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…फि‍र भी अगर होली पर हो जाये दुर्घटना तो इस तरह संभालें स्थिति

दुर्घटना स्‍थल से डॉक्‍टर के पास तक पहुंचाने में बरतें यह सावधानियां

प्रो विनोद जैन

लखनऊ। होली का मजा कुछ खास है, लेकिन यह तभी तक है कि जब तक दुरुस्‍त होशोहवास है। होली में शराब का नशा बहुत आम है। लोग शराब, भांग पीकर होली मनाते हैं। यही नहीं अक्‍सर देखा जाता है कि नशे की हालत में या बिना नशा किये भी बहुत लापरवाही के साथ सड़क पर वाहन चलाते हैं, रंग-पानी मिश्रित सड़कों पर वाहनों के फि‍सलने का डर बना रहता है। नशे का सेवन और बेलगाम वाहन चालन इस उल्लास पूर्ण होली के पर्व के मजे को बेमजा कर सकता है। आपका व घर परिवार सहित सबका मजा बेमजा न हो इसलिए जरूरी है होली में होशोहवास दुरुस्‍त रहे। रिकॉर्ड गवाह है कि सारी चेतावनियों के बाद भी होली पर दुर्घटनायें हो ही जाती हैं, दुर्घटनायें न हों ऐसी सभी की कामना रहती है, ‘सेहत टाइम्‍स’ भी यही चाहता है। अगर किसी भी कारणवश दुर्घटना हो जाये और आप सड़क पर जा रहे हों तो दुर्घटना के शिकार व्‍यक्ति को किस प्रकार उठाकर अस्‍पताल तक पहुंचाया जाये इसकी महत्‍वपूर्ण भूमिका होती है। इसी विषय पर ‘सेहत टाइम्‍स’ ने प्राथमिक देखभाल को लेकर दिये जाने वाले प्रशिक्षण के विशेषज्ञ किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍व विद्यालय के सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ विनोद जैन से वार्ता की।

 

डॉ जैन ने कहा कि उपचार से ज्‍यादा जरूरी है बचाव और बचाव हमेशा सावधानी बरत कर ही किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि मेरी लोगों से अपील है कि सुरक्षित तरीके से होली मनायें। उन्‍होंने कहा फि‍र भी अगर दुर्भाग्‍यवश अगर कोई दुर्घटना का शिकार हो जाता है तो दुर्घटना स्‍थल पर मौजूद लोग व्‍यक्ति को अस्‍पताल पहुंचाने तक के समय में क्‍या सावधानियां बरतें, यह अत्‍यंत आवश्‍यक है, क्‍योंकि इसमें गलती होने पर मरीज की परेशानी और भी बढ़ सकती हैं। उन्‍होंने कहा कि सर्वप्रथम तो यह बात समझ लें कि ऐसी स्थिति में मदद करने के लिए बढ़ते कदम यह सोचकर ठिठक जाते हैं कि मदद करने के बदले उसे बाद में परेशानियों का सामना न करना पड़े तो इसके लिए मैं यह स्‍पष्‍ट करना चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि ऐसी परिस्थिति में सहायता करने वाले व्‍यक्ति की पहचान गोपनीय रखी जाती है, इसके अलावा सहायता करने की मंशा के साथ किये गये प्रयास के दौरान अगर मरीज की मृत्‍यु भी हो जाती है तो सहायता करने वाले व्‍यक्ति को किसी भी तरह से परेशान नहीं किया जायेगा।

 

प्रो विनोद जैन ने बताया कि अगर आप रास्‍ते में जा रहे किसी व्‍यक्ति को दुर्घटनाग्रस्‍त होते देखें तो उनकी सहायता के लिए रुकें तथा मरीज की मदद के लिए आसपास के लोगों को बुलायें मरीज को अगर सांस लेने में दिक्‍कत हो रही है तो उसे अपने मुंह से सांस दें, बहते हुए खून को रोकने के लिए साफ कपड़ा, रूमाल से कसी हुई पट्टी बांध दें।

 

उन्‍होंने बताया कि इसी प्रकार चोट लगने पर उसके मुंह में अगर खून या उल्‍टी भरी हुई है तो उसे किसी चीज से साफ कर दें ताकि खून या उल्‍टी व्‍यक्ति की सांस नली में न चली जाये। उन्‍होंने बताया कि इसी प्रकार मरीज को उठाने से पहले यदि लगता है कि टांगों में फ्रैक्‍चर हुआ है तो दोनों टांगों को सीधा रखते हुए आपस में बांध दें। इसी प्रकार हाथ में फ्रैक्‍चर लग रहा हो तो दोनों हाथों को मरीज की कमीज के अंदर कर दें ताकि हाथ लटके नहीं। इसी प्रकार उठाते समय गर्दन को भी सीधा रखें लटकने न दें। उन्‍होंने कहा कि बेहतर यह होता है कि गरदन को संभालते हुए शरीर को सीधा रखने के लिए किसी डंडे में हाथ और पैर बांध कर उठाया जाये। इस सब बातों को बताने का आशय यह है कि चोटिल अंग को और ज्‍यादा क्षति न पहुंचे इसके लिए अंग अनावश्‍यक रूप से मुड़े नहीं। उन्‍होंने कहा कि साधारण शब्‍दों में कह सकते हैं कि व्‍यक्ति को लकड़ी के लट्ठे की तरह उठायें।

 

डॉ विनोद जैन ने बताया कि इस प्रकार कुछ सावधानियां अपनाकर सुरक्षित होली मनायी जा सकती है। उन्‍होंने कहा कि आपकी थोड़ी सी सावधानी किसी की जान बचा सकती है, क्‍योंकि जान बेशकीमती है, चाहे वह किसी की भी हो।

 

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