-चिप्स, बर्गर, पिज्जा, चाउमिन, केक, मोमो जैसे फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन बना रहा बीमार
-होम्योपैथिक दवा से तीन वर्षीय बच्ची के पित्त की थैली की पथरी हुई गायब, रिसर्च प्रकाशित

सेहत टाइम्स
लखनऊ। विश्व लिवर दिवस पर इस वर्ष की थीम है Food is medicine अर्थात भोजन दवा है। हमारा खानपान ऐसा होना चाहिये जो लिवर को खराब न करे, लेकिन मौजूदा स्थितियों में यह बिल्कुल उलटा है, हमारा खानपान आजकल खराब हो चुका है। विशेष रूप से बच्चों से लेकर युवाओं तक में कोल्ड ड्रिंक, फास्ट फूड का चलन बहुत बढ़ गया है। इसी का नतीजा है कि दस वर्ष से कम आयु के बच्चों में भी गॉल ब्लेडर में स्टोन की बीमारी का ग्राफ बढ़ रहा है। गूगल पर उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि हाल के वर्षों में बच्चों में पित्त की थैली में स्टोन पाये जाने के मामले 1.9 प्रतिशत से 4 प्रतिशत तक सामने आये हैं।
बच्चों में पित्त की थैली में पथरी के मामले बढ़ने का सत्य विश्व लिवर दिवस (19 अप्रैल) के मौके पर सेहत टाइम्स के साथ बातचीत में गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) के परामर्शदाता डॉ गौरांग गुप्ता ने भी उजागर किया। डॉ गुप्ता कहते हैं कि मेरा यह एक्सीपीरियेंस भी है कि पिछले कुछ सालों से 10 साल कम उम्र के बच्चों में गॉल ब्लेडर स्टोन की बीमारी होने लगी है।
डॉ गौरांग का कहना है कि चिप्स, बर्गर, पिज्जा, चाउमिन, केक, मोमो जैसी चीजें आज सिर्फ एक कॉल दूर हैं। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन फूड डिलीवरी की सुविधा के बेशक बहुत फायदे हैें, लेकिन जब इन सुविधाओं का इस्तेमाल गलत चीज के लिए किया जाता है तो यह सुविधा अखरने लगती है। उन्होंने कहा कि जब से घरों तक फूड डिलीवरी का चलन बढ़ा है तबसे इन चीजों इस्तेमाल भी बहुत बढ़ गया है। हर प्रकार के खाने के लिए आपको दुकान तक जाने की जरूरत नहीं है, बस फोन करने मात्र से वह चीज आपके घर पर आ जाती है। शहर के एक कोने में रहने के बावजूद अगर किसी दुकान विशेष की वह चीज आपको पसंद है तो अगली कुछ देर में वह चीज आपके हाथ में आ जाती है।


डॉ गौरांग ने बताया कि यही नहीं बहुत छोटे बच्चों में लिवर की दिक्कत की एक बड़ी वजह उसके गर्भ में पलने के दौरान मां के द्वारा जमकर फास्ट फूड का प्रयोग किया जाना है, इसलिए आवश्यक है कि गर्भावस्था में इन सभी चीजों से दूर रहा जाये। उन्होंने बताया कि गॉल ब्लेडर में स्टोन की बीमारी से ग्रस्त बहुत छोटे बच्चों के केसेज उनके क्लीनिक में भी आते रहते हैं।
चार माह में गायब हुई पित्त की थैली की पथरी
उन्होंने बताया कि ऐसे ही एक मामले में तीन वर्षीय बच्ची के पित्त की थैली में पथरी (paediatric cholelithiasis) को होम्योपैथिक दवाओं से मात्र चार माह में गलाने में सफलता मिली है। यह केस सेंट्रल काउन्सिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी (सीसीआरएच) द्वारा अपने प्रतिष्ठित जर्नल इंडियन जर्नल ऑफ़ रिसर्च इन होम्योपैथी Indian Journal of Research in Homoeopathy (IJRH) के वॉल्यूम 18 इशू 1 (2024 ) में प्रकाशित भी किया गया है, प्रकाशित रिसर्च का लिंक https://www.ijrh.org/journal/vol18/iss1/5/ डॉ गौरांग ने बताया कि तीन वर्षीय बच्ची को उसके माता-पिता हमारे क्लीनिक में पहली बार 27 मई 2022 को लाये थे। संजय गांधी पीजीआई में 17 मार्च 2022 को हुई जांच में पित्ताशय में एक से ज्यादा पथरी डायग्नोज हुई थीं। उन्होंने बताया कि गौरांग क्लीनिक पर आने के बाद उपचार की प्रक्रिया के तहत सर्वप्रथम बच्ची के लक्षणों, उसकी आदतों, उसके व्यवहार, उसकी पसंद-नापसंद के बारे में जानकारी ली गई, इस जानकारी के अनुरूप दवा का चुनाव कर उपचार प्रारम्भ किया गया। इसके पश्चात 27 सितंबर को जब बच्ची के पेट की अल्ट्रासोनोग्राफी कराई गई तो उसकी पथरी गायब हो चुकी थी। पित्ताशय का आकार भी सामान्य हो गया था।
