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तबादला नीति से खफा स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के चिकित्सकों-कर्मचारियों का बड़ा ऐलान

-नीति में शिथिलता न बरती तो चिकित्‍सा स्‍वास्‍थ्‍य महासंघ 2 जुलाई को घेरेगा महानिदेशालय

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। प्रोत्साहन राशि, मानव संसाधन की कमी, महंगाई भत्ता रोकने, कई भत्ते बंद करने, पदों का मानक निर्धारण, पदोन्नति जैसे मांगों को दिल में दबाये बैठे चिकित्सा कर्मियों का धैर्य विभाग की स्थानांतरण नीति को देखकर जवाब दे गया। एकस्‍वर से चिकित्‍सा स्‍वास्‍थ्‍य महासंघ ने स्थानांतरण नीति में शिथिलता की मांग उठाते हुए कहा है कि संभावित कोविड की तीसरी लहर को देखते शीघ्र फैसला नहीं लिया गया तो 2 जुलाई को महानिदेशालय का घेराव करने के साथ आगे कठोर निर्णय लेने पर मजबूर होना पड़ेगा।

यह जानकारी देते हुए चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रधान महासचिव अशोक कुमार ने कहा है कि गत दिवस 23 जून को महासंघ की बैठक पीएमएस भवन महानगर लखनऊ में संपन्न हुई। इसमें चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ से संबद्ध पीएमएस संवर्ग, नर्सिंग संवर्ग, फार्मेसी संवर्ग, ऑटोमेट्रीशन संवर्ग, एलटी संवर्ग, एक्स-रे संवर्ग, ईसीजी संवर्ग, इलेक्ट्रीशियन, डेंटल हाइजीनिस्ट एवं चतुर्थ श्रेणी संवर्ग के सभी संगठनों के निर्वाचित पदाधिकारियों की बैठक में यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि शासन के आदेश 21 जून 2021 व कार्मिक विभाग के शासनादेश 15 जून 2021 के अनुसार चिकित्सा स्वास्थ्य के अधिकारियों, कर्मचारियों के स्थानांतरण ऑनलाइन मेरिट बेस्‍ड प्रणाली के लिए किए जाने की अपेक्षा की गई है जबकि स्थानांतरण की मेरिट क्या होगी, मेरिट निर्धारण करने का क्या आधार होगा, इसके बारे में कुछ पता नहीं है, बैठक में कहा गया की मेरिट सिलेक्शन में होती है स्थानांतरण में मेरिट का औचित्य समझ से परे है।

बैठक में सदस्यों का कहना था कि स्वास्थ्य विभाग के सभी संवर्गों के अधिकारियों-कर्मचारियों ने कोविड-19 महामारी के मुश्किल समय में सरकार व शासन-प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए अपनी जान जोखिम में डालकर प्रदेश की जनता की पूरी तन्मयता से सेवा कर जान बचाने का कार्य किया है इसमें हमारे अनेक साथी शहीद भी हो गए हैं। इसके बदले कई प्रदेश की सरकारों ने इनाम स्वरूप प्रोत्साहन राशि दी, जबकि हमें दी जा रही है स्थानांतरण नीति।

महासंघ ने रोष व्यक्त करते हुए सर्वसम्‍मति से निर्णय लिया है कि चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्‍सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा शासन एवं प्रशासन ने कोई भी ऐसा कार्य नहीं किया जिससे अधिकारियों एवं कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाया जाता। महासंघ का कहना है कि कोविड-19 की महामारी में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कमी प्रदेश सरकार व प्रदेश की जनता ने बखूबी महसूस की है जबकि पूरे उत्तर प्रदेश में सभी संवर्ग के कई हजार पद रिक्त पड़े हैं। बैठक में कहा गया कि इतने कम मानव संसाधन में अधिकारियों व कर्मचारियों ने जो सेवा की है उसके बदले सरकार द्वारा न तो 25 प्रतिशत प्रोत्‍साहन राशि दी गई और न ही रिक्त पदों पर भर्ती कर मानव संसाधन की कमी दूर की गई। यही नहीं कोविड-19 महामारी के दौरान जनवरी 2020 से जुलाई 2021 तक महंगाई भत्ता फ्रीज कर दिया गया, अधिकारियों-कर्मचारियों के कई भत्ते बंद कर दिए गए।

पदाधिकारियों का कहना था कि चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से विभाग में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं बड़े चिकित्सालयों में किसी भी संवर्ग के पदों का मानक निर्धारण आज तक नहीं किया गया है। सभी संवर्गों में रिक्त पदों पर पदोन्नति भी नहीं की गई, हजारों पद आज भी खाली हैं। अशोक कुमार ने बताया कि महासंघ की यह मांग है कि उत्तर प्रदेश सरकार व शासन प्रशासन कोरोना महामारी की तीसरी लहर की संभावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए अविलंब निर्णय लेते हुए वर्तमान स्थानांतरण सत्र की स्थानांतरण नीति में आंशिक शिथिलता बरते। उन्‍होंने बताया कि शासन से अनुरोध किया गया है कि सामान्य स्थानांतरण के स्थान पर यथोचित व्यक्तिगत अनुरोध व पदोन्नति पर वांछित समायोजन के लिए यथासंभव वर्तमान तैनाती जनपद/मंडल के अंदर ही पद की उपलब्धता के अनुसार ही स्थानांतरण किए जाने के आदेश किया जाये जिससे अधिकारी/कर्मचारी कम से कम प्रभावित हों और पूरे मनोयोग से जनता की सेवा करते रहें।