विरोध करने ज्‍यादातर लोगों ने पढ़ा ही नहीं है। संयुक्‍त संसदीय कमेटी के पास आंकड़े मौजूद हैं जो बताते हैं कि 31,313 लोग ऐसे हैं जो पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान बांग्‍लादेश से आये हैं, ये वे लोग हैं जो वहां के सताये हुए है और यहां शरणार्थी के रूप में आये हैं। उन्‍होंने कहा कि सीएए किसी की नागरिेकता ले नहीं रहा है, नागरिकता दे रहा है।