हम किसी से प्यार करेंगे या नहीं इसमें 55 प्रतिशत रोल सामने वाले की बॉडी लैंग्वेज का, 38 प्रतिशत आवाज और आवाज में उतार-चढाव का तथा 7 प्रतिशत रोल होता है बातों और शब्दों का
यह तो आपने अक्सर सुना होगा कि जब किसी को किसी से मुहब्बत होती है तो फिर उसकी रातों की नींद, दिन का चैन गायब हो जाता है, आखिर यह सब होता क्यों है? यह सवाल मन में घुमड़ने लगता है. क्या ये सारी चीजें सिर्फ कविता और कहानी में ही होती हैं? जी नहीं वास्तविक जीवन में इससे कहीं बढ़कर ये चीजें हमारी जिंदगी में भी होती है. और वैज्ञानिकों ने इसके केमिकल कारणों का पता लगा लिया है.
सोचकर देखिये ऐसा क्यों होता है कि किसी एक व्यक्ति से मिलते ही हमारे दिल की धडकनें बढ़ जाती हैं, उस की साधारण सी आवाज भी हमें संगीत लगती है और उसके साथ रहते हुए हमें जीवन ज्यादा अर्थपूर्ण लगता है? प्यार बहुत ही जटिल भावना है जहां चाहत भी है, ना मिलने पर तड़प भी है, उसे किसी और से साथ देखकर जलन भी है और उसके मिल जाने पर भी उसे अधिक पाने की आरजू भी है. दरअसल ये पूरा हमारे दिल नहीं बल्कि दिमाग और हॉर्मोन्स का खेल है.
शायरों ने भी वर्षों से इन खूबसूरत से एहसास को बहुत से अलग-अलग तरीकों से सजा कर पेश किया है. लेकिन इन सबका मर्म एक ही है, किसी एक व्यक्ति के प्रति ऐसी भावना जो सबसे अलग है, सबसे अधिक खूबसूरत है. प्यार क्या है ये जानने की कोशिश में अच्छे-अच्छों ने उपन्यास लिख डाले, इस रहस्यमई भावना का कारण पूरी तरह पता नहीं चल पाया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लेकिन इसका पता लगाने में कमर कसी वैज्ञानिकों ने, और प्यार होने के ‘केमिकल’ कारणों का पता लगा लिया है.
सिर्फ डेढ़ से चार मिनट में तय हो जाता है कि प्यार होगा या नहीं
साल 2012 में ‘साइकोफार्माकोलॉजी’ में एक आर्टिकल छपा था जिसमें प्यार के सभी मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और केमिकल कारणों के बारे में बताया गया था. इस आर्टिकल में जो सबसे रोचक बात थी वो ये कि हम किसी से प्यार करेंगे या नहीं, यह तय करने के लिए हम 90 सेकंड से 4 मिनट का समय लेते हैं! इस रिपोर्ट के अनुसार जब भी हम किसी के ‘प्यार’ में पड़ने वाले होते हैं इसमें तीन बातें महत्व रखती हैं. 55 प्रतिशत रोल सामने वाले की बॉडी लैंग्वेज का होता है. हमारा दिमाग सामने वाले के हाव-भाव देख्दर यह तय करने की कोशिश करता है कि इस व्यक्ति से हमें प्यार मिलेगा या नहीं. 38 प्रतिशत काम सामने वाले की आवाज और आवाज में उतार-चढाव का होता है तथा 7 प्रतिशत रोल उन बातों और शब्दों का होता है जिनका प्रयोग सामने वाला कर रहा होता है.
