Sunday , October 27 2024

मोलस्‍कम कॉन्‍टेजियोसम : दवा का चयन रोग नहीं, रोगी के अनुसार करें

-जीसीसीएचआर में हुई स्टडी के परिणाम उत्साहवर्धक, पॉक्स वायरस के चलते होता है यह रोग

-अंतर्राष्‍ट्रीय फोरम फॉर प्रमोशन ऑफ होम्‍योपैथी के वेबिनार में डॉ गौरांग गुप्ता ने दिया व्याख्यान

Case 1 – 7 Year old male child

सेहत टाइम्स

लखनऊ। गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) के कन्सल्टेंट डॉ गौरांग गुप्ता का कहना है कि मोलस्‍कम कॉन्‍टेजियोसम का उपचार होम्योपैथिक दवाओं से सम्भव है, बस जरूरत इस बात की है कि दवा का चुनाव प्रत्येक मरीज की मन:स्थिति, शारीरिक लक्षण, पसंद-नापसंद को रखकर किया जाये, न कि एक ही दवा सभी मरीजों को दी जाये। अपनी इस बात को उन्होंने एक वेबिनार में अपने प्रेजेन्टेशन के माध्यम से विस्तार से समझाया।

अंतर्राष्‍ट्रीय फोरम फॉर प्रमोशन ऑफ होम्‍योपैथी IFPH द्वारा 8 जुलाई को आयोजित बेबिनार में डॉ गुप्ता ने जीसीसीएचआर में इस रोग के मरीजों पर हुई साक्ष्य आधारित स्टडी के बारे में जानकारी दी, इस स्टडी का प्रकाशन अंतर्राष्ट्रीय मानकों की कसौटी के अनुरूप स्तर वाले प्रतिष्ठित जर्नल होम्योपैथी हेरिटेज के फरवरी, 2024 के अंक में हो चुका है। 28 केसेज पर हुई इस स्टडी के परिणाम बताते हैं कि 28 में से 27 मरीजों को दवा से लाभ हुआ, एक मरीज को लाभ नहीं हुआ। स्टडी में मूल्यांकन का मुख्य पैरामीटर नैदानिक ​​और दृश्य यानी फोटोग्राफी था।

Case 2 – 5 Years old female child

ज्ञात हो मोलस्‍कम कॉन्‍टेजियोसम एक संक्रमण है जो पॉक्स वायरस के कारण होता है। मोलस्का के नाम से जाने जाने वाले घाव सौम्य होते हैं और चिकने, दृढ़, नाभिनुमा, मोती जैसे सफ़ेद या गुलाबी या त्वचा के रंग के, छोटे, उभरे हुए दाने होते हैं जो शरीर पर कहीं भी दिखाई दे सकते हैं। यह बीमारी संक्रामक है यानी संपर्क से फैलती है। यह बीमारी आमतौर पर बच्चों और युवा वयस्कों में देखी जाती है। प्रतिरक्षा-दमित रोगियों में घाव व्यापक हो सकते हैं।

वेबिनार में डॉ गौरांग ने तीन मॉडल केस भी प्रस्तुत किये, इनमें दो बच्चों व एक महिला का केस शामिल था। पहला केस एक 7 वर्षीय लड़के का था। इस बच्चे के चेहरे पर दाने थे, मन से जुड़े लक्षणों में बच्चा बहिर्मुखी, सक्रिय, भावुक स्वभाव वाला था, साथ ही उसे बेचैनी, मकड़ी और कॉकरोच से डर लगना, जानवरों से प्यार, दूसरों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करता था, माता-पिता ने बताया कि बच्चा नींद के दौरान चौंक जाता था। बच्चे को कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम, मीठा खाना ज्यादा पसंद था।

Case 3 – 38 Years old Lady

केस नम्बर 2 चार साल की बच्ची का था। बच्ची के चेहरे और खोपड़ी पर दाने हो गये थे। इस बच्ची के बारे में जानकारी लेने पर पता चला कि मनमौजी स्वभाव वाली बच्ची के मन से जुड़े लक्षणों में बेचैनी होना, शोर और कॉकरोच से डरना, पशुप्रेमी होना, बच्ची बहुत बुद्धिमान थी, उसे आइसक्रीम, मीठा के साथ ही मसालेदार खाना बहुत अच्छा लगता था, बच्ची को प्यास ज्यादा लगती थी और उसे गर्म चीजें खाना पसंद था।

तीसरा मॉडल केस 38 वर्षीय महिला का दिखाया। इस महिला के मन से जुड़े लक्षणों में जल्दी गुस्सा आना, गुस्से में चीखना, हाथों में बहुत पसीना आता था। इस महिला में अहंकार की भावना, कूटनीति थी, साथ ही दूसरों को सांत्वना देना, चिंता करना, हर चीज का पूर्वानुमान लगाना, मौके के अनुरूप कृत्य करना, आशावादी होना, अधीर होना जैसी आदतें शामिल थीं। महिला को मरे हुए रिश्तेदारों के सपने आते थे। इस महिला को मीठा और गर्म चीजें खाना पसंद था।

डॉ गौरांग ने इन तीनों ही केसेज में ली गयी हिस्ट्री और उनके अनुरूप उपलब्ध दवाओं के साथ रिपर्टराइजेशन के बाद दवा के चयन की प्रक्रिया को स्लाइड के माध्यम से प्रस्तुत किया और बताया कि अमुक दवा अमुक मरीज के लिए क्यों चुनी गयी। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि एक रोग के ज्यादातर मरीजों को एक ही दवा से लाभ हो जाता है लेकिन सभी मरीजों को उस दवा से लाभ हो यह आवश्यक नहीं है। सत्र के अंत में उन्होंने वेबिनार में मौजूद कई चिकित्सकों के प्रश्नों के उत्तर भी दिये।

इसी जर्नल में प्रकाशित हुई है स्टडी

डॉ गौरांग ने बताया कि मोलस्‍कम कॉन्‍टेजियोसम पर होम्योपैथी हेरिटेज जर्नल में प्रकाशित स्टडी का उपयोग एमडी, पीएचडी करने वाले चिकित्सक अपनी थीसिस में रेफरेंस के लिए कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस स्टडी के अलावा सेंटर पर हुए शोध के बारे में लिखी गयी किताब एविडेंस बेस्ड रिसर्च ऑफ होम्योपैथी इन डर्मेटोलॉजी Evidence-based Research of Homoeopathy in Dermatology भी बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। त्वचा रोगों पर आधारित इस किताब में मोलस्कम कॉन्टेजिओसम के साथ ही विटिलिगो, सोरायसिस, एलोपेशिया एरिएटा, लाइकेन प्लेनस, वार्ट और माइकोसिस ऑफ़ नेल के साक्ष्य आधारित उपचारित किये गए मॉडल केसेस दिए गए हैं। यह किताब amazon पर भी उपलब्ध है।
वेबिनार के आयोजन में डॉ मृदुल साहनी की मुख्य भूमिका रही, संचालन डॉ नेहा कक्कड़ ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.