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लोहिया संस्थान में जल्द शुरू होगा ग्रेन्यूलोसाइट्स डोनेशन व ट्रांसफ्यूजन 

-निदेशक डॉ सोनिया नित्‍यानंद की ग्रेन्यूलोसाइट्स ट्रांसफ़्यूज़न पर है सफल रिसर्च

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। डॉ० राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में पहली “स्वैच्छिक प्लेटलेट डोनर रजिस्ट्री” शुरू करने के बाद अब लोहिया संस्थान के ब्लड बैंक द्वारा  ग्रेन्यूलोसाइट्स डोनेशन और हेमेटोलॉजी द्वारा ट्रांसफ्यूजन जल्द से जल्द शुरू होने जा रहा है।

संस्थान द्वारा जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि लोहिया संस्थान में भी हेमेटोलॉजी विभाग की स्थापना के बीज का रोपण डॉ० सोनिया नित्यानंद द्वारा किया जा चुका है।  निदेशक डॉ० सोनिया नित्यानंद, जो एक प्रख्यात हेमटोलॉजिस्ट हैं और संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ में हेमटोलॉजी विभाग के संस्थापक भी हैं, उनकी विशेषज्ञता के साथ ग्रैनुलोसाइट फेरेसिस की स्थापना की गई है। 

विज्ञप्ति के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य में पहला ग्रैनुलोसाइट ट्रांसफ्यूजन 27 मई 2002 को प्रो० (डॉ०) सोनिया नित्यानंद द्वारा एक मरीज, सु०पा० के लिए किया गया था, जो कि  सेप्टिसीमिया व ई०कोलाई पायोमायोसिटिस  नाम के प्राणघातक रोग से पीड़ित थे। ये रोगी अप्लास्टिक एनीमिया  नामक एक हेमेटोलॉजी बीमारी के रोगी थे, जिसके लिए उसी वर्ष उनका एक सफल अस्थि-मज्जा प्रत्यारोपण (बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन) भी किया गया था।  वर्तमान में रोगी, जो कि 2 बच्चों के पिता हैं, हेमटोलॉजी ओ०पी०डी० में नियमित रूप से दिखाने आते हैं।

 232 सफल ग्रैनुलोसाइट ट्रांसफ़्यूज़न पूर्ण होने के उपरांत, अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय ने अकादमिक उपलब्धि के इस शोध कार्य व प्राण-रक्षक उपचार को  डाॅ० सोनिया नित्यानंद व टीम द्वारा उल्लेखित एक पेपर के रूप में 27 दिसंबर, 2018 को क्लिनिकल हेमेटोलॉजी के PLOS ONE नामक अंतर्रष्ट्रीय ख्याति प्राप्तस बसे प्रतिष्ठित पत्रिका में से एक में प्रकाशित किया। इसका शीर्षक  ‘गंभीर न्यूट्रोपेनिया के साथ रोगियों में जीवन के लिए संक्रमण का मुकाबला करने में ग्रैनुलोसाइट आधान की भूमिका: उत्तरी भारत में एक तृतीयक देखभाल केंद्र से अनुभव’ था।

डॉ० सोनिया नित्यानंद के डॉ.०राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में निदेशक के पद पर नियुक्‍त होने के बाद  डॉ० आरएमएलआईएमएस, लखनऊ में हेमेटोलॉजी से संबंधित रोगियों का उपचार शुरू हो गया है, और इन रोगियों के इलाज के लिए संख्‍या लगातार बढ़ रही है।

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