-5 से 8 दिसम्बर तक इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित किया जा रहा कार्डियोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया का 76वां वार्षिक सम्मेलन
-देश-विदेश के छह हजार हृदय रोग विशेषज्ञों के आने का अनुमान
-अचानक हो रही मौतों के कारण को लेकर अभी कुछ भी कहना मुश्किल, सीपीआर ही बचाव का रास्ता
सेहत टाइम्स
लखनऊ। कार्डियक अरेस्ट (दिल की धड़कन रुकने) से अचानक हो रही मौतों के कारण को लेकर विशेषज्ञ अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं, कोरोना से इसका सम्बन्ध है अथवा नहीं, अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है, मौत का कारण जानने के लिए शव का पोस्टमॉर्टम आवश्यक है। उन्होंने बताया कि ऐसी मौतों से बचने के लिए जो किया जा सकता है वह है ज्यादा से ज्यादा लोगों को सीपीआर (cardiopulmonary resuscitation) देने का तरीका सिखाना। सीपीआर से दिल की धड़कन रुकने का शिकार हुए व्यक्ति की छाती को दोनों हाथों से दबा-दबाकर व्यक्ति की रुकी धड़कन को चालू किया जा सकता है।
यह जानकारी संजय गांधी पीजीआई में आज 4 दिसम्बर को आयोजित पत्रकार वार्ता में पूछे गये प्रश्नों के उत्तर में दी गयी। इस पत्रकार वार्ता का आयोजन कार्डियोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया के 5 से 8 दिसम्बर तक आयोजित होने वाले चार दिवसीय वार्षिक सम्मेलन की जानकारी देने के लिए किया गया था। पत्रकार वार्ता में आयोजन अध्यक्ष डॉ आदित्य कपूर, आयोजन सचिव डॉ सत्येन्द्र तिवारी, कॉन्फ्रेंस के मीडिया इंचार्ज डॉ अवधेश शर्मा, डॉ रूपाली खन्ना और डॉ अंकित साहू ने सम्मेलन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही पत्रकारों द्वारा पूछे गये प्रश्नों के उत्तर भी दिये। डॉ सत्येन्द्र तिवारी ने बताया कि 1995 के बाद अब उत्तर प्रदेश कार्डियोलॉजी सोसाइटी को इस आयोजन की जिम्मेदारी मिली है, यह प्रदेश के लिए भी गर्व की बात है। डॉ सत्येन्द्र तिवारी ने बताया कि इवेंट होता है तो उस प्रदेश, शहर के प्रति ग्लोबली नजरिया बदल जाता है। उन्होंने बताया कि अमेरिका के डॉ जगत नरूला जो 1 जनवरी 2025 से वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अध्यक्ष बनने जा रहे हैं, इस कॉन्फ्रेंस के मुख्य अतिथि होंगे तथा एसजीपीजीआई लखनऊ के निदेशक प्रो आरके धीमन विशिष्ट अतिथि होंगे। उन्होंने बताया कि पूर्व में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आमंत्रित किया गया था, लेकिन अचानक सूचना प्राप्त हुई है कि मुख्यमंत्री दूसरे कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे हैं, इसलिए कॉन्फ्रेंस में आना संभव नहीं है।
डॉ अवधेश शर्मा ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में 6 से 7 हजार हृदय रोग विशेषज्ञ आयेंगे और महत्वपूर्ण बात है कि इसमें 500 से 1000 अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ आयेंगे। कॉन्फ्रेंस की थीम प्रीवेन्शन टू इंटरवेन्शन (बचाव से उपचार तक) रखी गयी है।
डॉ आदित्य कपूर ने कहा कि जैसा कि आप सभी जानते हैं कि उपचार से बेहतर बचाव है, उसी प्रकार हमारा भी ज्यादा फोकस बदले हुए हालातों में बढ़ रहे हार्ट के मामलों में बचाव के बारे में लोगों को जागरूक करना है, इसीलिए कॉन्फ्रेंस में मुख्य जोर हृदय रोगों की रोकथाम कैसे करें, इस पर होगा।
डॉ रूपाली खन्ना ने बताया कि इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित की जा रही इस कॉन्फ्रेंस में पांच हॉल में एक साथ कार्यक्रम चलेंगे। इन हॉल में अलग-अलग विषयों पर चर्चा, जानकारी दी जायेगी। प्रथम हॉल में नयी-नयी दवाओं के बारे में चर्चा, दूसरे हॉल में नयी तकनीकियों पर चर्चा, तीसरे-चौथे हॉल में इमेजेस पर आधारित इंटरवेंशन पर चर्चा, इलेक्ट्रो फीजियोलॉजी तथा पांचवें हॉल में स्टूडेंट्स को प्रशिक्षण के मद्देनजर जानकारियां दी जायेंगी, यहीं इन स्टूडेंट्स के रिसर्च पेपर्स आदि पर भी चर्चा यहीं होगी। डॉ रूपाली ने बताया कि महिलाओं में होने वाले हृदय रोगों के लिए अलग सत्र रखे गये हैं, जिनमें सिर्फ महिलाओं को होने वाले हृदय रोगों पर चर्चा की जायेगी, जैसे प्रेग्नेंसी करें या न करें, क्या सतर्कता रखें, इन पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि इस कॉन्फ्रेंस से यूपी के टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा।
9 घंटे का क्रेडिट आवर मिलेगा
प्रो अंकित साहू ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में बच्चों में होने वाले हृदय रोगों के बारे में विस्तार से चर्चा होगी। उन्होंने बताया कि एक और खास बात यह है कि हमारी इस कॉन्फ्रेंस को अटेन्ड करने वाले चिकित्सक को 9 क्रेडिट आवर्स मिलेंगे, जो कि एक अच्छी संख्या कही जा सकती है क्योंकि आमतौर पर कॉन्फ्रेंस में अधिकतम तीन क्रेडिट आवर दिये जाते हैं, लेकिन इस वृहद कॉन्फ्रेंस को देखते हुए उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल ने 9 प्वॉइंट दिये जाने की घोषणा की है। ज्ञात हो भारत की बात करें तो यहां एक चिकित्सक को पांच साल में कम से कम 30 क्रेडिट आवर अनिवार्य रूप से हासिल करने का नियम नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा बनाया गया है।