-प्रो आर के धीमन ने ओटी-एनेस्थीसिया टेक्नीशियंस की भूमिका को भी सराहा
-संजय गांधी पीजीआई में एसोसिएशन ऑफ एनेस्थीसिया और ओ टी टेक्नोलॉजिस्ट का दूसरा राष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न
-संस्थान में निर्मित ओटी-एनेस्थीसिया संबंधित उपयोगी उपकरणों का प्रदर्शन
-देश भर से आये दो सौ प्रतिभागियों ने किया कार्यक्रम में प्रतिभाग, लिया प्रशिक्षण
सेहत टाइम्स
लखनऊ। कोविड महामारी के दौरान गंभीर मरीजों के उपचार में एनेस्थीसिया और ओ टी टेक्नोलॉजिस्ट के द्वारा जो योगदान दिया गया है वह काबिलेतारीफ है। इन कठिन परिस्थितियों में तकनीकी अधिकारियों ने भी जिन उपकरणों का विकास और निर्माण किया है वह भी अत्यन्त सराहनीय है। इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि टेक्नोलॉजी की नयी विधाओं में प्रशिक्षण और नयी खोज भी जारी रखनी होगी इसके लिए संस्थान पूरी तरह सहयोग देगा।
यह बात यहां संजय गांधी पीजीआई में आज एसोसिएशन ऑफ एनेस्थीसिया एंड ओटी टेक्नोलॉजिस्ट की द्वितीय नेशनल कॉन्फ्रेंस TECHNOCON 2022 का उद्घाटन करते हुए संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन ने अपने उद्बोधन में कही। कॉन्फ्रेंस में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफ़ेसर गौरव अग्रवाल, एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो एस पी अंबेश व ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ एनेस्थीसिया एंड ओटी टेक्नोलॉजिस्ट के महामंत्री फिरोज आलम की उपस्थिति में कार्यक्रम की अध्यक्षता एन के चौरसिया द्वारा की गई।
कॉन्फ्रेंस में तमिलनाडु, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश आदि दस राज्यों से आए हुए लगभग 200 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
प्रतिभागी नई विधाओं को सीखने और ऑपरेशन थिएटर में संक्रमण से बचाव और नए उपकरणों की प्रदर्शनी मे शामिल हुए। जूम ऐप के माध्यम से भी लगभग 200 से अधिक टेक्नोलॉजिस्ट इस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए।
प्रो गौरव अग्रवाल ने अपने सम्बोधन में एनएसथीसिया टेक्निशियन के द्वारा ऑपरेशन थिएटर में दिए गए दिए जा रहे योगदान की चर्चा कर भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने आश्वासन भी दिया कि तकनीकी संवर्ग के हितों का संवर्धन किया जाएगा।
संस्थान के मेडिकल ऑफिसर धीरज सिंह, के पुष्पराज द्वारा वीडियो लैरिंगोस्कोप को कम लागत में और हर जगह आसानी से काम आने के लिए बनाने व सुनील प्रकाश वर्मा तथा चंद्रेश कश्यप द्वारा बनाए गए इको प्रोब होल्डर की निदेशक ने सराहना की।
ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ एनेस्थीसिया एंड ओटी टेक्नोलॉजी के महासचिव फिरोज आलम ने अपने वक्तव्य में काउंसिल के गठन की प्रक्रिया पूर्ण होने पर संतोष व्यक्त किया और इसे जमीनी रूप देने के लिए उन्होंने आगे की कार्यवाही के लिए निदेशक और सीएमएस से संस्थान स्तर पर इस को आगे बढ़ाने की बात भी की।
आयोजन सचिव राजीव सक्सेना ने अपने संबोधन में एनेस्थीसिया के टेक्नोलॉजिस्ट द्वारा निभाई गई भूमिका, दक्षता व कुशलता पर विशेष जोर दिया तथा आगे की चुनौतियों का सामना करने के लिए उनके उच्चतर प्रशिक्षण के लिए संस्थान प्रशासन से अनुरोध भी किया।
कॉन्फ्रेंस के दौरान संस्थान में विकसित और निर्माण किये गये विभिन्न प्रकार के उपकरणों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी। धीरज सिंह के द्वारा बनाया गया वीडियो लैरिगोस्कोप, इन्स्ट्रूमेंट ड्रायर तथा टयूब होल्डर का प्रदर्शन भी किया गया और प्रशिक्षकों ने उससे प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। सुनील प्रकाश वर्मा ने सांस की नली को डालने में सहायक होने वाली तकनीक पर व्याख्यान दिया। पीजीआई चंडीगढ़ से आए विशाल सिंह ने बताया कि किस प्रकार ऑक्सीजन की बचत करके एनेस्थीसिया को मेंटेन रखा जा सकता है।
प्रोफ़ेसर देवेंद्र गुप्ता ने अपने व्याख्यान में ह्यूमन मैनेकविन जो कि मानव रोबोट की तरह व्यवहार करते हैं, उन पर चिकित्सीय या तकनीकी लापरवाही से किस प्रकार बचा जा सकता है, का उल्लेख किया। कोविड महामारी में आई सी यू मे उपकरणों के अलार्म पर भी व्याख्यान पीजीआई चंडीगढ़ से आए हुए नरेश कुमार ने दिया। संजय गांधी पीजीआई लखनऊ के चंद्रेश कश्यप ने सिंगिंग वेंटीलेशन की तकनीक का प्रदर्शन किया। रामचंद्र हॉस्पिटल, चेन्नई से आए हुए प्रतिभागियों ने पोस्टर प्रतियोगिता में हिस्सेदारी की।