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‘साइलेंट किलर्स’ पर नजर रखना जरूरी, चुपचाप रहकर करते हैं ‘बड़ा प्रहार’

-हेल्थ सिटी विस्तार हॉस्पिटल बना आरएसएसडी के 10 गुणा 10 ब्लड प्रेशर चैलेंज अभियान का हिस्सा

-हाईपरटेंशन के साथ डायबिटीज ज्यादा खतरनाक, 10 दिनों में 1000 लोगों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य

-स्क्रीनिंग में चिन्हित मरीजों के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध करायेगा अस्पताल : डॉ केपी चंद्रा

डॉ केपी सिंह

सेहत टाइम्स

लखनऊ। रिसर्च सोसायटी फॉर द स्टडी ऑफ़ डायबिटीज इन इंडिया आरएसएसडी द्वारा चलाए जा रहे 10 गुणा 10 ब्लड प्रेशर चैलेंज अभियान के तहत हेल्थ सिटी विस्तार सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और ट्रॉमा सेंटर में 25 मई से 3 जून तक 10 दिनों का एक स्क्रीनिंग प्रोग्राम चलाया जा रहा है। यह स्क्रीनिंग प्रोग्राम अस्पताल के डिपार्मेंट ऑफ इंटरनल मेडिसिन एंड डायबिटीज केयर के मुख्य परामर्शदाता डॉ केपी सिंह के नेतृत्व में आयोजित किया जा रहा है।

इस बारे में ‘सेहत टाइम्स’ से विशेष मुलाकात में डॉ के पी चंद्रा ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत अस्पताल का लक्ष्य कम से कम 1000 लोगों की स्क्रीनिंग करना है इसके तहत हम लोग व्यक्ति का ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर चेक करेंगे, स्क्रीनिंग के बाद जिन व्यक्तियों को जिन विशेषज्ञों से सलाह लेनी होगी या आवश्यक जांच करनी होगी उसे 50% का डिस्काउंट दिया जाएगा।

डॉ चंद्र ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य साइलेंट किलर मानी जाने वाले बीमारियां हाइपरटेंशन और डायबिटीज का समय रहते पता लगाना है, जिससे कि वे लोग इन बीमारियों के चलते लॉन्ग टर्म में होने वाली होने वाले बड़े नुकसान से बच सके डॉक्टर चंद्रा ने बताया कि इन दोनों बीमारियों को साइलेंट किलर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनके कोई लक्षण शुरुआत में नजर नहीं आते हैं। बहुत बार देखा गया है कि ये दोनों बीमारी लोगों को होती है लेकिन उन्हें पता नहीं होता है, लोग कहते हैं कि मुझे कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन वास्तविकता यह है कि ये दोनों बीमारियों छुपी रुस्तम हैं। डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण तब समझ आते हैं जब हार्ट अटैक पड़ता है, लकवा मार जाता है, किडनी खराब हो जाती है, जबकि यह बीमारी कई वर्षों से थी। ऐसे में समझदारी यह है कि लोगों के अंदर जागरूकता पैदा करके इन बीमारियों को समय रहते पहचाना जाये और इसका इलाज करके इन्हें कंट्रोल में रखा जाये, जिससे इसके चलते होने वाले दूरगामी नुकसान हार्ट, लिवर, किडनी, नसों आदि के नुकसान से बचा जा सके। इसीलिए 10 दिन के इस विशेष स्क्रीनिंग कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि डायबिटीज अपने आप में एक खतरनाक बीमारी है और इसके साथ हाई ब्लड प्रेशर मिल जाता है तो यह ज्यादा खतरनाक हो जाती है। डायबिटीज के कॉम्प्लीकेशंस है हार्ट फेल्योर, किडनी, आंख, लिवर का खराब होना, लकवा मारना, जिसे कार्डियोवस्कुलर आउटकम कहा जाता है। इसका खतरा डायबिटीज वाले मरीज को सामान्य मरीज की अपेक्षा चार गुना ज्यादा होता है और अगर डायबिटीज के साथ हाई ब्लड प्रेशर भी हो जाये और समुचित इलाज न हो तो यह खतरा 10 गुना तक हो जाता है।

