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लोहिया पार्क में मॉर्निंग वॉकर्स के बीच उनकी जांच कर मनाया सीओपीडी दिवस

-केजीएमयू के पल्‍मोनरी मेडिसिन विभाग ने आईएमए-आईएमएस के संयुक्‍त तत्‍वावधान में लोहिया पार्क में 132 लोगों की पीएफटी की

-केजीएमयू में आने वाले मरीजों को भी विभिन्‍न प्रकार की जानकरियों के जरिये जागरूक किया

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। विश्व सी.ओ.पी.डी. (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) दिवस के मौके पर केजीएमयू के पल्‍मोनरी मेडिसिन विभाग के डॉक्‍टरों की टीम आज पहुंच गयी गोमती नगर स्थित लोहिया पार्क, यहां रोजाना टहलने आने वाले लोगों में 132 लोगों का पीएफटी (पल्‍मोनरी फंक्‍शन टेस्‍ट) किया गया इनमें से 18 लोगों को समुचित उपचार के लिए केजीएमयू आने की सलाह दी गयी।

यह जानकारी विभागाध्‍यक्ष प्रो सूर्यकांत ने देते हुए बताया कि के.जी.एम.यू. के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग एवं यूपी चेप्टर इण्डियन चेस्ट सोसाइटी व आईएमए-आईएमएस के संयुक्त तत्वाधान में सी.ओ.पी.डी. शिविर व जागरूकता रैली का आयोजन लोहिया पार्क, गोमती नगर में संपन्न हुआ। इस पार्क में हमेशा की तरह आज भी बड़ी संख्या में बुजुर्ग व युवा मार्निग वॉक के लिए आये हुये थे। उनमें से 132 लोगों का पल्मोनरी फंगसन टेस्ट (पीएफटी- फेफडे़ की कार्य क्षमता की जांच का टेस्ट) किया गया। जिससे यह पता चला कि उसमें से 18 लोगों को सी.ओ.पी.डी के प्रारम्भिक लक्षण पाये गये और समुचित उपचार हेतु केजीएमयू में दिखाने के लिए कहा गया। वहां पर सभी उपस्थित लोगों को सी.ओ.पी.डी से बचने व उपचार की विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी।  

उन्‍होंने बताया कि जनमानस में सी.ओ.पी.डी की जानकारी के लिए जागरूकता रैली भी निकाली गयी। इस रैली में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के चिकित्सक डा0 अजय कुमार वर्मा और रेजिडेन्ट डाक्टर्स- डा0 अनिकेत कुमार रस्तोगी, डा0 अमित यादव, डा0 अरूण यादव उपस्थित रहे।

डॉ सूर्यकांत ने बताया कि इस वर्ष की विश्व सी.ओ.पी.डी. दिवस की थीम ’’स्वस्थ फेफड़े : इससे अधिक महत्वपूर्ण कभी नहीं है’’। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार सी.ओ.पी.डी. दुनिया भर में होने वाली बीमारियों से मौत का तीसरा प्रमुख कारण है। भारत सी.ओ.पी.डी. के प्रसार में दुनिया में सबसे आगे है, सी.ओ.पी.डी. के कारण होने वाली मौतो में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है और तेजी से आगे निकल रहा है।

इसके बाद आज के कार्यक्रमों की श्रृंखला में रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के रोगियों व तीमारदारों को सी.ओ.पी.डी. के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हुए विभागाध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त ने कहा कि सी.ओ.पी.डी. की बीमारी लम्बे समय तक धूल, धुआं व गर्दा के दुष्प्रभाव से होती है। इस बीमारी के लक्षण 30 वर्ष की उम्र के बाद प्रारम्भ होते हैं। सबसे पहला लक्षण सुबह -सुबह खांसी आना होता है। इसके बाद धीरे-धीरे सर्दी के मौसम में एवं फिर बाद में साल भर खांसी आती रहती है, तत्पश्चात बलगम भी आने लगता है। बीमारी बढ़ने पर रोगी की सांस भी फूलने लगती है। डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि सी.ओ.पी.डी. सिर्फ फेफडे़ की ही बीमारी नही है, बल्कि बीमारी की तीव्रता बढ़ने पर हृदय, गुर्दा व अन्य अंग भी प्रभावित हो जाते हैं। शरीर कमजोर हो जाता है, भूख कम लगती है तथा हड्डियां भी कमजोर हो जाती है। उन्होने कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों से धूम्रपान छोड़ने, वायु प्रदूषण से बचने व घर से बाहर निकलने पर मास्क जरूर लगाने की अपील की।

उन्‍होंने कहा कि हमारे देश में सी.ओ.पी.डी. के प्रमुख कारण धूम्रपान (बीड़ी, सिगरेट, चिलम, हुक्का), परोक्ष धूम्रपान, वाहन प्रदूषण, वायु प्रदूषण एवं लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाना आदि हैं। डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि सी.ओ.पी.डी. के बचाव के लिए धूम्रपान नहीं करना चाहिए, लकड़ी के चूल्हे के बजाय गैस के चूल्हे पर खाना बनाना चाहिए। इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से गरीब परिवारों के घरों में प्रदूषण कम हो रहा है जिससे भविष्य में महिलाओं में सी.ओ.पी.डी. के रोगियों में कमी आयेगी।

उन्‍होंने कहा कि वायु प्रदूषण से बचने के लिए मास्क, अंगौछा (गमछा), दुपट्टा की चार परत से नाक व मुँह ढ़के, भाफ लें तथा प्राणायाम करें। रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के ’’धूम्रपान निषेध क्लिनिक’’ की मदद लेकर धूम्रपान छोड़ने के लिए लोगों को प्रेरित किया और विभाग के मधुसूदन ज्ञान वाटिका में लगे बीमारियों से जुड़े लेखों को पढ़ने व उन पर आत्मसात करने के लिए कहा। ज्ञात रहें कि किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग अपना 75 वाँ स्थापना वर्ष (प्लेटिनम जुबली स्थापना वर्ष) मना रहा है। 75 वीं वर्षगॉठ में विभाग विभिन्न प्रकार के 75 आयोजन कर रहा है। इस अवसर पर विभाग के चिकित्सकगण डा0 आर.ए.एस कुशवाहा, डा0 संतोष कुमार, डा0 राजीव गर्ग, डा0 अजय कुमार वर्मा, डा0 आनन्द कुमार श्रीवास्तव, डा0 दर्शन कुमार बजाज, डा0 ज्योति बाजपेई, डा0 अंकित कुमार, सीनियर रेजिडेन्ट डाक्टर्स डा0 नवीन कुमार, डा0 सपना दीक्षित एवं विभाग के सभी सदस्य गण मौजूद रहे।

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