-एसजीपीजीआई की रिपोर्ट : कोविड-19, इन्फ्लूएंजा ए और इन्फ्लूएंजा बी के मामलों में भारी कमी

सेहत टाइम्स
लखनऊ। शीतकालीन सत्र के आगमन के साथ ही लखनऊ क्षेत्र में श्वसन संबंधी बीमारी के पैटर्न में अचानक बदलाव आया है। पिछले कुछ हफ्तों में कोविड-19, इन्फ्लूएंजा ए और इन्फ्लूएंजा बी के मामलों में भारी कमी आई है। ये संक्रमण अगस्त और सितंबर 2024 के महीने में प्रचलित थे, लेकिन मौसम में बदलाव के कारण इनका संचरण चक्र बाधित हो गया है।


एसजीपीजीआईएमएस के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. रुंगमेई एसके मारक ने बताया कि हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स में पिछले कुछ महीनों में लखनऊ में कोविड और इन्फ्लूएंजा के मामलों में उछाल की आशंका जतायी गयी थी। हालांकि, एसजीपीजीआई प्रयोगशाला के आंकड़ों के अनुसार इन संक्रमणों की घटना राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुरूप है और हमारी प्रयोगशाला के पिछले वर्ष के आंकड़ों से भी मेल खाती है और वायरल श्वसन संक्रमण में कोई अप्रत्याशित उछाल नहीं है।
एसजीपीजीआईएमएस के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. अतुल गर्ग ने बताया कि भारत में हर साल आमतौर पर श्वसन संक्रमण के 2 चरम होते हैं। पहला चरम फरवरी और मार्च के महीने में होता है, उसके बाद अगस्त और सितंबर के महीने में दूसरा चरम होता है। इस साल अक्टूबर में SARS CoV-2 वायरस और इन्फ्लूएंजा वायरस के मामलों में कमी आई है और दिसंबर के महीने में कोई नया COVID-19/ इन्फ्लूएंजा-ए रिपोर्ट नहीं किया गया है। प्रोफेसर मारक ने आगे बताया कि रात के तापमान में अचानक गिरावट के कारण मच्छर जनित वायरल संक्रमण का संचरण चक्र भी बाधित हुआ है और डेंगू और चिकनगुनिया के मामलों में भी कमी आई है। इस प्रकार, हम उम्मीद कर सकते हैं कि अगले कुछ महीने आम उष्णकटिबंधीय संक्रमणों से मुक्त रहेंगे। हालाँकि, चूँकि अधिकांश लोग सर्दियों के मद्देनजर घर के अंदर ही अपना ज़्यादातर समय बिताएँगे, इसलिए यह सुझाव दिया जाता है कि भीड़भाड़ से बचा जाना चाहिए और हाथों की उचित स्वच्छता बनाए रखी जानी चाहिए।
