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कोविड नियमों के उल्‍लंघन पर आमजनों के खिलाफ दर्ज तीन लाख मुकदमे वापस

-भारत सरकार के निर्देश के क्रम में लिये गये निर्णय के दायरे से वर्तमान व पूर्व सांसद-विधायक बाहर

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए बनाये गए कोविड-19 प्रोटोकॉल तथा लॉक डाउन का उल्लंघन करने पर आम जनता के खिलाफ कम गंभीर अपराध वाले मुकदमे वापस लेने के निर्देश दिये हैं। सिर्फ आमजन के विरुद्ध दर्ज मुकदमों को ही वापस लेने का निर्देश दिया गया है, जबकि पूर्व और वर्तमान सांसदों, विधायकों पर दर्ज मुकदमे इसमें शामिल नहीं हैं।  

इस सम्‍बन्‍ध में 26 अक्‍टूबर को शासन से जारी पत्र सभी जिला अधिकारियों को भेजा गया है। पत्र में कहा गया है कि यह निर्देश भारत सरकार के 3 फरवरी 2021 को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजे गए पत्र के अनुपालन में है। भारत सरकार के पत्र के अनुसार कोविड-19 महामारी से पूरे देश में उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005, महामारी अधिनियम 1897 तथा भारतीय दंड संहिता 1860 आदि के प्रावि‍धानों को लागू किया गया था, जिसके फलस्वरूप  स्थिति काफी नियंत्रण में आयी।

इसी के मद्देनजर भारत सरकार के पत्र में सलाह दी गई है कि कोविड-19 प्रोटोकाल के उल्लंघन के परिणाम स्वरूप दर्ज आपराधिक मामलों की समीक्षा करके सामान्य नागरिकों को अनावश्यक अदालती कार्यवाही, न्यायालयों में लंबित फौजदारी मामलों को रोकने तथा नागरिकों को उक्त महामारी से उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति से फौजदारी प्रक्रिया की कार्यवाही से बचाने के लिए मुकदमे वापसी की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। पत्र में दिए गए तथ्यों के अनुक्रम में कोरोना प्रोटोकॉल उल्लंघन में दर्ज आपराधिक मामलों की समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं।

पत्र में अपेक्षा की गई है कि कोविड-19 प्रोटोकाल के उल्लंघन को लेकर दर्ज तीन लाख से ज्यादा मुकदमों में, जिनमें आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित कर दिए गए हैं, को वापस लेने की कार्यवाही की जाए। पत्र में उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा एक रिट विनय कुमार व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य में दी गई दिए गए आदेश के क्रियात्मक का उदाहरण भी दिया गया है।

पत्र में कहा गया है कि मुकदमों को वापस लेने के लिए राज्यपाल द्वारा सहमति दे दी गई है। पत्र में जिलाधिकारियों से अपेक्षा की गई है कि इस आदेश के अनुक्रम में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 321 में उल्लिखित प्रावधानों का अनुपालन कराते हुए आगे की कार्यवाही करें।

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