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हाल ही में हुई एक अन्य रिसर्च में प्यार में पड़ने के ये 3 स्टेप बताए गए हैं. इन तीनों स्टेप्स में अलग-अलग हॉर्मोन हमारे शरीर में रिलीज होते हैं. चाहे प्यार पहली नजर का हो या धीरे-धीरे अपने परवान चढ़ा हो, उसकी शुरुआत में जरूरी है वासना या एक दूसरे के प्रति सेक्सुअल आकर्षण का अनुभव होना. प्यार की शुरुआत बहुत हद तक शारीरिक आकर्षण की वजह से ही होती है. इसीलिए इन स्टेप में टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन नाम के हॉर्मोन रिलीज होते हैं जो आदमी और औरत के शरीर में बनते हैं. यह स्वस्थ शरीर की निशानी है और इन हॉर्मोन का निकलना शरीर और दिमाग को रिलैक्स करता है और उम्र बढ़ाने में भी मददगार होता है.
आकर्षण बढ़ाने में यह प्यार में पड़ने का सबसे हसीन दौर होता है. यही वो समय होता है जब आप अपने पार्टनर के प्रति आकर्षित होने लगते हैं. आपके स्वभाव में, रहन-सहन में और यहां तक की खाने-पीने और सोने में भी बदलाव आ जाता है. एक रिसर्च में जब नए कपल के दिमाग का MRI किया गया तो उसमें बहुत आश्चर्यचकित करने वाले नतीजे सामने आए. इन कपल्स के दिमाग में ख़ुशी और सुकून देने वाले हॉर्मोन डोपामिन का स्तर बहुत बढ़ा था. इस आधार पर आकर्षण वाले इस स्टेप में तीन हॉर्मोन एड्रेनैलिन, डोपामिन और सेरोटोनिन काम करते हैं.
एड्रेनैलिन: वैज्ञानिक मानते हैं कि प्यार की शुरुआत में हमारे काम करने के तरीके के साथ ही तनाव को मैनेज करने के तरीकों में भी बदलाव आता है. प्यार की शुरुआत में जब अपने पार्टनर को देखकर ही हमारे दिल की धड़कन बढ़ जाती है, मन में सुरसुरी सी छूटती है, हम खुश रहने लगते हैं, ये सब इस हॉर्मोन एड्रेनैलिन की वजह से ही होता है.
डोपामिन: यह हॉर्मोन सुख और उत्साह का केमिकल है. इसी हॉर्मोन के चलते भूख कम लगना, नींद कम आना, काम में खूब मन लगना और हर वक्त चेहरे पर एक मुस्कान रहती है.
सेरोटोनिन: यह हॉर्मोन जिम्मेदार है अपने पार्टनर की यादों में खोए रहने के लिए.ऐसा देखा गया है कि आदमियों में औरतों की तुलना में 65% कम सेरोटोनिन होता है, इसीलिए औरतें अपने प्रेमी की याद में आदमियों से ज्यादा व्याकुल रहती हैं.
जब एक कपल ऊपर लिखे दोनों स्टेप पार कर लेता है, तो उनके बीच लगाव बढ़ जाता है. अब उनका रिश्ता मजबूत हो चुका होता है और दोनों ही एक कमिटमेंट के लिए तैयार होते हैं. इस स्टेप में दो हॉर्मोन ख़ास रूप से काम करते हैं.
ऑक्सीटोसिन: इसे ‘कडल हॉर्मोन’ भी कहते हैं जो आदमी और औरत में ओर्गैज्म के दौरान एक जैसा रिलीज होता है. यह हॉर्मोन एक कपल के बीच के प्यार को और बढाता है. ऐसा माना जाता है कि सेक्स के दौरान रिलीज हुए इस हॉर्मोन से कपल एक दूसरे के साथ अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं.
वेसोप्रेसिन: एक लंबे चलने वाले रिश्ते के लिए यह हॉर्मोन बहुत जरूरी काम करता है. सेक्स के तुरंत बाद रिलीज हुआ यह हॉर्मोन कपल्स के मन में एक-दूसरे के प्रति चाहत को बढाता है. प्यार की इस फीलिंग को जितना सरलता से हम जीते हैं, असल में यह बहुत कॉम्प्लेक्स भावना है. बहुत से केमिकल, हमारे पुराने अनुभव और हमारी बहुत सी जरूरतें मिलकर हमें प्यार के लिए तैयार करती हैं.