अनेक छोटे किंतु महत्वपूर्ण के साथ ही गंभीर विषयों पर चर्चा होगी ‘मेडिसिन 2018’ में
लखनऊ। ब्लड प्रेशर लेने का सही तरीका क्या है। इसके अलावा अगर मरीज का ब्लड प्रेशर चेक करने पर पहली बार वह बढ़ा हुआ निकलता है तो इसका मतलब यह नहीं कि मरीज हाई ब्लड प्रेशर का शिकार हो गया। इसे अलग-अलग समय में चेक करना चाहिये और तीन-चार बार अलग-अलग समय में भी बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर आ रहा है तब संभावना बनती है कि व्यक्ति ब्लड प्रेशर का शिकार है। यह तो हुर्इ डायग्नोसिस की बात, अब बात आती है हाई ब्लड प्रेशर के इलाज की, ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए पहले यह कोशिश करनी चाहिये कि मरीज की दिनचर्या में बदलाव, व्यायाम आदि करवा कर देखा जाये, यदि उससे भी अपेक्षाकृत परिणाम हासिल न हो तब दवा लिखनी चाहिये। कुछ इसी तरह की साधारण मगर असरकारक जानकारियों वाले विषयों पर तीसरा तीन दिवसीय अमेरिकन कॉलेज ऑफ फिजीशियंस-इंडिया चेप्टर कांग्रेस 2018 का आयोजन 31 अक्टूबर से 2 सितम्बर तक रमाडा प्लाजा होटल में किया जा रहा है।
आयोजन की जानकारी देते हुए आयोजन सचिव डॉ अनुज माहेश्वरी ने पत्रकार वार्ता में बताया कि इस तरह का आयोजन लखनऊ में पहली बार आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अलग-अलग सेशन में होने वाले विभिन्न आयोजनों के तहत कार्यशालाएं होंगी। उन्होंने बताया कि ब्लड प्रेशर नापने का सही तरीका क्या है इस पर डेढ़ घंटे की वर्कशॉप होगी, इसमें डॉक्टर्स के साथ पैरामेडिकल स्टाफ को भी शामिल किया गया है क्योंकि बहुत से अस्पतालों में ब्लड प्रेशर चेक करने का कार्य पैरामेडिकल स्टाफ ही करता है।
डॉ माहेश्वरी ने बताया कि इसी प्रकार हॉस्पिटल मेडिसिन पर दो घंटे का सेशन होगा, इसमें दो स्पीकर होंगे। इसमें बताया जायेगा कि मरीज को किस समय, किस प्रकार की मेडिसिन, इंजेक्शन दिये जाने चाहिये। विशेषकर मरीज की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उसे कम से कम खर्च में बेहतर से बेहतर दवायें कैसे दी जायें यह बताया जायेगा। ऐसा भी होता है कि यदि मरीज को ऐसा रोग है जिसमें उसका अंग ही बदला जाना है और उसका खर्च लाखों में है तो ऐसे में यह कोशिश करना कि उसे दवाओं के सहारे किस तरह से आराम पहुंचाया जा सकता है।
डॉ माहेश्वरी ने बताया कि अक्सर देखा गया है कि महिलाएं किसी भी प्रकार का रोग होने पर महिला डॉक्टर के ही पास जाती है, यह आवश्यक नहीं है कि उस महिला डॉक्टर को रोगी महिला के रोग की विशेषज्ञता हासिल हो, ऐसे में डॉक्टर इलाज तो करती हैं लेकिन इसका लाभ मरीज को नहीं पहुंचता है, इस विषय पर भी कार्यशाला रखी गया हैं। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों नीपा वायरस फैला था इस वायरस के बारे में गाइड लाइन्स बनाने का गौरव साउथ एशिया के जिस देश को मिला था वह है बांग्लादेश, गाइड लाइन बनाने वाले विशेषज्ञ भी कॉन्फ्रेंस में आयेंगे। इसके अलावा एम्स नयी दिल्ली के निदेशक डॉ रनदीप गुलेरिया भी कॉन्फ्रेंस में आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक सत्र योग पर भी होगा।
उन्होंने बताया कि एक और विषय जिेस पर इस सम्मेलन में चर्चा होगी वह है कि एक बड़ी समस्या यह हो रही है कि चिकित्सक अपनी व्यस्तता के चलते अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पा रहे हैं। इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक कार्डियोग्राम (ईसीजी) की जांच का तरीका, डिजीटल मेडिसिन, इंसुलिन और ग्लूकोमीटर से जांच, केजीएमयू के डॉ सूर्यकांत की पल्मोनरी वर्कशॉप, बायोफर्टीलेशन, हार्मोनल डिजीजेस, एन्वायरमेंटल वेलनेस, पेस्टीसाइटस जैसे विषयों पर भी चर्चा होगी।