-यूपी के सभी जिलों के सीएमओ व अन्य डॉक्टरों, टेक्नीशियनों के लिए आयोजित हुई कार्यशाला
-ऑनलाइन कार्यशाला में दिया गया सामान्य आईसीयू प्रबंधन को लेकर प्रशिक्षण
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। कोविड-19 से ग्रस्त मरीजों में अगर 95 प्रतिशत से कम ऑक्सीजन मिले, उसे बेहोशी आ रही हो, निम्न रक्तचाप जैसे लक्षण दिखायी दें तो इसका मतलब है कि मरीज को गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती करने की आवश्यकता है। ऑक्सीजन, स्टेरॉयड, आईवीफ्लूड, बीपी को सामान्य बनाए रखने के लिए दवाएं, डायबिटीज जैसी अन्य बीमारियों का उपचार व विशेषज्ञ की राय के अनुसार रेमेड्सविर और टोसीलिजुमाब जैसी दवाओं द्वारा विशिष्ट उपचार शामिल हैं। आईसीयू में सुधार आने के पश्चात रोगी को वार्ड में भेजा जा सकता है। यह तब किया जा सकता है जबकि मरीज का बीपी सामान्य हो, रोगी सचेत हो, खून में ऑक्सीजन की मात्रा 95 प्रतिशत से ज्यादा हो।
यह सलाह यूपी सरकार के चिकित्सा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग और संचारी रोग विभाग द्वारा वेबिनार के माध्यम से आयोजित कार्यशाला में अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित केजीएमयू के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग व इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा और एप्लाइड इम्यूनोलॉजी के अध्यक्ष डॉ सूर्यकांत ने दी। सामान्य आईसीयू प्रबंधन के बारे में आयोजित यह राज्य स्तरीय कार्यशाला उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, एनेस्थेटिस्ट, फिजिशियन, चेस्ट फिजिशियन, स्टाफ नर्स, टेक्नीशियनों के प्रशिक्षण के लिए आयोजित की गई थी।
डीजी परिवार कल्याण डॉ0 मिथलेश चतुर्वेदी और संचारी रोग के संयुक्त निदेशक, डॉ राजेंद्र कपूर ने बताया कि 75 जिलों के 304 केंद्रों ने प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग लिया गया। उन्होंने बताया कि इस मौके पर महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य उ0प्र0 डॉ डी.एस. नेगी ने भी समस्त लोगों को नॉन इनवेसिव वेंटिलेशन पर प्रशिक्षण दिया। डा0 राजेंद्र कपूर ने बताया कि डा0 सूर्यकांत के ज्ञानवर्धक और विचारशील व्याख्यान ने गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में गंभीर कोविड 19 रोगी के प्रबंधन पर प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया।
मरीज की इम्यूनिटी तय करती है संक्रमण की गंभीरता
डॉ सूर्यकांत ने बताया कि एक मरीज की इम्यूनिटी संक्रमण की गंभीरता को तय करती है। बहुत अच्छी प्रतिरक्षा वाले रोगी लक्षण रहित रहते हैं, कम इम्यूनिटी वाले रोगी में हल्के से मध्यम लक्षण होंगे और खराब इम्यूनिटी वाले रोगी को गंभीर संक्रमण होगा और आईसीयू में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है।
सिर्फ पांच प्रतिशत को आवश्यकता होती है आईसीयू व वेंटीलेटर की
डॉ सूर्यकांत, जो नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन और इंडियन चेस्ट सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं, ने बताया कि किसी को कोरोना संक्रमण के बारे में घबराहट नहीं होनी चाहिए क्योंकि लगभग 50 प्रतिशत संक्रमित रोगी लक्षण रहित होते हैं। मध्यम मामलों में 81 प्रतिशत रोगियों में हल्के लक्षण और 14 प्रतिशत में मध्यम लक्षण और 5 प्रतिशत गंभीर लक्षण वाले होते हैं जिनको आईसीयू और यांत्रिक वेंटिलेशन की आवश्यकता हो सकती है। आईसीयू प्रबंधन आरम्भ करने के लिए रोगी को वर्गीकृत करने की आवश्यकता है।
डॉ सूर्यकांत ने अपने सम्बोधन में कहा कि कोविड 19 की महामारी पूरे भारत और हमारे राज्य में गंभीर रुग्णता और मृत्यु दर का कारण बना है। वर्तमान में संक्रमण दर एक खतरनाक दर में बढ़ रही है और मृत्युदर और गंभीर हो गयी है। वर्तमान परिदृश्य के मद्देनजर उचित रोगी प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के समुचित प्रशिक्षण की विशेष रूप से गंभीर रूप से बीमार रोगियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
इलाज से बेहतर रोकथाम
डॉ सूर्यकांत ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि रोकथाम इलाज से बेहतर है, प्रोफेसर सूर्यकांत ने विभिन्न रोकथाम के तरीकों और फेफड़े की प्रतिरक्षा बढ़ाने के बारे में संक्षेप में बताया। जिन लोगों को संक्रमण से रोका जाना है, उसमें बच्चे, बुजुर्ग लोग, गर्भवती महिलाएं और अन्य लम्बी बीमारी जैसे डायबिटीज से ग्रसित लोग शामिल हैं। नमस्ते, शारीरिक दूरी, जूते उतारना, घर के प्रवेश पर चप्पल, हाथ धोने, घर से बाहर जाने पर मास्क पहनना, स्वस्थ आहार और पोषण, ध्यान, योग, व्यायाम, और अच्छी नींद जैसे रोकथाम के तरीके।
चीनी के स्थान पर गुड़ खाना फायदेमंद
चीनी के स्थान पर गुड़ खाना फायदेमंद है। पानी में विभिन्न आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं (सोडियम, पोटेशियम) जो अंगों के महत्वपूर्ण कार्य के लिए आवश्यक होते हैं। फेफड़ों की प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए गर्म पानी, चाय, कॉफी, सूप जैसे पेय अक्सर लिया जाना चाहिए। नींद बढ़ी हुई प्रतिरक्षा के लिए फायदेमंद है, वयस्कों के पास 7 घंटे की अच्छी नींद होनी चाहिए। मानसिक शांति या मानसिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर तेजी से चिकित्सा को बढ़ावा देता है। नियमित ध्यान, आध्यात्मिक और मानसिक प्रतिरक्षा में सुधार करने में मदद करता है। मोटापा सभी बीमारियों का घर है क्योंकि यह प्रतिरक्षा को कम करता है। कोविड 19 के लिए मोटापा भी एक जोखिम कारक है। एक चेस्ट विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने फेफड़ों की प्रतिरक्षा में सुधार करने के तरीकों की सलाह दी जिसमें भाप लेना, धूम्रपान बंद करना और प्राणायाम शामिल हैं।
कार्यशाला के दौरान डॉ सूर्यकान्त, डॉ अजय कुमार वर्मा और डॉ रवि प्रकाश ने सभी सम्मिलित प्रतिभागियों के सवालों के उत्तर भी दिये।