-उन्नत प्रयोगशालाओं वाले देश के गिने-चुने संस्थानों में शामिल हो गया एसजीपीजीआई
सेहत टाइम्स
लखनऊ। प्रतिदिन हजारों रोगियों के लिए शीघ्र एवं अधिक विश्वसनीय परीक्षण परिणाम सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई), लखनऊ ने अपने पैथोलॉजी विभाग (क्लिनिकल केमिस्ट्री अनुभाग) में उत्तर प्रदेश की पहली पूर्ण स्वचालित प्रयोगशाला का उद्घाटन किया है।
इस नई उच्च-तकनीकी प्रणाली के साथ, एसजीपीजीआई देश भर के उन गिने-चुने अस्पतालों में से एक बन गया है, जहाँ इतनी उन्नत प्रयोगशालाएँ संचालित हैं। इसका अर्थ है तेज़ निदान, कम त्रुटियाँ और बेहतर उपचार परिणाम, खासकर उन मरीज़ों के लिए जिन्हें तत्काल देखभाल की आवश्यकता है।
नई उन्नत प्रयोगशाला टोटल लैब ऑटोमेशन द्वारा संचालित है – यह एक अत्याधुनिक प्रणाली है जिसे प्रयोगशाला प्रौद्योगिकी में वैश्विक अग्रणी, बेकमैन कूल्टर द्वारा विकसित किया गया है। यह स्मार्ट सेटअप प्रति घंटे 4,000 से ज़्यादा परीक्षण कर सकता है, जिसमें नियमित रक्त परीक्षणों से लेकर अत्यधिक विशिष्ट निदान तक, सब कुछ शामिल है।
पहले, लैब तकनीशियनों को नमूने खुद तैयार करने, उन्हें छांटने और परीक्षण करने पड़ते थे – यह एक समय लेने वाली प्रक्रिया थी, जिसमें त्रुटियाँ हो सकती थी। अब यह अधिकांश काम रोबोट और मशीनों द्वारा किया जाता है, जिससे अधिक सटीकता के साथ शीघ्र परिणाम सुनिश्चित होते हैं।
एसजीपीजीआई के निदेशक पद्मश्री प्रो. आर.के. धीमन के अनुसार, “इस अपग्रेडेशन का उद्देश्य रोगी देखभाल में सुधार लाना है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे रोगियों को सही समय पर सही निदान मिले।”

इस नई प्रयोगशाला से मरीजों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा:
शीघ्र टेस्ट रिपोर्ट: टेस्ट के नतीजों का इंतज़ार करना तनावपूर्ण हो सकता है, खासकर गंभीर बीमारी के दौरान। नई प्रणाली इस प्रक्रिया को तेज़ करती है, जिससे डॉक्टरों को जल्दी इलाज शुरू करने में मदद मिलती है।
अधिक सटीक परिणाम: मशीनें मानवीय त्रुटि की संभावना को कम करती हैं, इसलिए परिणाम अधिक विश्वसनीय होते हैं और जीवन रक्षक निर्णय होते हैं।
बेहतर सुरक्षा: स्वचालित प्रणालियां यह सुनिश्चित करती हैं कि प्रत्येक नमूने का उचित ढंग से प्रबंधन किया जाए, जिससे गड़बड़ी का जोखिम कम हो जाता है।
अधिक केंद्रित विशेषज्ञ: मशीनों द्वारा बार-बार दोहराए जाने वाले कार्यों को संभालने के साथ, प्रयोगशाला विशेषज्ञ अब अधिक जटिल परीक्षणों और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, जिसका अर्थ है बेहतर सेवा और अधिक चिकित्सा सफलताएं।
पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. मनोज जैन ने बताया कि यह उत्तर प्रदेश की पहली और भारत की सबसे उन्नत प्रयोगशालाओं में से एक है। उन्होंने इस बदलाव का नेतृत्व करने के लिए प्रयोगशाला के प्रभारी डॉ. राघवेंद्र की प्रशंसा की।
प्रो. जैन ने कहा, “यह सिर्फ़ लैब का अपग्रेडेशन नहीं है। यह आधुनिक चिकित्सा पद्धति में हमारे बदलाव का प्रतीक है। हमारी लैब अब ज़्यादा तेज़, सुरक्षित और स्मार्ट है – और हमारे मरीज़ ही सबसे बड़े विजेता हैं।” यह नया लैब ऑटोमेशन उत्तर प्रदेश और उसके बाहर के लोगों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की दिशा में संस्थान का महत्वपूर्ण कदम है।

