-संजय गांधी पीजीआई के एनेस्थिसियोलॉजी विभाग ने मनाया 37वां स्थापना दिवस
-विभाग के अनेक सदस्यों को उत्कृष्ट कार्य करने के लिए किया गया सम्मानित
सेहत टाइम्स
लखनऊ। मरीज की सर्जरी में एनेस्थीसियोलॉजिस्ट यानी बेहोशी के डॉक्टर की अहम भूमिका होती है, ऑपरेशन टेबल पर मरीज को उसकी सर्जरी में लगने वाले समय के अनुरूप सर्जरी वाले अंग के आसपास की जगह या जनरल एनेस्थीसिया प्रक्रिया को प्लान किया जाता है, पूरे शरीर की मसल्स को संज्ञाशून्य करने के बाद वापस उसे होश में लाने की बड़ी जिम्मेदारी निभाने का काम एनेस्थीसियोलॉजिस्ट ही करता है, इसलिए यह आवश्यक है कि प्री एनेस्थीसिया चेकअप (पीएसी) में होने वाली काउंसिलिंग के समय मरीज को क्या-क्या बीमारियां हैं, वह कौन सी दवा खा रहा है, इसकी पूरी जानकारी एनेस्थीसियोलॉजिस्ट को अवश्य दें। एनेस्थीसियोलॉजिस्ट आपके प्रभावित अंग के साथ ही आपके पैरामीटर्स को इस लायक बनायेगा कि आपकी सुरक्षित सर्जरी हो सके।
यह बात संजय गांधी पीजीआई के एनेस्थिसियोलॉजी विभाग के 37वें स्थापना दिवस के मौके पर विभागाध्यक्ष प्रो प्रभात तिवारी ने पत्रकारों से बातचीत में कही। उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा होता है जब मरीज सर्जरी के बाद अगर जगता नहीं है, तो कहा जाता है कि एनेस्थीसिया ज्यादा हो गया था, इस विषय में आपको बता दूं कि ऐसा नहीं है, एनेस्थीसिया कोई ड्रग या ऐसी चीज नहीं है, एनेस्थीसिया एक प्रक्रिया है जिसमें कई प्रकार की दवाओं और अन्य चीजों का इस्तेमाल होता है।
विभाग ने अपना 37वां स्थापना दिवस विभाग के प्रो. सोमा कौशिक सभागार में मनाया। प्रोफेसर प्रवीण कुमार नीमा, प्रमुख, कार्डियक एनेस्थीसिया विभाग, अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, कोच्चि को इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। इस मौके पर प्रोफेसर नीमा ने एनेस्थीसिया प्रथाओं के विकास पर प्रो सोमा कौशिक व्याख्यान प्रस्तुत किया।
इस कार्यक्रम में स्नातकोत्तर छात्रों और प्रतिनिधियों के लिए प्रख्यात संकायों द्वारा सीएमई व्याख्यान भी शामिल थे। प्रोफेसर सुजीत कुमार सिंह गौतम ने एनेस्थिसियोलॉजी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. तापस सिंह ने गहन देखभाल और एनेस्थीसिया के रोगियों में नैतिक मुद्दों पर चर्चा की। प्रो.पुनीत गोयल ने प्रतिभागियों को एनेस्थिसियोलॉजी के क्षेत्र में नई अंतर्दृष्टि देने के लिए एनेस्थिसियोलॉजी के भविष्य के बारे में बात की। डॉ चेतना शमशेरी ने डॉक्टरों के लिए कार्य -जीवन संतुलन के महत्व के बारे में बात की।
इस कार्यक्रम में इस कार्यक्रम में कार्यवाहक निदेशक प्रो. शुभा आर फड़के, डीन प्रो. शालीन कुमार के साथ ही लगभग 200 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान विभाग से जुड़े कई सदस्यों को वर्ष 2024 के लिए उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इलेक्टिव सर्जरी के लिए 35 ओटी हैं, चूंकि संस्थान एक रेफरल सेंटर है, इसलिए यहां ज्यादातर केस जटिल सर्जरी के ही आते हैं, जिनमें एक-एक केस में बहुत समय लग जाता है, ऐसे में कहा जा सकता है कि एक ओटी में प्रतिदिन दो सर्जरी होती हैं। इनके अतिरिक्त इमरजेंसी में आने वाले केसेज की सर्जरी 24 घंटे होती हैं।
सर्वश्रेष्ठ संकाय: डॉ. सुरुचि, सर्वश्रेष्ठ जूनियर रेजिडेंट III: डॉ. एस्थर ओवक, सर्वश्रेष्ठ कार्यालय कर्मचारी: सुरेश पाल, सर्वश्रेष्ठ कार्यालय कर्मचारी (आउटसोर्स): मीनू सिंह, सर्वश्रेष्ठ नर्सिंग अधिकारी: मीना, सर्वश्रेष्ठ नर्सिंग अधिकारी (आउटसोर्स्ड): विमल कुमार, सर्वश्रेष्ठ तकनीकी अधिकारी: लल्लन गुप्ता, सर्वश्रेष्ठ तकनीकी अधिकारी (आउटसोर्स्ड): अखिलेश कुमार, सर्वश्रेष्ठ कार्यालय सहायक: राम किशुन, ड्राइंग और कला के लिए प्रशंसा प्रमाण पत्र, डॉ. रुमित भगत को दिया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संदीप खूबा ने किया तथा पुरस्कार वितरण डॉ. दिव्या श्रीवास्तव, डॉ. रुचि वर्मा, डॉ. सुरुचि, डॉ. दिव्या अरोड़ा, राजीव सक्सेना और विभाग के रेजिडेंट्स चिकित्सकों द्वारा किया गया।