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सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार तो प्रियंका गांधी की भी सम्‍पत्ति अटैच की जानी चाहिये

– नागरिक संशोधन अधिनियम संशय और समाधान विषय पर सेमिनार में सुप्रीम कोर्ट की वकील सुबुही खान ने रखे विचार
सुबुही खान

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्‍ता सुबुही खान ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), नेशनल पॉपुलेशन रजिस्‍टर, (एनपीआर), नेशनल रजिस्‍टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) और डिटेन्‍शन सेंटर के नाम पर लोगों विशेषकर मुसलमानों को भड़काया जा रहा है, जबकि इससे यहां के मुसलमानों को कोई खतरा नहीं है। इन्‍हें भड़काने में वे कई राजनीतिक पार्टियां भी लगी हुई हैं, वे पार्टियां जिन्‍होंने हमेशा एक वर्ग विशेष को खुश करके, उन्‍हें मोहरा बना कर अपनी सत्‍ता चलायी है। उन्‍होंने पिछले दिनों लखनऊ की घटना का जिक्र करते हुए कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्‍होंने जो किया है, उसके लिए तो उनकी भी सम्‍पत्ति अटैच कर लेनी चाहिये।

सुबुही खान रविवार को बीरबल साहनी इंस्‍टीट्यूट के सभागार में संवैधानिक अधिकारों को समर्पित चेरीटेबुल ट्रस्‍ट पीपुल्‍स फोरम फॉर जस्टिस द्वारा आयोजित नागरिक संशोधन अधिनियम संशय और समाधान विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रही थीं। इस सेमिनार में उनके साथ मंच पर उत्‍तर प्रदेश के पूर्व महाधिवक्‍ता रहे वकील जफरयाब जिलानी, बंगलुरू से आये वहां के विश्‍वविद्यालय के प्रोफेसर उमा महेश, पीपुल्‍स फोरम फॉर जस्टिस के ट्रस्‍टी डॉ गिरीश गुप्‍ता, सेमिनार के आयोजक हाईकोर्ट के वकील गिरीश सिन्‍हा तथा एडवोकेट रवि सिंह भी उपस्थित थे।

सुबुही खान ने कहा कि पिछले दिनों जब लखनऊ में सीएए के खिलाफ हुए प्रदर्शन में भीड़ ने आगजनी की, सरकारी और जनता की सम्‍पत्ति को नुकसान पहुंचाया, उन्‍हें जला दिया तो उसके बाद मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने ऐसे लोगों से की सम्‍पत्तियां जब्‍त करके भी नुकसान की भरपायी करने की बात की थी। उन्‍होंने कहा कि इसके बाद प्रियंका गांधी जनता की सम्‍पत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाली भीड़ में शामिल लोगों के घर जाकर सहानुभूति दिखाकर, उनके मन में डर बिठाकर, उनको बरगला रही थीं।

उन्‍होंने कहा कि प्रियंका गांधी कहती हैं कि योगी ने भगवा धारण किया हुआ है, भगवा रंग तो क्षमा सिखाता है, आप बदले की बात करते हैं। सुबूही खान ने सवाल किया कि प्रियंका गांधी यहां बदले का मतलब क्‍या लगाती हैं, बदला का मतलब यह है कि जिसने अपराध किया है उसे दंड दिया जायेगा। उन्‍होंने कहा प्रियंका गांधी तो धर्म की भी परिभाषा नहीं समझतीं, धर्म का मतलब होता है कर्तव्‍य का पालन, इसमें गलत क्‍या किया, सम्‍पत्ति अटैच करने की बात कही तो यह तो सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर है कि अगर भीड़ कोई सम्‍पत्ति को नुकसान पहुंचाती है तो ऐसे लोगों की सम्‍पत्ति अटैच करके उसकी वसूली की जाये, सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में यह भी कहा है कि जो ऐसे लोगों को भड़काये, उनकी भी प्रॉपर्टी अटैच की जाये, मैं तो कहती हूं कि सुप्रीम कोर्ट के इस ऑर्डर के हिसाब से तो प्रियंका गांधी की भी प्रॉपर्टी अटैच होनी चाहिये।

