-इप्सेफ के प्रतिनिधिमंडल को राजनाथ सिंह ने दिया आश्वासन
सेहत टाइम्स
लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस इम्प्लॉइज फेडरेशन इप्सेफ के प्रतिनिधिमंडल की केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से नई दिल्ली में उनके आवास पर कर्मचारियों की मांगों पर विस्तार से चर्चा हुई। रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के प्रति उनकी पूरी सहानुभूति है, उनकी समस्याओं पर सकारात्मक निर्णय करने का प्रयास करेंगे।
श्री सिंह ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली सहित अन्य दोनों के संबंध में इप्सेफ अपने तर्कसंगत प्रस्ताव को भारत सरकार को प्रस्तुत करे तो उस पर गंभीरता से सकारात्मक समाधान निकालने का प्रयास करेगी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के वित्तीय अधिकारी कहते हैं कि वह ओ पी एस से ज्यादा लाभदायक एनपीएस है। उसमें ज्यादा पेंशन धनराशि मिलेगी उन्होंने कहा कि IPSEF के पदाधिकारी भी उस मांगों पर अध्ययन करके अपना भी तर्कसंगत प्रस्ताव उनके समक्ष प्रस्तुत करें जिससे दोनों पक्षों के प्रस्तावों पर वे दोनों पक्षों से बात कर कर्मचारियों के हित में निर्णय कराने का पूरा प्रयास करेंगे।
श्री सिंह ने विश्वास दिलाया कि उनका पूरा प्रयास कर्मचारियों की तीनों मांगों के प्रति सकारात्मक है और उच्च स्तर पर बातचीत करके निर्णय का पूरा प्रयास करेंगे। इप्सेफ नेताओं ने रक्षा मंत्री का कर्मचारियों की मांगों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
इप्सेफ के वी पी मिश्र के नेतृत्व में मिलने गये 7 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में प्रेमचंद्र महासचिव, अतुल मिश्रा राष्ट्रीय सचिव, अजय वीर यादव अध्यक्ष दिल्ली व सुरेश रावत आदि शामिल थे। वी पी मिश्र ने मांग पत्र रक्षा मंत्री के समक्ष रखा जिसमें प्रमुख पुरानी पेंशन की बहाली, आउटसोर्सिंग/संविदा /तदर्थ कर्मचारियों के विनियमितीकरण के लिए नीति लाने एवं सरकारी तंत्र को समाप्त करके निजी क्षेत्र में सौंपने आदि मसलों पर विस्तार से चर्चा हुई।
प्रेम चंद्र ने मांग रखते हुए कहा कि ओ पी एस को समाप्त कर पुरानी पेंशन लागू करने की मांग पर देश भर के लाखों कर्मचारी एवं शिक्षक परिवार नाराज एवं आक्रोशित हैं और आंदोलन के लिए बाध्य कर रहे हैं, इसलिए ओ पी एस को बहाल करना कर्मचारियों के परिवार के हित में है।
अतुल मिश्रा राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि ओ पी एस की बहाली के साथ साथ देश भर में आउटसोर्सिंग /संविदा एवं तदर्थ रूप से लाखों नौजवानों का भविष्य अंधकार में है। उन्हें न तो सम्मानजनक वेतन मिलता है न ही उनकी सेवाएं सुरक्षित हैं। उन्हें एजेंसी कर्मचारी माना जाता है, इसलिए उनके भविष्य के लिए एक नीति बनाकर नियमित किया जाए।
सुरेश रावत ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों में निजीकरण कर पी पी पी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज बनाने से सरकार के काम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, इसलिए सरकारी तंत्र में निजीकरण ना किया जाए।