एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन से घटती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
लखनऊ। क्या आप जानते हैं कि जरा-जरा सी परेशानी में एंटीबायोटिक लेना कितना खतरनाक है? इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है, लोग जल्दी-जल्दी रोग की चपेट में आने लगते हैं।
यह कहना है पूर्व राष्ट्रपति डॉ राजेद्र प्रसाद के प्रपौत्र डॉ अशोक जाह्नवी प्रसाद का। आपको बता दें कि डॉ अशोक विश्व के हजार वैज्ञानिकों में से एक तथा देश के सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों में से एक हैं। उनका कहना है कि मरीज हल्की खांसी और बुखार होने पर डॉक्टर को एंटीबॉयोटिक दवाएं लिखने की सलाह देता है। इसमें मरीज के साथ डॉक्टर भी दोषी है। उनका कहना है कि छोटी-छोटी दिक़्क़तों को बर्दाश्त भी करना चाहिए जिससे शरीर की इम्युनिटी बनी रहे। डॉ अशोक यहां कनेक्ट लखनऊ संस्था द्वारा आयोजित किए गए सम्मान समारोह में भाग लेने आये थे।
डॉ अशोक प्रसाद ने कहा कि देश की स्वास्थ्य व्यवस्था बहुत खराब है। यहां लोग बड़ी-बड़ी स्वास्थ्य संस्थाएं बनाने की बात करते हैं लेकिन प्राथमिक चिकित्सा की बात कोई नहीं करता है। जबकि महत्वपूर्ण यह है कि अगर थोड़ी तबियत खराब है तो हल्की दवा से ही ठीक हो जाएगी, ऐसे में क्या जरूरत है कि सीधे स्पेशलिस्ट के पास पहुंचा जाए।
उन्होंने बताया कि दरअसल होता यह है कि जब आप स्पेशलिस्ट के पास पहुंचते हैं तो वह सीधे स्पेशल यानी तेज दवायें देता है नतीजा यह होता है कि आपका शरीर तेज दवाओं के लिए इम्मयून हो जाता है, और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। डॉ अशोक ने बताया कि विश्व में क्यूबा, नार्वे, स्वीडन समेत कई ऐसे देश हैं जहां की स्वास्थ्य व्यवस्था नंबर एक पर है। वहां के लोग प्राथमिक चिकित्सा पर अधिक जोर देते हैं।
उन्होंने बताया कि प्राथमिक इलाज न मिलने से कई गर्भवती महिलाओं की मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है। उन्होंने मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को सलाह देते हुए कहा कि डॉक्टर अपने विद्यार्थियों को कम एंटीबॉयोटिक दवाएं देने की नसीहत दें।
डॉ अशोक का मानना है कि देश में मानसिक रोगियों के लिए चिकित्सा व्यवस्था बेहद खराब है। यहां मानसिक मरीजों के साथ लोग खराब व्यवहार करते हैं। इससे मरीजों की बीमारी ठीक होने के बजाय और बिगड़ जाती है। इसलिए देश में मानसिक रोगियों के लिए अलग से कानून बनना चाहिये।
कार्यक्रम में डॉक्टर अशोक और लखनऊ मेट्रो रेलवे कॉर्पोरेशन के एमडी कुमार केशव को सम्मानित भी किया गया।