सुबुही खान ने कहा कि आज मुस्लिमों को डरा कर राजनीति की जा रही है। ऐसे में भारतीय नागरिक होने के नाते मैं ‘सेव भारत’ कैम्‍पेन चला रही हूं, इसके तहत मैं कश्‍मीर से कन्‍याकुमारी तक यात्रा कर रही हूं जिसमें मुसलमानों को बता रही हूं कि आपको डरा-डरा कर कुछ लोग अपनी राजसत्‍ता, धर्मसत्‍ता चला रहे हैं, इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है। हमारा नागरिकता कानून पांच तरीके से हमें नागरिक मानता है, ये हैं पहला जन्‍म से (भारत में जन्‍म हुआ हो), दूसरा वंश से (माता-पिता का जन्‍म भारत में हुआ हो), तीसरा रजिस्‍ट्रेशन से (पंजीकरण कराकर), चौथा प्राकृतिकरण (पिछले 11 सालों से जो भारत में रह रहा हो, यह अ‍वधि अब 6 साल की गयी है) तथा पांचवा तरीका अधिग्रहण (भारत ने कोई सीमा अधिग्रहीत करता है तो उस क्षेत्र में रहने वाले लोग भी हमारे नागरिक होंगे) है। इसलिए अगर किसी भी पंथ के लोग हों, वे नागरिकता के लिए इनमें से किसी न किसी कैटेगरी में आ ही जायेंगे, और अगर नहीं भी आते हैं तो इनमें से किसी न किसी कैटेगरी का इस्‍तेमाल करके नागरिक बन ही जायेंगे। तो फि‍र डरने की क्‍या जरूरत है।

उन्‍होंने कहा कि आज लोग डॉक्‍यूमेंट फाड़ रहे हैं और कह रहे हैं कि हम डॉक्‍यूमेंट नहीं दिखायेंगे। उन्‍होंने कहा‍ कि डॉक्‍यूमेंट तो बहुत महत्‍वपूर्ण चीज होता है आज हम सिम कार्ड लेने जायें तो भी डॉक्‍यूमेंट की जरूरत पड़ती है, तब लोग देते हैं न। उन्‍होंने कहा कि विरोध करने वालों की ओर से कहा जा रहा है कि बहुत से लोगों के पास डॉक्‍यूमेंट नहीं हैं, यह गलत है, जब जन धन एकाउन्‍ट खुले थे तब गरीब से गरीब के घर भी डॉक्‍यूमेंट निकल आये थे, यहां तक कि आदिवासियों की बात करें तो उनके पास भी डॉक्‍यूमेंट हैं।

सुबुही खान ने कहा कि हर देश में नागरिकता रजिस्‍टर होता है, एनआरसी बीजेपी, मोदी, अमित शाह का ब्रेन चाइल्‍ड नहीं, एनआरसी की मांग 1950 में आरम्‍भ हो गयी थी क्‍योंकि 1947 में विभाजन के बाद से ही पाकिस्‍तान ने हमारे देश में घुसपैठिये भेजने शुरू कर दिये थे। फि‍र मामला ठंडा पड़ गया था। इसके बाद दोबारा मांग तब उठी जब 1971 में बांग्‍लादेश वार हुई तब आसाम के बॉर्डर से कुछ शरणार्थी और कुछ शरणा‍र्थियों के वेश में घुसपैठिये देश में आ गये थे। जब आसाम में लोगों को अहसास हुआ तो वहां बहुत बड़ा आंदोलन हुआ जो करीब पांच साल चला इस आंदोलन के आगे 1985 में राजीव गांधी की सरकार को झुकना पड़ा और कहना पड़ा कि एनआरसी को अपडेट करेंगे, लेकिन उन्‍होंने कभी किया नहीं। इसके बाद सालों-साल यह मुद्दा चलता रहा पीआईएल दाखिल की गयीं और अंतत: 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी अपडेट करने का आदेश दिया। तबसे सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में यह कवायद शुरू हुई।

