-ईथर से बेहोश करके पहली बार 16 अक्टूबर 1846 में हुई थी दांत की सर्जरी
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे मनाने का कारण है कि 16 अक्टूबर 1846 को ही सबसे पहले बोस्टन (यूएसए) में Massachusetts General Hospital के एथर डोम में विलियम टीजी मॉर्टन डेंटिस्ट ने ईथर का इस्तेमाल करके पहला ऑपरेशन दांत का किया था।
इस बारे में संजय गांधी पीजीआई के वरिष्ठ एनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉ संदीप साहू ने बताया कि इससे पहले यदि मरीज की सर्जरी करनी होती थी तो उसे दर्द कम हो इसके लिए उसे भांग, अफीम, अल्कोहल आदि का सेवन कराया जाता था। लेकिन इसके बाद भी दर्द तो होता ही था। नये-नये प्रयोग चलते रहे और फिर 1846 में ईथर का प्रयोग करने से पता चला कि यह अब तक के किये गये सभी उपायों से अच्छी है, इसे सुंघाने से व्यक्ति इतनी बेहोशी में चला जाता है कि उसकी सर्जरी की जा सके तथा बाद में बेहोशी से वापस बाहर भी आ जाता है। इस तरह एनेस्थीसिया देने की विधिवत शुरुआत हुई। डॉ साहू ने बताया कि हालांकि अब तो ईथर का प्रयोग नहीं किया जाता है, क्योंकि अब उससे भी सुरक्षित विकल्प मौजूद हैं।
डॉ साहू ने एनेस्थेटिक्स के इतिहास के बारे में बताया कि पहले सर्जन ही ऐनेस्थीसिया देता था, बाद में यह हुआ कि सर्जन सर्जरी करे या बेहोशी देखे, ऐसे में उनमें काम का बंटवारा कर दिया गया तो जिसने सर्जरी का काम संभाला वह सर्जन हो गया और जिसने बेहोशी का काम संभाला वह एनेस्थेटिक बन गया।
उन्होंने कहा कि विश्व भर के एनेस्थीसियोलॉजिस्ट की सोसाइटीज ने वर्ष 1903 से वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे मनाने की शुरुआत की थी। हर साल एनेस्थेटिक्स से जुड़ीं 134 सोसाइटीज के 150 से अधिक देशों के एनेस्थेटिक्स वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे मनाते हैं।
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