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केजीएमयू में क्रय नीति और पारदर्शी, जगह होगी तभी खरीदी जायेंगी मशीनें

केजीएमयू में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बोलते कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट, साथ में मौजूद हैं चिकित्सा अधीक्षक डॉ विजय कुमार, प्रवक्ता डॉ नरसिंह वर्मा व डॉ विभा सिंह तथा डीन, स्टूडेंट वेलफेयर डॉ एसएन संखवार।

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में अब मशीनों आदि खरीदने की मांग करते समय यह बताना होगा कि यह मशीन क्यों जरूरी है और इसे रखने या लगाने के लिए पर्याप्त स्थान है अथवा नहीं। ई टेंडरिंग प्रक्रिया को पूरी तरह से लागू करके क्रय प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए कई कदम उठाये जाने का फैसला लिया गया है।

टेंडर भेजने वालों के साथ प्री बिड मीटिंग होगी और उसकी होगी वीडियोग्राफी

यह जानकारी कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में दी। प्रो भट्ट ने कुलपति बनने के बाद बुलाये गये पहले सम्वाददाता सम्मेलन में कहा कि क्रय समिति सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद ही कोई चीज खरीदने के लिए ई टेंडर आमंत्रित करेगी। इस क्रय समिति में कुलपति के साथ ही रजिस्ट्रार, फाइनेंस कंट्रोलर तथा सम्बन्धित विभागाध्यक्ष शामिल रहेंगे। उन्होंने बताया कि यहीं नहीं हम जिन कम्पनियों ने निविदा डाली होगी उनके प्रतिनिधि को बुलाकर एक प्री बिड मीटिंग करेंगे, इसमें क्रय के लिए प्रस्तावित मशीनरी के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर यह सुनिश्चित करेंगे कि उस समय सबसे लेटेस्ट मशीन कौन सी है ताकि एडवांस टेक्नोलॉजी का फायदा हमें मिले। उन्होंने कहा कि इस मीटिंग की वीडियोग्राफी भी करायी जायेगी।

उत्तर प्रदेश के एक चौथाई मरीजों का बोझ अकेले केजीएमयू पर

कुलपति ने कहा कि हम लोग संस्थान में मरीजों को होने वाली परेशानियों का हल लगातार निकालने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कई बार मरीजों को कई प्रकार की दिक्कतें हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो कुल 16 चिकित्सा संस्थान हैं जिनमें करीब 16 हजार बेड हैं इनमें अकेले किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पास 4000 बेड हैं एक चौथाई मरीजों को बोझ अकेले केजीएमयू पर है। उन्होंने कहा कि बेड की उपलब्धता की अपेक्षा आने वाले मरीजों की संख्या अधिक है इसलिए कई बार भर्ती करने में भी दिक्कत आती हैं, उन्होंने कहा कि इसके बावजूद हम लोग मरीज को लौटाते नहीं हैं।

नकारात्मक छवि से मरीजों का ही ज्यादा नुकसान

कुलपति ने कहा कि मेरा मानना है कि किसी भी संस्थान की बहुत ज्यादा नकारात्मक छवि लगातार बताते रहना भी ठीक नहीं होता है, इससे आम जनों में भी संस्थान के प्रति नकारात्मकता आती है और लोग सरकार के सहयोग से चलने वाले इस संस्थान मेें आने में कतरायेंगे और प्राइवेट की तरफ जायेंगे जिससे गरीब मरीज को आर्थिक कष्टï झेलना पड़ेगा। उन्होंने एक चौंकाने वाले आंकड़ों के बारे में बताते हुए कहा कि आपको जानकार यह आश्चर्य होगा कि हर वर्ष करीब 2 प्रतिशत लोग इलाज में अत्यधिक खर्च हो जाने के कारण सामान्य से गरीबी की रेखा से नीचे की श्रेणी में आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि मेरा कहने का तात्पर्य यह नहीं है कि आप खामियां न बतायें, खामियां आप जरूर बतायें हम उन खामियों को दूर करने का प्रयास अवश्य करेंगे।

सस्ती दवाओं की व्यवस्था जल्द होगी लागू

कुलपति ने बताया कि मरीजों को सस्ती दवा और कैंटीन में सस्ता खाना उपलब्ध हो इसके बारे में जल्दी ही नयी व्यवस्था के बारे में बताया जायेगा। उन्होंने कहा कि मैं लगातार रेजीडेंट्स डॉक्टर्स के साथ बैठकें कर के उन्हें मरीज के प्रति शालीन व्यवहार करने को प्रेरित कर रहा हूं। उन्होंने बताया कि इस विषय में एमसीआई के नये नियमों के अनुसार ऐटकॉम मॉड्यूल को शामिल किया गया है। इसमें ऐट का अर्थ एटीट्यूट तथा कॉम का अर्थ कम्युनिकेशन से है इसमें चिकित्सक को सिखाया जाता है कि वे मरीज से कैसा बर्ताव करें तथा किस तरह उनके साथ बातचीत करेें।

परीक्षा का शुल्क घटा दिया गया

संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ एसएन संखवार ने बताया कि अंडर ग्रेजुएट की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए निर्धारित परीक्षा शुल्क 12000 से घटाकर 6000 रुपये कर दिया गया है जबकि पोस्ट ग्रेजुएट और सुपर स्पेशियलिटी का परीक्षा शुल्क 30000 से घटाकर 20000 रुपये कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि छात्रों के हॉस्टल में भी सभी सुविधाओं का ध्यान रखा जा रहा है। इस मौके पर दोनों प्रवक्ता डॉ. नरसिंह वर्मा व डॉ. विभा सिंह भी उपस्थित रहीं।

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