उन्‍होंने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है कहा जा रहा है कि यह भाजपा की साजिश है, यह आरोप गलत है, यह इससे सिद्ध होता है कि इसे लागू करने की कवायद जब-जब की गयी यानी 1950, 1970 के दशक, 1985 और 2013 में, तब मोदी नहीं थे तो यह कहना कि मोदी ऐसा कर रहे हैं, गलत है। उन्‍होंने कहा कि सीएए के जरिये पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान, बांग्‍लादेश के प्रतड़ि‍त किये गये सिर्फ हिन्‍दू ही नहीं, क्रिश्चियन, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी को भी नागरिकता देने की बात हुई है।

सेमिनार में बैठे श्रोताओं ने जताया विरोध  

सुबुही खान जब मंच से बोल रही थीं उस दौरान श्रोताओं में शामिल कुछ लोगों ने उनको भाजपा प्रवक्‍ता बताते हुए आरोप लगाये और कहा कि आप यहां कानून की बात करने आयी हैं या भाषणबाजी करने। इस पर तुरंत बीचबचाव करते हुए आयोजकों ने बात को सम्‍भालने की कोशिश की, और कहा कि कार्यक्रम के अंत में आप लोगों को अपने प्रश्‍न रखने का मौका मिलेगा, अभी उन्‍हें अपनी बात पूरी करने दीजिये। लेकिन विरोध करने वाले लोग सेमिनार का बहिष्‍कार करके चले गये। हालांकि बताया जा रहा है कि बाद में वे लोग आकर पीछे की कतार में बैठ गये थे।

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इसके बाद सुबुही खान ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि मेरा बैकग्राउंड चेक कर लीजिये मैं कोई बीजेपी या किसी अन्‍य राजनीतिक दल का हिस्‍सा नहीं हूं। हमें इस समय समझने की जरूरत है, देश जल रहा हैं, देश की एकता-अखंडता के लिए धर्म, पंथ, जाति, समुदाय से ऊपर उठकर सोचने की जिम्‍मेदारी देश के एक-एक नागरिक की है। मैं आपको अपनी ओपीनियन देने को यहां खड़ी हुई हूं, और सिर्फ ओपीनियन नहीं बता रही हूं, फैक्‍ट बता रही हूं और अपने हर स्‍टेटमेंट के लिए मेरे पास सबूत हैं मैं किसी राजनीतिक पार्टी की प्रवक्‍ता नहीं हूं, अगर मेरी बात को आप लॉजिकली काट सकें तो ही काटियेगा।

सुबुही खान ने कहा कि मैं आप सभी खासतौर से जिलानी जी से कहना चाहती हूं कि जब मैं भावुक होकर बोलती हूं तो मैं बहुत कड़वा बोल जाती हूं, अगर मेरी कोई बात आपको बुरी लगी हो तो आई एम सॉरी… लेकिन मैं इतना जरूर कहना चाहती हूं सरकार जो यह काम कर रही है, इससे ज्‍यादा जरूरी काम इस देश में और कोई नहीं है और हम और आप जैसे पढ़े-लिखे मुसलमानों की खासतौर से यह जिम्‍मेदारी है जो लोग इस कानून की बिना जानकारी के विरोध कर रहे हैं, जिन्‍हें सीएए, एनआरसी का फुल फॉर्म भी नहीं पता, उनके बीच पहुंचकर हम लोग बतायें और समझायें कि कानून में धर्म और संविधान के खिलाफ कुछ नहीं है। इस कानून से उन्‍हें कोई नुकसान नहीं है। उनको लोग इस्‍तेमाल कर रहे हैं। अपनी बात को एक कविता का रूप देकर उन्‍होंने समाप्‍त किया, उन्‍होंने कहा …‘अन्‍याय सह के बैठे रहना यह महादुष्‍कर्म है, न्‍यायार्थ अपने बंधु को भी दंड देना धर्म है… जयहिन्‍द, वंदेमातरम