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केजीएमयू में स्थापित होगी बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट, कम खर्च में होगा प्रत्यारोपण

-आदित्य बिड़ला कैपिटल फाउंडेशन और कैनकिड्स किड्सकैन ने यूनिट स्थापना पर करार करके निभायी सामाजिक जिम्मेदारी

-राज्यपाल कुलाधिपति की उपस्थिति में राजभवन में केजीएमयू के साथ हुआ एमओयू हस्ताक्षरित

सेहत टाइम्स

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू में अत्याधुनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है, कुलाधिपति, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की उपस्थिति में आज राजभवन में केजीएमयू, आदित्य बिड़ला कैपिटल फाउंडेशन और कैनकिड्स किड्सकैन के बीच एक महत्वपूर्ण त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये। यह यूनिट सीएसआर निधि से पूरी तरह से वित्त पोषित होगी। यह यूनिट अन्य केंद्रों की तुलना में अधिक किफायती दर पर प्रत्यारोपण सेवाएं प्रदान करेगी, इससे न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि आसपास के राज्यों के सैकड़ों गरीब रक्त विकार रोगियों को भी सुलभ और किफायती उपचार प्राप्त होगा।

कुलाधिपति ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह कदम न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी के निर्वहन का उत्कृष्ट उदाहरण भी है। राज्यपाल ने संस्थाओं को बधाई देते हुए कहा इस एमओयू के पीछे एक पवित्र उद्देश्य है। किसी की जिंदगी बचाना एक बहुत ही पुण्य कार्य है। कैंसर से पीड़ित लोगों की मानसिक और आर्थिक स्थिति अत्यंत कठिन होती है, ऐसे में यह एमओयू उन लोगों के लिए वरदान साबित होगा। उन्होंने केजीएमयू के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि केजीएमयू न केवल चिकित्सीय सेवाओं में उत्कृष्टता प्राप्त कर रहा है बल्कि अनुसंधान कार्यों में भी अग्रणी है। इसके अलावा विश्वविद्यालय में बेटियों को सर्वाइकल कैंसर का निःशुल्क टीकाकरण भी किया जा रहा है, जो एक सराहनीय कदम है।

राज्यपाल ने विशेष रूप से महिलाओं में बढ़ते ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर की ओर ध्यान आकर्षित किया और कहा कि समाज को इस विषय में अधिक जागरूक किया जाना चाहिए। उन्होंने गुजरात का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां महिलाओं के कैंसर की जांच और इलाज मुफ्त में कराया जाता है। शुरुआत में महिलाएं संकोच करती थीं, परंतु जागरूकता के बाद उन्होंने जांच के साथ-साथ इलाज भी करवाया, जो आज भी जारी है। उन्होंने कहा कि जब हम मां को बचाएंगे, तभी बच्चे और परिवार बचेगा। एक मां अपने बच्चों के बारे में सोचती है, लेकिन बच्चे केवल अपने बारे में सोचते हैं। इसलिए, मां का इलाज सर्वप्रथम होना चाहिए।

राज्यपाल ने यह भी साझा किया कि जब वह विभिन्न विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों में जाती हैं, तो देखती हैं कि 80 प्रतिशत से अधिक पदक और डिग्रियाँ बेटियाँ प्राप्त करती हैं। परंतु जब उनकी शारीरिक स्थिति पर नजर डालती हैं तो वे कमजोर दिखती हैं, जो चिंताजनक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बेटियों को कैंसर की वैक्सीन अवश्य लगवानी चाहिए। अक्सर माता-पिता बेटियों की शादी में लाखों रुपये खर्च कर देते हैं, लेकिन जब उनके स्वास्थ्य की बात आती है, तो वे पीछे हट जाते हैं। उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन के माध्यम से पहले से ही रोकथाम करना आवश्यक है, क्योंकि जब बीमारी बढ़ जाती है, तो इलाज कठिन और महंगा हो जाता है।

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालयों ने पांच-पांच गांवों को गोद लिया है, जहां वैक्सीनेशन के कार्य किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय के शिक्षक गांवों में जाकर लोगों को बेटियों के टीकाकरण के लिए प्रेरित कर रहे हैं। राज्यपाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश राजभवन में रहने वाली बेटियों का भी कैम्प लगाकर टीकाकरण करवाया गया है, और अब प्राइवेट स्कूलों और कॉलेजों के बच्चों के लिए भी यही निर्देश दिए गए हैं।

इसके साथ ही, उन्होंने ग्रीन आर्मी की ग्रामीण महिलाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि ये महिलाएं, समाज में नशामुक्ति, बच्चों का स्कूल में दाखिला, और अमृत सरोवरों की खुदाई जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। इन महिलाओं के प्रयासों की सराहना करते हुए राज्यपाल ने उन्हें 1,000 साड़ियां प्रदान करने की बात कही, जिससे यह आर्मी और सशक्त हो सके और अपने कार्यों को बड़े स्तर पर आगे बढ़ा सके।

राज्यपाल ने राजभवन में किए गए नवाचारों की भी जानकारी दी और सभी को प्रेरित करते हुए कहा कि उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में भी ऐसे नवाचारों को अपनाना चाहिए। इस अवसर पर राज्यपाल ने सभी को ‘‘हमारा राजभवन‘‘ पुस्तक भी भेंट की, जो राजभवन के नवाचारों पर आधारित है।

इस अवसर पर केजीएमयू की कुलपति प्रो सोनिया नित्यानंद ने कहा कि राज्यपाल ने हमेशा विश्वविद्यालयों में सीएसआर निधि के तहत क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित किया है। उन्होंने बताया कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट रक्त कैंसर, अप्लास्टिक एनीमिया, थैलेसीमिया जैसे गंभीर रक्त विकारों के रोगियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण उपचार है। उत्तर प्रदेश में वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र में केवल संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआईएमएस) में एक बीएमटी कार्यक्रम संचालित है, उनके द्वारा वर्ष 1999 में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में उत्तर प्रदेश राज्य का पहला सफल बीएमटी किया गया था। यह उस समय देश में चौथा बीएमटी कार्यक्रम था। तत्पश्चात उन्होंने 2003 में एसजीपीजीआई में क्लिनिकल हेमेटोलॉजी और बीएमटी के एक नए विभाग की स्थापना की।

कुलपति ने बताया कि सरकारी संस्थानों में अंग और रक्त प्रत्यारोपण केंद्रों की कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने आदित्य बिड़ला कैपिटल फाउंडेशन से केजीएमयू में अत्याधुनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट के लिए 2.75 करोड़ रुपये की लागत से आवश्यक बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के लिए सीएसआर फंड के माध्यम से मांगा, जिस पर फाउंडेशन ने सहमति व्यक्त की। कैनकिड्स किड्सकैन, जो बचपन के कैंसर के उपचार के लिए समर्पित एक गैर सरकारी संगठन है, इस एमओयू का एक तकनीकी साझेदार है।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ0 सुधीर महादेव बोबडे, विशेष कार्याधिकारी शिक्षा डॉ पंकज एल जानी, निदेशक आदित्य बिरला कैपिटल फाउंडेशन लिमिटेड सुभ्रो भादुड़ी, उपाध्यक्ष कैनकिड्स किड्समैन मुकुल मरवाह व किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के चिकित्सकगण आदि उपस्थित रहे।

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