-सम्मिलत प्रयासों से ही हो सकेगा वर्ष 2025 तक भारत से टीबी उन्मूलन
-रेस्पेरेटरी मेडिसिन, पीडियाट्रिक व कम्युनिटी मेडिसिन विभाग ने गोद ले रखा है बच्चों को : डॉ सूर्यकान्त

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। केजीएमयू के कुलपति ले.ज. (रिटायर्ड) डॉ बिपिन पुरी ने कहा है कि वर्ष 2025 तक भारत से टीबी उन्मूलन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हम सभी को सम्मिलित प्रयास करने की आवश्यकता है। सरकारी स्तर पर किये जा रहे इसके उन्मूलन के प्रयासों के तहत जहां इसकी दवाएं मुफ्त उपलब्ध करायी जाती हैं, वहीं टीबी के मरीज की हेल्थ रिकवरी के लिए उसके खानपान को बेहतर करने के लिए इलाज के दौरान 500 रुपये प्रतिमाह मरीज के खाते में सीधे दिये जाते हैं। ये सारे लाभ मरीज तक मिल सकें इसके लिए मरीज का नोटीफिकेशन किया जाना आवश्यक है, उन्होंने संस्थान के सभी विभागों से अपील की कि यदि उनके विभाग में टीबी का कोई मरीज पहुंचे तो उसका नोटीफिकेशन अवश्य करायें ताकि पोषण के लिए उसे सरकार की ओर से दी जाने वाली प्रतिमाह मदद उसके खाते में पहुंच सके।
कुलपति ने यह अपील बुधवार को राष्ट्रीय टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम के लिए कार्यरत कोर कमेटी की वर्चुअल मीटिंग में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होते हुए कही। इस अवसर पर डॉ पुरी ने अपने व्याख्यान में टी.बी.स्टाफ की ट्रेनिंग और शोध पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि केजीएमयू के सभी डिपार्टमेंट और डेंटल विभाग को भी राष्ट्रीय टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम में जोड़ना चाहिए और टी.बी. रोगियों को गोद लेना चाहिए।
इस अवसर पर रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश स्टेट टास्क फोर्स (टीबी उन्मूलन) के चेयरमैन डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि पूरे उत्तर प्रदेश में 53 मेडिकल कॉलेज एनटीईपी से जुड़े हैं जो टी.बी. उन्मूलन के लिए टी.बी. रोगियों के उपचार, शोध, शिक्षण एवं प्रशिक्षण के लिए कार्यरत हैं। डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गयी ’’निक्षय पोषण योजना’’ के अंतर्गत 225 करोड़ रुपए टी.बी. से ग्रसित रोगियों को इस योजना के तहत उनके खातों में स्थानांतरित किये गये हैं। केजीएमयू ने टी.बी. ग्रसित बच्चों को गोद लिया है। 52 बच्चे रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग द्वारा गोद लिए गए हैं तथा पीडियाट्रिक एवं कम्युनिटी मेडिसिन विभाग ने भी बच्चों को गोद लिया है। टी.बी.ग्रसित बच्चों को कई स्वयंसेवी संस्थानों द्वारा भी रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के प्रयास से गोद लिया है। उत्तर प्रदेश में एमडीआर टी.बी. के इलाज के लिए 22 केंद्र हैं इन केंद्रों को प्रशिक्षित करने का काम भी केजीएमयू का रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग करता है। उत्तर प्रदेश में डिफिकल्ट टू ट्रीट टी.बी. क्लीनिक अर्थात कठिन टी.बी.का इलाज कैसे करें, योजना भी शुरू की गई है। इसमें प्रदेश एवं देश के राष्ट्रीय स्तर के टी.बी. एक्सपर्ट होते हैं तथा अपनी राय देते हैं इसमें टी.बी. के इलाज में क्या कठिनाइयां आ रही हैं, उसका हल भी बताते हैं।
इस अवसर पर केजीएमयू के एनटीईपी के नोडल ऑफिसर डॉ दर्शन कुमार बजाज ने टी.बी. के नवीनतम उपचार पर एक व्याख्यान दिया। कार्यक्रम में रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के डॉ अजय कुमार वर्मा, डॉ आनंद श्रीवास्तव, डॉ ज्योति बाजपेई, डॉ अंकित कुमार, रेजिडेंट डॉक्टरों एवं डॉट्स स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन डा0 ज्योति बाजपेई ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डा0 अजय कुमार वर्मा ने किया।

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