पैथोलॉजी रिपोर्ट्स पर स्नातकोत्तर चिकित्सक के दस्तखत की अनिवार्यता का मामला
दस्तखत करने वाले की योग्यता एमबीबीएस के साथ एक साल का पैथोलॉजी कोर्स की अनिवार्यता के लिए ड्राफ्ट तैयार
जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में है स्नातकोत्तर की अनिवार्यता
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ/जयपुर। आपकी बीमारी, उसके इलाज की दिशा तय करने वाली पैथोलॉजी रिपोर्ट्स जारी करने के लिए पैथोलॉजिस्ट, माइक्रोबायोलॉजिस्ट तथा बायोकेमिस्ट की अनिवार्यता बनाये रखने के लिए प्रैक्टिशसर्स पैथोलॉजिस्ट्स सोसाइटी राजस्थान के सचिव डॉ रोहित जैन की अगुवाई में की जा रही कवायद रंग तो लायी है, लेकिन यह रंग फीका है, चटख नहीं। नये संशोधन के बाद भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना तो होगी ही।आपको बता दें कि पहले इस सम्बन्ध में योग्यता के लिए कोई भी अनिवार्यता नहीं रखी गयी थी, यानी झोलाछाप भी रिपोर्ट जारी कर सकता था।
दरअसल सरकार ने क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट ऐक्ट तीसरा संशोधन नियम-2019 का ड्राफ्ट तैयार किया है, इसे इसमें रिपोर्ट पर दस्तखत करने वाले की योग्यता निर्धारित की गयी है, जिसके अनुसार एमबीबीएस के बाद एक साल का पैथोलॉजी का कोर्स करने वाले डॉक्टर इसके पात्र होंगे। जबकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश, जिसमें रिपोर्ट पर दस्तखत करने के लिए पैथोलॉजी से एमडी की डिग्री या इसके समकक्ष डिग्री होना अनिवार्य है, का पालन नहीं किया जा रहा है। यानी अभी भी यह सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है जो स्नातकोत्तर योग्यता को निर्धारित करता है।
आपको बता दें कि इससे पूर्व 15 मार्च को क्लीनिकल इस्टैब्लिश्मेंट एक्ट के तहत तैयार नये रूल्स में पैथोलॉजी की बेसिक कॉम्पोसिट लैब के दूसरा संशोधन ड्राफ्ट तैयार करने के लिए नोटिफिकेशन जारी करके सुझाव और आपत्तियां मांगी गयी थीं। इसके बाद इस सम्बन्ध में आमजन के स्वास्थ्य से खिलवाड़ रोकने और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिए व्यवस्था को पटरी पर लाने की लड़ाई की अगुवाई करने वाले डॉ रोहित जैन ने सभी पैथोलॉजिस्ट से अपील की थी कि इसके खिलाफ आवाज उठायें, तथा मेल द्वारा अपनी आपत्तियां दर्ज करायें। ‘सेहत टाइम्स’ ने इस कवायद को ‘पंजीकृत पैथोलॉजिस्टव, माइक्रोबायोलॉजिस्टत व बायोकेमिस्ट स्वयं व मरीज की जान बचायें, समय रहते आपत्ति जरूर दर्ज करायें ‘ प्रमुखता से प्रकाशित किया था। सूत्र बताते हैं कि अपील का नतीजा यह हुआ कि करीब 2000 आपत्तियां पहुंचीं थीं, जबकि इससे पूर्व एक्ट में संशोधन के लिए ड्राफ्ट प्रकाशित होने के बाद मांगी गयीं आपत्तियों के बाद बमुश्किल करीब पांच आपत्तियां और सुझाव पहुंचे थे।