अच्छा होता इस मौके पर इस विधि को लेकर एमओयू साइन हुआ होता
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय में बुधवार को मस्तिष्क आघात पर आयोजित व्याख्यान में ब्रेन स्ट्रोक से प्रभावित अंगों को दोबारा क्रियाशील बनाने के लिए डॉ राजुल वसा द्वारा बतायी गयी विधि से किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय को क्या लाभ मिला यह स्पष्ट नहीं हो रहा है।
जहां तक डॉ राजुल की बात है तो उन्हें तो केजीएमयू जैसा प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म मिला जहां वह अपने ‘प्रोडक्ट’ के बारे में बता गयीं। लेकिन बेहतर होता कि आम मरीजों का ठिकाना केजीएमयू को इस विधि को सिखाने जैसी बात को लेकर कोई करार होता, तो बेहतर था। ताकि इसका लाभ सरकारी स्तर पर सरकारी रेट पर आम मरीजों को पहुंचता। हालांकि इस बारे में जानकारी करने पर मेमोरेन्डम ऑफ अंडरस्टैन्डिंग एमओयू का कार्य देखने वाले डॉ एके त्रिपाठी ने इतना जरूर कहा कि डॉ राजुल से इस सम्बन्ध में प्रस्ताव मांगा गया है। अब उस प्रस्ताव में क्या होगा, इसमें डॉ राजुल केजीएमयू की क्या मदद करती हैं, और सबसे बड़ी बात उसका लाभ आम मरीज तक कैसे पहुंचता है, यह सब अभी अनिश्चित है। बेहतर होता कि इस मसले पर पहले से ही बात की गयी होती और व्याख्यान के आयोजन के मौके पर ही एक एमओयू साइन हो जाता।
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