-पीएमएस एसोसिएशन ने भेजा महानिदेशक को पत्र, आयु बढ़ाने के प्रस्ताव का किया विरोध
-शासन से आये प्रस्ताव के पीछे एक निदेशक की भूमिका सामने आ रही, पीएमएस की बैठक में गिनायीं प्रस्ताव की खूबियां
-केंद्रीय कार्यकारिणी और एनपीएस के अंतर्गत आने वाले चिकित्सकों के बीच दरार पड़ने की खबर
सेहत टाइम्स
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों की रिटायरमेंट की अधिवर्षता आयु 70 वर्ष किये जाने के प्रस्ताव पर चिकित्सकों में आपस में ही मतभेद उभर आये हैं। प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ जहां अधिवर्षता आयु बढ़ाने का विरोध कर रहा है, वहीं निदेशक स्तर के एक चिकित्सक, जिनके लिए कहा जा रहा है कि इस प्रस्ताव के पीछे वही हैं, प्रस्ताव की खूबियां गिनाते नहीं थक रहे हैं। इन सबके बीच नये चिकित्सक जो पेंशन योजना के तहत नहीं आते हैं उनका मानना है कि प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ उनके साथ भेदभाव का रवैया अपना रहा है। कुल मिलाकर चिकित्सकों में खेमेबाजी शुरू हो गयी है।
ज्ञात हो शासन के विशेष सचिव द्वारा 9 जनवरी को एक प्रस्ताव महानिदेशक के पास यह कहकर भेजा गया था कि यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त हुआ है, जिसमें मुख्य रूप से रिटायरमेंट की आयु 70 वर्ष करने की बात कही गयी है। स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत तैनात चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की आयु को चिकित्सा शिक्षा विभाग की तर्ज पर 70 वर्ष किये जाने के प्रस्ताव पर स्वास्थ्य महानिदेशक से राय मांगी गयी है। इसमें 60 वर्ष और 65 वर्ष की आयु पर दो बार विकल्प भी मांगने की बात शामिल है। पत्र में विशेषज्ञ चिकित्सकों से सम्बन्धित टिप्पणी एवं सुझावों का परीक्षण कराकर सुविचारित आख्या पक्ष या विपक्ष में देने को कहा गया है।
इस मुद्दे को लेकर पीएमएस एसोसिएशन ने एक पत्र महानिदेशक को लिखते हुए साथ ही प्रस्ताव पर अपने सुझाव भी भेजे हैं, इन सुझावों में सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा गया है कि चिकित्सकों की कमी के चलते रखे गये रिटायरमेंट की आयु बढ़ाने के सुझाव का विरोध देते हुए तर्क दिया गया है कि चिकित्सकों की कमी का मुख्य कारण प्रमोशन न होना है, क्योंकि जब प्रमोशन होगा तो नये चिकित्सकों की भर्ती की जा सकेगी।
संघ ने यह भी सुझाव दिया है कि जनसंख्या एवं चिकित्सालयों की संख्या एवं बढ़ी हुई क्रियाशीलता के सापेक्ष उचित संख्या में नवीन पदों का सृजन करना तथा 2020 में प्रख्यापित सेवा नियमावली से उत्पन्न विसंगतियों का निराकरण भी होना आवश्यक है।
इस बीच एक चिकित्साधिकारी ने इस सम्बन्ध में हुई बैठक का ब्यौरा अपने शब्दों में देते हुए जो बातें कही हैं, उससे संघ के अंदरखाने घमासान की बू आ रही है। इन चिकित्साधिकारी का कहना है कि मैं जो कुछ कहूंगा सत्य कहूंगा सत्य के सिवाय कुछ नहीं कहूंगा। 12 जनवरी को संघ के जिला लखनऊ शाखा की बैठक में जिला सचिव के आमंत्रण को स्वीकार करते हुए मैं उपस्थित हुआ।
चिकित्साधिकारी का कहना है कि इस बैठक में केंद्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारियों ने अपने आगे दूसरों को बोलने नहीं दिया गया। इन चिकित्साधिकारी ने कहा है कि बैठक में नई नियमावली या रिटायरमेंट एज बढ़ाने के विरोध की बात को कैसे आगे लेकर जाना है इस बारे में न कोई योजना और न कोई चर्चा दिखी। केवल विशुद्ध नेतागिरी वाले अंदाज में भाषण दिया गया।
इन चिकित्साधिकारी ने कहा है कि केंद्रीय कार्यकारिणी पीएमएस के किसी भी समस्या के प्रति जरा भी गंभीर नहीं दिखी। ऐसा लग रहा था कि वो सभी जूनियर और भविष्य में आने वाले डॉक्टरों की ओर ताक कर मुंह चिढ़ा रहे हों कि हमने तो अपना उल्लू सीधा कर लिया और तुम्हारा बेड़ा सदा के लिए गर्क कर दिया। यहां तक कि इन चिकित्साधिकारी ने एनपीएस वाले चिकित्सकों से यह भी आह्वान किया गया है कि अगर अपना भला चाहते हो तो चुपचाप अपने खुद के भले के लिए जी जान से लग जाओ। नए तरीके से नई ऊर्जा के साथ संघ की कमान अपने हाथ ले लो।
दूसरी ओर प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ, उत्तर प्रदेश की जनपदीय शाखा लखनऊ के सचिव डॉ जितेन्द्र तिवारी की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि जनपदीय शाखा की बैठक लखनऊ स्थित पीएमएस भवन, महानगर में आहूत की गई, जिसमें शाखा सचिव डॉ जितेंद्र तिवारी के साथ अन्य पदाधिकारीगण तथा लखनऊ शाखा के अन्य सदस्य चिकित्सक उपस्थित रहे। बैठक में शाखा के चिकित्सक सदस्यों ने बड़ी संख्या में प्रतिभाग किया और इसमें डॉ आनंद ओझा, डायरेक्टर सिविल हॉस्पिटल, डायरेक्टर ए के सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज अग्रवाल, प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष डॉ सचिन वैश्य, महा सचिव डॉ अमित सिंह, चिकित्सा अधीक्षक लोक बंधु डॉ एपी त्रिपाठी द्वारा नयी नियमावली के खिलाफ गहरा आक्रोश व्यक्त किया गया। डॉ जितेंद्र तिवारी ने कहा कि इस तरह का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और अगर यही स्थिति बनी रही तो हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। विज्ञप्ति में कहा गया है कि बैठक में मौजूद सभी लोगों ने लखनऊ शाखा के सचिव डॉ तिवारी को ध्वनिपूर्ण समर्थन दिया।