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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, बच्चों को नशे की लत से बचाने के लिए क्या कदम उठाये ?

नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की संस्था की पीआईएल पर 2016 में दिया था आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों में नशे की लत को लेकर केंद्र सरकार से इस सम्बन्ध में उठाये गए क़दमों की रिपोर्ट मांगी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार  उच्चतम न्यायालय के सामने बच्चों में नशे की लत की बढ़ती समस्या का मुद्दा एक बार फिर आने के बाद यह नोटिस जारी की गयी है. उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा कि अदालत के वर्ष 2016 के फैसले के अनुपालन के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं. इस आदेश में न्यायालय ने इस समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्ययोजना बनाने समेत अन्य कदम उठाने का निर्देश दिया था.

 

 
आपको बता दें कि दिसंबर 2016 में शीर्ष अदालत ने कैलाश सत्यार्थी के गैर सरकारी संगठन ‘बचपन बचाओ’ की जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए कई दिशा-निर्देश जारी किए थे और केंद्र से कहा था कि स्कूली बच्चों के बीच नशे की लत को रोकने के लिए वह छह महीने के भीतर राष्ट्रीय कार्ययोजना बनाये. शीर्ष न्यायालय ने राष्ट्रीय सर्वेक्षण का निर्देश भी दिया था ताकि इस बात का भी पता चल सके कि नशे ने किस हद तक पैठ बना ली है.

 

 
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा , न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि फैसले के अनुपालन के लिए उठाए गए कदमों के बारे में सूचित करने के लिए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पिंकी आनंद को समय दिया जाता है और मामले पर सुनवाई 20 अगस्त को होगी. दूसरी ओर कोर्ट के समक्ष एनजीओ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने कहा था कि केंद्र फैसले का अनुपालन करने में विफल रहा है.

 

आपको बता दें कि पंजाब इस समय नशे की समस्या से जबरदस्त तरीके से जूझ रहा है. इसके लिए वहां की राज्य सरकार ने ड्रग माफिया के विरुद्ध फांसी की सजा देने का प्रावधान किया है, जबकि पंजाब यूनिवर्सिटी ने नशे के आदी लोगों की इस लत को छुड़वाने में दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से एक डिप्लोमा कोर्स प्रारंभ किया है. इस डिप्लोमा कोर्स से नौकरी भी हासिल हो सकेगी.

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