सेवानिवृत्त कर्मियों की पेंशन का रिवीजन नहीं होता
लखनऊ। आपको सुनकर ताज्जुब होगा कि बैंक में जनरल मैनेजर पद से रिटायर हुआ अधिकारी मात्र चार हजार रुपये पेंशन पा रहा है, सोचिये एक बड़े अधिकारी की पेंशन का यह हाल है तो कर्मचारियों की बात ही क्या। ऑल इडिया इलाहाबाद पेंशनर्स एंड रिटायरीज एसोसिएशन के बैनर तले दर्जनों पेंशनर्स ने मीडिया के समक्ष अपनी पेंशन विसंगति एवं कई समस्याएं रखी। भारत सरकार और इंडियन बैंक एसोसिएशन से विसंगति दूर करने की मांग करते हुए पेंशनर्स ने बताया कि बैंक से सेवानिवृत्त कर्मचारियों की समयानुसार पेंशन रिवीजन नहीं होती है, रिटायर होने के समय मूल वेतन पर एक बार जो पेंशन फिक्स होती है, वहीं आजीवन मिलती रहती है। यही वजह है कि वर्ष 1986 में जनरल मैनेजर पद से सेवानिवृत्त होने वाला अधिकारी वर्तमान में मात्र चार हजार रूपये पेंशन पा रहा है, पेंशनर्स की मृत्युपरांत विधवा को मात्र दो हजार रूपये भी मिलना मुश्किल हैं। जिसमें गुजारा करना मुश्किल है।
शुक्रवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में एसोसिएशन के प्रदेश मंत्री राम लक्ष्मण गुप्ता ने बताया कि सरकारी विभागों में कर्मचारियों की वेतनवृद्धि के साथ ही पेंशनर्स की बेसिक सैलरी रिवाइज कर, पेंशन वृद्धि की जाती है, उसी तरह ही उनकी भी समयबद्ध पेंशन की वृद्धि हो। इसके अलावा सरकारी विभाग और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में कर्मचारियों के मूल वेतन का लगभग 3० प्रतिशत, पेंशन निर्धारण किया जाता है, जबकि राष्ट्रीयकृत बैंकों ने परिवारिक पेंशन देने के तीन कैटैगरी निर्धारित कर रखी हैं, पहली कैटगरी में मूल वेतन 11००० पाने वाले हैं, जिन्हें मूल वेतन का 3० प्रतिशत पेंशन फिक्स की जाती है,इसके बाद 11००1 से 22००० तक का मूल वेतन पाने वालों को 2० प्रतिशत और 22००० से ज्यादा बेसिक वालों को मात्र 15 प्रतिशत पेंशन निर्धारित की जाती है। जिसकी वजह से मौजूदा समय में लगभग पांच लाख पेंशनर्स में अधिकांश पेंशनर्स 15 प्रतिशत की कैटेगरी में ही आते हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष नित्यानंद दुबे का कहना है कि जो पेंशनर्स नौवें वेतन समझौते में सेवानिवृत्त हुए हैं, मूल वेतन के आधार पर उनकी पेंशन 26००० बनती हैं, जबकि उसी रैंक के अधिकारी, जो 1० वें वेतन समझौते में रिटायर होने पर 46००० पेंशन बनती है। यह बहुत बड़ी विसंगति है, इसके लिए हम लोग कई बार सरकार और बैंक प्रशासन से मांग करते आ रहें हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के अनुरूप बैंक पेंशनर्स की पेंशन हर वेतन समझौते के साथ अद्यतन(अपडेट) की जाये। पत्रकार वार्ता में एसोसिएशन के सरल कुमार मालवीय, ललित मोहन पाण्डेय, हरिहर सिंह, आर के रावत, पीडी कुरील, परसुराम मौर्या एवं अविनाश सक्सेना समेत कई पेंशनर्स मौजूद रहें।
चिकित्सकीय सुविधाओं से वंचित पेंशनर्स
एसोसिएशन के प्रवक्ता आलोक पाण्डेय ने आईबीए से मांग रखी है कि सरकारी कर्मचारियेां की भांति उन बैंक कर्मचारियों को भी कैशलेश चिकित्सकीय सुविधाएं मिलनी चाहिये, क्योंकि चिकित्सकीय सुविधाएं इस कदर महंगी हो चुकी हैं कि आम आदमी खर्च वहन करने में असमर्थ हैं। बैंक पेंशनर्स अपनी अपनी पेंशन से महंगा इलाज कराने को मजबूर हैं। इसके अलावा बैंक द्बारा कराये जाने वाले ग्रुप हेल्थ इंशोरेंस की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि सेवारत बैंक कर्मचारियों का प्रीमियम, बैंक देता है जबकि हम पेंशनर्स को इंशोंरेंस का प्रीमियम खुद ही जमा करना पड़ता है। एक वर्षीय इंशोरेंस का प्रीमियम लगभग 9० से 95 हजार आता है,जिसे जमा करने में तीन से चार माह की पेंशन लग जाती है। बैंक प्रशासन से मांग है कि पेंशनर्स का प्रीमियम, सेवारत कर्मचारियों की भांति बैंक द्बारा जमा किया जाये ताकि सेवानिवृत्त कर्मचारियों का जीवन सरल हो सके।
वर्तमान पेंशनर्स की भांति मिले महंगाई भत्ता
इलाहाबाद बैंक अधिकारी संगठन के प्रांतीय सचिव राम नाथ शुक्ल ने बताया कि महंगाई भत्ता कई श्रेणियों में दिया जाता है। वर्ष 1 नवम्बर 2००2 से पूर्व के पेंशनर्स को टेपर्ड आधार पर डीए दिया जाता है, जबकि 2००2 के पश्चात रिटायर होने वाले पेंशनर्स को डीए 1०० प्रतिशत न्यूटेàलाइजेशन के आधार पर दिया जाता है, हम लोगों की मांग हैं कि सभी पेंशनर्स को एक समान 1०० न्यूट्रेलाइजेशन के आधार पर महंगाई भत्ते का भुगतान किया जाये। उन्होेंने बताया कि हम बैंक पेंशनर्स की पेंशन विसंगति दूर करने एवं अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए बैंकों को अतिरिक्त बजट की जरूरत नहीं है, बैंकों के पास अनुमानता दो लाख 5० हजार करोड़ का फंड एकत्र है, यह रूपया हम लोगों द्बारा बैंक के लिए कमाए गया फंड है। जिसके व्याज के छोटें से अंश से हम पेंशनर्स की मांगे पूर्ण हो जायेंगी, फिर भी वर्षो से बैंक प्रशासन हमारा अधिकार देने में आनाकानी कर रहा है।