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इप्‍सेफ की दो टूक, पुरानी पेंशन व फ्रीज डीए का भुगतान नहीं, तो वोट नहीं

-इप्‍सेफ ने प्रधानमंत्री से की मांग, कहा कि सांसदों-विधायकों को पेंशन तो कर्मचारियों को क्‍यों नहीं

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। इप्सेफ ने प्रधानमंत्री से पुरानी पेंशन की बहाली एवं फ़्रीज़ डीए के भुगतान करने की पुरजोर मांग करते हुए कहा है कि यदि दोनों मांगों पर निर्णय नहीं किया गया तो विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल को कर्मचारियों एवं शिक्षक परिवारों का एक भी वोट नहीं मिलेगा।

इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्र एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने प्रधानमंत्री से पुनः आग्रह किया है कि सरकार गांव से राजधानी तक काम करने वाले कर्मचारियों को पुरानी पेंशन को बहाल करे, क्योंकि तमाम वर्गों को सरकार पेंशन दे रही है यहां तक कि मंत्रि‍मंडल के सदस्य, सांसदों एवं विधायकों को भी पेंशन दी जा रही है। शिक्षक वर्ग की भी यह मांग है, सेवानिवृत्त कर्मचारी का पेंशन ही सहारा होती है। प्रेमचंद्र ने कहा है कि भारत सरकार का दावा है कि उसकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो गई है तो फिर फ़्रीज़ डी ए का भुगतान क्यों नहीं हो रहा है।  

वी पी मिश्र ने प्रधानमंत्री से कहा है कि वह गोपनीय सर्वे कराएं देशभर का कर्मचारी एवं शिक्षक परिवार विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल को अपना मत नहीं देगा।  

देश भर में लगभग 5 करोड़ कर्मचारी शिक्षक हैं उसके परिवार को लेकर कुल 25 करोड़ होता है। दोनों नेताओं ने खेद व्यक्त किया है कि कई राज्य सरकारों ने महंगाई भत्ते की किस्त का भुगतान, आउटसोर्सिंग/संविदा कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा, न्यूनतम वेतन, विनियमितीकरण नियमावली नहीं बनाई है। रिक्त पदों पर भर्ती पदोन्नतियां नहीं की जा रही हैं। कोविड-19 में अपनी जान पर खेलकर मरीजों की सेवा करने वाले कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया है। सातवें वेतन आयोग की वेतन विसंगतियों को दूर नहीं किया गया है। एस्मा लगाकर उन्हें लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन/प्रदर्शन/हड़ताल करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कर्मचारी संगठनों से बात नहीं की जा रही है अगर बात होती भी है तो निर्णय का कार्य वृत्त नहीं जारी किया जाता है। कई और भत्तों की कटौती कर दी गई है।  

नेताद्वय ने कहा कि उपरोक्त परिस्थितियों में देशभर के कर्मचारी में आक्रोश एवं नाराजगी जायज है। प्रधानमंत्री से पुरजोर आग्रह है कि कर्मचारियों की पीड़ा पर गौर करके आपसी बातचीत के माध्यम से कर्मचारियों-शिक्षकों की नाराजगी दूर करें अन्यथा बाध्य होकर कर्मचारी परिवार अपने अधिकार का प्रयोग करेगा।

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