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एसजीपीजीआई में कटे अंग की प्रत्‍यारोपण सर्जरी उपलब्‍ध, बच्‍चे की कटी उंगलियां जोड़ीं

-प्‍लास्टिक सर्जरी विभाग में 9 वर्षीय बच्‍चे का सात घंटे चला ऑपरेशन

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई में दुर्घटनावश कटी उंगली या हाथ के प्रत्यारोपण की सर्जरी उपलब्ध है।

यह जानकारी देते हुए संस्थान के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के हेड डॉ राजीव अग्रवाल ने बताया कि सुल्तानपुर के रहने वाले 9 वर्षीय श्लोक यादव की चारा काटने की मशीन से कटी दो उंगलियों को सफलतापूर्वक जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि श्लोक अपने घर पर लगी चारा काटने की मशीन के पास बैठा था तभी उसका हाथ चारा काटने वाली मशीन में आ गया और उसकी दो उंगलियां कट के अलग गिर पड़ीं। इसके बाद बच्चे के परिजन उसे लेकर तुरंत ही एसजीपीजीआई के ट्रॉमा सेंटर में सुबह 10 बजे पहुंचे। उन्होंने बताया कि तुरंत ही पूरी टीम को अलर्ट किया गया और बच्चे को उंगली प्रत्यारोपण सर्जरी की तैयारी शुरू कर दी गयी।

उन्होंने बताया कि यहां यह ध्यान देने की बात है कि बच्चे की उंगली कटते ही उसके घर वालों ने बिना समय गंवाए सीधे ऐसे अस्पताल की ओर रुख किया जहां प्रत्यारोपण की सुविधा मौजूद थी। उन्होंने बताया कि उंगली या हाथ कट जाने पर कटे हुए अंग को एक प्लास्टिक की थैली में रखना चाहिए तथा इसके बाद एक दूसरी प्लास्टिक की थैली में बर्फ रखकर कटे हुए अंग वाले पॉलिथीन को इस बर्फ वाली थैली में रख लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह ध्यान रहे कि कटे हुए अंग को सीधे बर्फ के सम्‍पर्क में नहीं रखना है।

उंगली प्रत्यारोपण के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इसे जोड़ने के लिए सबसे पहले हड्डी को के वायर K wire से जोड़ा जाता है, इसके बाद उंगली की धमनी Artery को जोड़ते हैं जिससे उंगली में रक्त का संचार हो जाए, इसके बाद उंगली की शिरा vein को जोड़ा जाता है तथा इसके बाद नस nerve को जोड़ा जाता है, इसके पश्चात कंडरा Tendons को जोड़ा जाता है और सबसे आखिर में त्वचा skin को जोड़ा जाता है। उन्होंने बताया प्रत्यारोपण एक जटिल प्रक्रिया है इसे करने में 8 से 12 घंटे लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि उंगली के प्रत्यारोपण में अत्यंत सूक्ष्‍म एवं पतली धमनियों को माइक्रोवस्कुलर सर्जरी की तकनीक से जोड़ा जाता है। इन धमनियों को जोड़ने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है।

उन्होंने बताया की ऑपरेशन करने वाली टीम में प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ राजीव अग्रवाल, डॉ भारती, डॉ निखिलेश, रेजिडेंट डॉ भूपेश व डॉ गौतम के साथ ही सिस्टर प्रतिभा एवं अमृता शामिल रहीं वहीं निश्‍चेतना विभाग की डॉ आरती अग्रवाल, डॉ सुमित, रेजिडेंट डॉ दिव्या व डॉ नूपुर शामिल रहीं।

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