डॉ चंद्रा ने बताया कि जिन लोगों को डायबिटीज हो जाती है उनकी लगभग 10 साल प्रोडक्टिविटी लाइफ कम हो जाती है और अगर डायबिटीज के साथ ब्लड प्रेशर हाई ब्लड प्रेशर भी हो गया तो यह अवधि 15 साल हो जाती है। डॉ चंदा ने बताया कि इसके विपरीत यदि डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी का जल्दी पता लग जाए तो इन्हें इनका उपचार करके नियंत्रित रखा जा सकता है और नियंत्रित रखने से लॉन्ग टर्म वाली इन बड़ी बीमारियों से व्यक्ति को बचाया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि डायबिटीज के इलाज के तीन पहलू होते हैं दवा खान पान और तनाव रहित जीवन शैली। डॉ चंदा ने बताया कि इसमें प्रथम पहलू दवा वाला लोग तुरंत चुन लेते हैं क्योंकि यह बहुत आसान होता है जबकि इसके साथ ही बाकी के दोनों पहलू यानी खानपान और शारीरिक श्रम, तनावरहित जीवन शैली भी आवश्यक है उन्होंने बताया कि खानपान की बात करें तो मेरी सलाह है कि आप सात्विक भोजन करें। उन्होंने बताया कि अक्सर ऐसा होता है कि लोग चाट, पकौड़ी, समोसा जैसी चीजें खाते रहते हैं और जब भोजन का नंबर आता है और तो वह पूरा खाना खाते हैं, जबकि होना यह चाहिये कि जो भी आप खाएं उसको अपने भोजन में काउंट जरूर करें।

उन्होंने कहा​ कि इसी प्रकार शारीरिक श्रम बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा एक व्यक्ति अपनी ड्यूटी में जब 8 घंटे लगातार कुर्सी पर बैठता है तो उससे उसके दिल को जो नुकसान पहुंचता है वह एक पैकेट सिगरेट पीने के बराबर होता है। उन्होंने कहा कि हर एक घंटे बाद कुर्सी से उठकर 5 से 10 मिनट टहल लेना चाहिए। आप 1 घंटे कोई भी शारीरिक श्रम वाला व्यायाम जैसे बैडमिंटन खेलना, योगा करना, जिम जाना, साइकिल चलाना अपनी दिनचर्या में शामिल करें। उन्होंने कहा कि कोशिश करना चाहिए कि तनाव रहित रहें, मैंने देखा है कि लोग सिर्फ काम काम के चक्कर में अपनी शरीर को समुचित आराम नहीं देते हैं। उन्होंने कहा स्टडी बताती हैं कि देर रात तक जागने वालों
के काउंटर रेगुलेटरी हार्मोन ज्यादा रहते हैं। उनका ब्लड शुगर बढ़ा हुआ रहता है। जबकि यदि आज अपने शरीर को समुचित आराम देते हैं, सात से आठ घंटे की नींद लेते हैं तो आपका काउंटर रेगुलेटरी रिलेक्स करता है, ब्रेन को आवश्यक एनर्जी मिलती है, काम करने की क्षमता बेहतर होती है। नींद का एक फिक्स टाइम रखिये रात्रि को 9 से 12 के बीच में सोना और सुबह 6 से 8 के बीच में जागना सुनिश्चित करिये।

कॉम्प्लीमेंटरी योग सत्र आयोजित कर रहा हॉस्पिटल

उन्होंने बताया कि हेल्थ सिटी विस्तार के सोसाइटी आउटरीच प्रोग्राम में एक नि:शुल्क योगा कार्यक्रम रोज सुबह आयोजित किया जाता है, इसमें यहां आसपास रहने वाले लोग हिस्सा लेते हैं। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में अस्पताल के प्रशिक्षित योगा विशेषज्ञ योगा करने वालों का मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने कहा कि हम लोग यह अपील करते हैं कि अस्पताल के परिसर में हरियाली से भरे, स्वच्छ वातावरण में आइये और योगा ​करिये, और अच्छे स्वास्थ्य से भरे जीवन का आनंद उठायें।

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