-नर्सिंग एवं पैरा मेडिकल स्टाफ को व्यावहारिक दक्षता और निर्णयात्मक क्षमता प्रदान करेगा प्रशिक्षण कार्यक्रम
सेहत टाइम्स
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के ट्रॉमा सेंटर में एक अभिनव और अत्यंत उपयोगी प्रशिक्षण कार्यक्रम “सावधान” (SAVDHAN-Sensitizing And Visioning of Disaster management in Hospitals And their Notifications) का शुभारंभ किया गया है। यह कोर्स नर्सिंग एवं पैरा मेडिकल स्टाफ को डिजास्टर एवं पॉलीट्रॉमा (बहु-अंग आघात) प्रबंधन के क्षेत्र में व्यावहारिक दक्षता और निर्णयात्मक क्षमता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।
यह जानकारी केजीएमयू के मीडिया सेल की ओर से जारी विज्ञप्ति में दी गयी है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि “सावधान” केवल एक कोर्स का नाम ही नहीं, बल्कि एक प्रभावशाली संदेश भी है। हिन्दी में ‘सावधान’ शब्द जहां सजगता और तत्परता का प्रतीक है, वहीं इसे एक पूरा एक्रोनिम बनाकर Sensitizing And Visioning of Disaster management in Hospitals And their Notifications कोर्स की मूल भावना और उद्देश्य को अत्यंत सटीक रूप में दर्शाया गया है। यह नाम आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों को हमेशा सचेत और सतर्क रहने की आवश्यकता की ओर इंगित करता है, जो कि इस प्रशिक्षण का केंद्रीय तत्व भी है।


यह प्रशिक्षण कार्यक्रम विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद की प्रेरणा और मार्गदर्शन से विकसित किया गया है, और इसे ट्रॉमा सेंटर में स्थित आधुनिक सेमिनार कक्ष में संचालित किया जा रहा है। “सावधान” कोर्स आपातकालीन स्थितियों में रोगियों की शीघ्र पहचान, पुनर्जीवन, स्थिरीकरण तथा प्रभावी रिकॉर्ड प्रबंधन जैसे महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर केन्द्रित है।
इस कोर्स की कुल अवधि 30 घंटे रखी गई है, जिसे दो महीनों में पूर्ण किया जाएगा। प्रतिभागियों को 15 घंटे के सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ-साथ 1 घंटे की मूल्यांकन प्रक्रिया से भी गुजरना होगा। कोर्स में सम्मिलित प्रतिभागी मुख्यतः ट्रॉमा सेंटर और कैजुअल्टी में कार्यरत रेजिडेंट्स, नॉन-पीजी जूनियर रेजिडेंट्स एवं नर्सिंग स्टाफ हैं। प्रत्येक सत्र में अधिकतम 20 प्रतिभागियों को लिया जाएगा ताकि प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। यह कोर्स एक शैक्षणिक वर्ष में चार बार आयोजित किया जाएगा। “सावधान” कोर्स का पाठ्यक्रम अत्यंत सुव्यवस्थित एवं चरणबद्ध है। व्याख्यान शृंखला में प्राथमिक और द्वितीयक सर्वेक्षण, शॉक एवं सिर की चोट का प्रबंधन, हड्डियों के फ्रैक्चर, वक्षीय एवं उदर आघात, तथा मेडिको-लीगल रिकॉर्ड्स के संधारण और रोगी हस्तांतरण जैसे विषयों को शामिल किया गया है।
इन व्याख्यानों के अतिरिक्त, दो विशेष डेमोंस्ट्रेशन सत्र आयोजित किए जाएंगे जिनमें प्रतिभागियों को वायुमार्ग, श्वसन एवं परिसंचरण की देखभाल (Airway, Breathing, Circulation) तथा रेडियोलॉजिकल जांचों की व्याख्या एवं रिपोर्ट विश्लेषण जैसे महत्त्वपूर्ण कौशल सिखाए जाएंगे। प्रशिक्षण के समापन पर मूल्यांकन 100 अंकों की एक वस्तुनिष्ठ परीक्षा (MCQ), के माध्यम से होगा।। केवल उन प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा जिन्होंने मूल्यांकन में न्यूनतम 50% अंक प्राप्त किए होंगे।
इस कोर्स के संचालन एवं समन्वयन में विश्वविद्यालय की अनुभवी एवं समर्पित फैकल्टी सदस्यों की एक टीम कार्यरत है, जिसमें डॉ. प्रेम राज सिंह, डॉ. सोमिल जैसवाल, डॉ. अमिय अग्रवाल, डॉ. सारिका गुप्ता, डॉ. अर्पित सिंह, डॉ. वैभव जैसवाल एवं डॉ. अरुणेश कुमार तिवारी जैसे चिकित्सक शामिल हैं। इन सभी विशेषज्ञों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रशिक्षु न केवल सिद्धांत रूप से, बल्कि व्यावहारिक रूप से भी आपातकालीन चिकित्सा सेवा में दक्ष बनें।
“सावधान” कोर्स की यह पहल न केवल ट्रॉमा मरीजों के प्रबंधन में गुणवत्ता लाने की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि यह अस्पतालों की डिजास्टर रिस्पॉन्स प्रणाली को भी सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध होगी।
