-दो मरीजों की स्पाइन फ्रैक्चर का इलाज अत्याधुनिक विधि से किया डॉ ऋषि सक्सेना ने
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। एक बार फिर से जटिल सर्जरी को सफलता पूर्वक अंजाम देकर बलरामपुर अस्पताल ने अपनी साख बढ़ायी है। जटिल स्पाइन सर्जरी को अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक व ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर ऋषि सक्सेना ने सफलता पूर्वक ठीक करके मरीजों को नयी जिन्दगी दी है, ऐसे ही दो मरीजों को गुरुवार को पत्रकारों से रूबरू कराया गया। लगातार मिल रही सफलता से उत्साहित अस्पताल के निदेशक डॉ राजीव लोचन ने बलरामपुर अस्पताल को ट्रॉमेटिक स्पाइन सर्जरी का हब बनाने की दिशा में कार्य करने की घोषणा की।
गुरुवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में सर्जरी करने वाले ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ ऋषि सक्सेना ने बताया की हरदोई का रहने वाला 23 वर्षीय हर्षित चौरसिया बीती 23 जुलाई को तीसरी मंजिल से उस समय गिर गया जब वह मोबाइल चला रहा था उसके बाद परिजन उसे लेकर बलरामपुर अस्पताल पहुंचे उन्होंने बताया की डायग्नोसिस में पता चला कि मरीज स्पाइन फैक्चर का शिकार होकर पूर्णतय: पैराप्लीजिया का शिकार हो गया था। इसी प्रकार दूसरी मरीज सीतापुर की रहने वाली 28 वर्षीय कल्पना सिंह पर बीती 14 अक्टूबर को दीवार गिर गई थी इनकी भी स्पाइन में फ्रैक्चर होकर पूर्णतय: पैराप्लीजिया हो गया था उन्होंने बताया दोनों सर्जरी में अत्याधुनिक तकनीक pedicle screw with rod fixation and discompression का इस्तेमाल करके उपचार किया गया है।
उन्होंने बताया कि आदर्श स्थिति यह है कि चोट लगने के 6 घंटे के अंदर ऐसे मरीज की सर्जरी कर देनी चाहिए हालांकि इन दोनों मरीजों की सर्जरी मैं अनेक कारणों से विलंब हुआ जिसमें मुख्यतः परिजनों द्वारा सर्जरी की स्वीकृत न देना रहा। इस बारे में राजीव लोचन ने कहा की कि बहुत से कारणों की वजह से कई बार सर्जरी लेट हो जाती है इनमें सुविधाओं से लेकर मरीज की काउंसलिंग, परिजनों की सहमति जैसे कारण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हम तो चाहते हैं कि गोल्डन पीरियड यानी छह घंटे के अंदर ऐसे मरीजों की सर्जरी हो जाये, इसके लिए कोशिश भी की जा रही है, उन्होंने कहा अस्पताल में इस संबंध में एक बड़ी जरूरत एमआरआई की जांच सुविधा उपलब्ध होने के लिए इसके लिए स्वीकृति मिल चुकी है तथा बिल्डिंग बन रही है। इसी प्रकार आम लोगों के बीच यह विश्वास भी आवश्यक है कि इस तरह की सर्जरी इस अस्पताल में भी सफलतापूर्वक की जा रही है जब यह विश्वास लोगों में जम जाता है तो फिर मरीज की काउंसलिंग, सहमति जैसी बातों में देर नहीं लगती है।
डॉ सक्सेना ने इन ऑपरेशनों की सफलता के पीछे अपनी टीम के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि डॉ सुनील यादव, डॉ अंकित सिंह, डॉ नूरुल हक सिद्दीकी, डॉ भास्कर प्रसाद, डॉ एमपी सिंह के साथ ही ऑपरेशन थियेटर का पूरा स्टाफ, देखभाल करने में वार्ड के स्टाफ का भी योगदान महत्वपूर्ण रहा।