विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) : विश्व में भारत का भू भाग 2.4 प्रतिशत जबकि जनसँख्या का प्रतिशत 15
लखनऊ. हमारे भारत वर्ष को आज जिन गम्भीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उनमें जनसंख्या विस्फोट की स्थिति एक है जो बहुत ही चिन्तनीय गति से बढ़ रही है। जिस भी समस्या की जड़ में जायेंगे तो देखेंगे कि जनसंख्या एक बहुत बड़ा कारण है. हमने किसी क्षेत्र में प्रगति की हो या न की हो परन्तु जनसंख्या वृद्धि के मामले में हम विश्व के अनेक देशों से काफी आगे है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 1947 में भारत की आबादी 34.20 करोड़ थी जो अब अनुमानत 1 अरब 25 करोड़ से ऊपर पहुंच चुकी है। भारत में विश्व का 2.4 प्रतिशत भू भाग है जिसमें विश्व की लगभग 15 प्रतिशत आबादी निवास करती है।
विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) के मौके पर यह कहना है केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के सदस्य एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अनुरुद्ध वर्मा का. उन्होंने कहा कि देश की जनसंख्या वृद्धि की स्थिति गहन चिन्ता का विषय है और इसके समग्र सामाजिक एवं आर्थिक विकास पर गम्भीर प्रभाव पड़ते है। देश के आर्थिक मोर्चे पर प्राप्त उपलब्धियां आबादी के लगातार बढ़ते रहने से धूमिल हो रही है। चाहे अस्पताल हो या रेलवे स्टेशन, स्कूल हो या सस्ते गल्ले की दूकान हर जगह भीड़ ही भीड़ है। सरकार जितनी भी व्यवस्थायें उपलब्ध करा रही है सब कम होती जा रही है जिसके कारण न अस्पताल में आसानी से दवा मिलती है न रेल में आरक्षण। बच्चों का स्कूल में प्रवेश बड़े ही भाग्यशाली लोगों को मिलता है। तीन आदमियों की क्षमता वाले मकान में 30-30 आदमी रहने के लिये बाध्य है और इस सारी समस्या की जड़ है बढ़ती हुई आबादी।
गरीबी है बड़ा कारण
डॉ. वर्मा कहते हैं कि अपने देश में जनसंख्या वृद्धि को सीमित करने के लिये 1942 में राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया जिसके फलस्वरूप बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण मृत्यु दर में तो कमी लाने में कुछ सफलता अवश्य मिली परन्तु जन्मदर कम कर पाने में असफलता ही हाथ लगी जिसके कारण जनसंख्या वृद्धि का ग्राफ बहुत तेजी से ऊपर उठ रहा है। उनका कहना है कि अपने देश में जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण है गरीबी। ऐसा देखा गया है कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के यहां मनोरंजन के साधनों का अभाव होता है और मात्र पत्नी ही मनोरंजन का साधन होती है, दूसरा प्रमुख कारण है अशिक्षा। अपने देश का उदाहरण लें तो केरल में शिक्षा का प्रतिशत काफी अच्छा है और जन्मदर अपेक्षाकृत देश के अन्य प्रदेशों से कम है।
परिवार कल्याण कार्यक्रम नहीं बन पाया जनता का कार्यक्रम
उन्होंने कहा कि जनसंख्या वृद्धि के कारणों में अन्य प्रमुख कारण है कम उम्र में विवाह होना। कानून बनने के बाद बाल विवाहों में तो कुछ कमी अवश्य आयी है परन्तु अभी तक पर्याप्त सुधार नहीं हुआ है। भारतीय समाज में लड़के की चाहत भी जनसंख्या वृद्धि के लिये काफी कुछ जिम्मेदार है। सरकार द्वारा चलाया जा रहा परिवार नियोजन अब परिवार कल्याण कार्यक्रम अभी भी जनता का कार्यक्रम नहीं बन पाया है इसे जनता द्वारा मात्र सरकारी कार्यक्रम ही समझा जाता है।
समय पर सचेत हो जाना ही विश्व जनसंख्या दिवस की सार्थकता
यदि हमें देश को जनसंख्या वृद्धि के विस्फोट से बचाना है तो हमें ऐसी योजनायें बनानी पड़ेगी जो देश के आम लोगों को आर्थिक रूप से सम्पन्न बना सके साथ ही साक्षरता के लिये भी प्रयास करना होगा जिससे शिक्षा का प्रकाश सब तक पहुंच सके। परिवार कल्याण कार्यक्रम में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी इस कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक दलों के नेताओं तथा साधु- सन्तों तथा धर्म गुरुओं की भी मदद लेनी होगी क्योंकि जनता उनकी बात का अनुसरण करती है। बाल विवाह पर रोक लगाना भी जरूरी हो गया है। लड़कियों की विवाह की आयु 18 वर्ष से 21 वर्ष एवं लड़कों की 21 से 25 वर्ष करना जरूरी है। यदि जनसंख्या वृद्धि की गति को काबू में न किया गया तो जनसंख्या का विस्फोट जनजीवन को तबाह कर देगा इसलिये समय पर सचेत हो जाना ही विश्व जनसंख्या दिवस की सार्थकता है।