महिला डॉक्टरों को बताये मुकदमेबाजी से बचने और निपटने के गुर
लॉग्स की मेडिकोलीगल कमेटी ने आयोजित की एक दिवसीय वर्कशॉप
लखनऊ। बीते कुछ समय से चिकित्सकों और मरीज के बीच के पवित्र रिश्ते के आसमान में अविश्वास के बादल छाते रहते हैं, जो कभी-कभी टकराव के रूप में बरस भी जाते हैं। कौन गलत है और कौन सही, यह सिक्के का एक पहलू है और यह बहस का विषय हो सकता है लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि दोनों ही (मरीज और चिकित्सक) एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों को एक-दूसरे की आवश्यकता है। ऐसे में रिश्ते न बिगड़ें, टकराव न हो, चिकित्सक की जान-माल को नुकसान न हो, मुकदमेबाजी न हो, इसके लिए इसके कानूनी पहलू पर सावधानियां बरतने के बारे में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों को महत्वपूर्ण जानकारियां देने के लिए लखनऊ ऑब्स एंड गायनीकोलॉजी स्पेशियलिस्ट्स की मेडिको लीगल सबकमेटी ने रविवार को एक दिवसीय मेडिकोलीगल वर्कशॉप का आयोजन किया।
स्थानीय होटल में आयोजित इस वर्कशॉप का उद्घाटन रिटायर्ड जस्टिस विष्णु सहाय ने किया। वर्कशॉप की आयोजन सचिव डॉ सुनीता चन्द्रा ने इसके बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पिछले दस वर्षों में डॉक्टरों के ऊपर 200 प्रतिशत मुकदमेबाजी के मामले बढ़ गये हैं। इसकी वजहें बहुत सी हो सकती हैं, लेकिन आवश्यकता इस बात की है कि मरीज और चिकित्सक के बीच का यह अविश्वास दूर किया जाना जरूरी है तभी इस मुकदमेबाजी में भी कमी आयेगी इसीलिए मुकदमेबाजी से बचने के लिए चिकित्सकों को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिये इसकी जानकारी देने के लिए कानूनी विशेषज्ञों को भी बुलाकर इस मेडिकोलीगल वर्कशॉप का आयोजन किया गया।
इस वर्कशॉप में ऑब्स एंड गायनीकोलॉजी स्पेशियलिस्ट्स की नेशनल मेडिकोलीगल कमेटी के हेड डॉ एमसी पटेल, मेडिको लीगल एक्सपर्ट एडवोकेट राधिका थापर के साथ ही आये विशेषज्ञों ने वर्कशॉप में बताया कि चिकित्सक कैसे अपने आपको सुरक्षित रखें, कैसे मुकदमेबाजी से बचे और अगर कोई केस हो ही गया है तो उसे कैसे निपटायें
इसके अलावा सबसे ज्यादा जोर इस बार पर दिया गया है कि मरीज और चिकित्सक के बीच में किस तरह से काउंसलिंग बढ़ायी जाये। उन्होंने बताया कि यह भी जोर दिया गया कि समय-समय पर अलग से कार्यक्रम आयोजित करके इस बारे में आम जनता तक यह बताया जाये कि चिकित्सक मरीज का दुश्मन नहीं है, कोई भी अप्रिय घटना अगर होती है तो वह चिकित्सक जानबूझकर नहीं करता है। चिकित्सक तो मरीज का सिर्फ इलाज करता है, बाकी तो भाग्य की बात है।
उन्होंने बताया कि चिकित्सक के लिए मरीज ही सब कुछ है। चिकित्सक मरीज का कभी बुरा नहीं चाहता है लेकिन चूंकि डॉक्टरों के प्रति हिंसा बढ़ गयी है, डॉक्टरों पर हमले बढ़ गये हैं, ऐसे में डॉक्टर भी चाहता है कि उस पर होने वाले हमले और इस प्रकार की अप्रिय स्थिति न बने।
उन्होंने कहा कि सभी से अपील है कि कभी-कभी दूसरों की बातों में आकर लोग डॉक्टरों पर शक करने लगते हैं, वह न करें, अगर उन्हें समझ में नहीं आता है तो वे दूसरे चिकित्सक को दिखायें। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं को एक दुर्घटना ही समझना चाहिये, उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जिस सड़क पर दुर्घटना होती है तो क्या हम उस सड़क पर जाना बंद कर देते हैं?
उन्होंने कहा कि वर्कशॉप में मीडिया से भी अपील की गयी कि वह इस सम्बन्ध में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। डॉ पटेल ने अपने सम्बोधन में कहा कि मरीजों के साथ काउंसलिंग करने के अलावा पुलिस और अन्य लोगों के साथ इस तरह की काउंसलिंग शिविर आयोजित किये जाने चाहिये।
उन्होंने बताया कि वर्कशॉप में अनेक विशेषज्ञों ने भाग लिया। जिनमें डॉ रुखसाना खान, डॉ मंजू शुक्ला, डॉ प्रीती कुमार, डॉ उमा सिंह, डॉ गीता खन्ना, डॉ इंदू टंडन, डॉ शिप्रा कुंवर, डॉ मंजूषा, डॉ सरोज श्रीवास्तव, डॉ एसपी जैसवार, डॉ यशोधरा प्रदीप, डॉ रीतू सक्सेना, डॉ नीरजा सिंह, डॉ अंशूमाला रस्तोगी, डॉ एडी द्विवेदी, डॉ बीना टंडन ने वर्कशॉप में अपनी विशेष भूमिका निभायी।