राजुल वसा फाउन्डेशन ने विकसित की विशेष व्यायाम थैरेपी
लखनऊ। मस्तिष्क में स्ट्रोक होने की स्थिति में जब मनुष्य पैरालिसिस का शिकार हो जाता है और उसके शरीर का एक तरफ का हिस्सा बेकार हो जाता है, यानी क्रियाशील नहीं रहता है, इस स्थिति से उबारने में एक्सरसाइज यानी व्यायाम का बहुत महत्व होता है। मुम्बई स्थित राजुल वसा फाउन्डेशन की फाउंडर डॉ राजुल वसा ने दावा किया कि उनके फाउंडेशन के डेवलप किये हुए तरह-तरह के व्यायामों से पैरालिसिस के मरीजों में फिर से क्रियाशीलता पैदा किये जाने में सफलता प्राप्त की गयी है।
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ब्राउन हॉल में बुधवार को आयोजित एक व्याख्यान में एप्लाइड मोटर कंट्रोल की वैज्ञानिक डॉ राजुल वसा ने बताया कि किस तरह उन्होंने लीक से हटकर अपनी विकसित उपचार प्रणाली से मस्तिष्क आघात के मरीजों के पुनर्वास में अपना योगदान दिया है। उन्होंने बताया कि फिलहाल विश्व में सामायिक स्नायु विज्ञान का विश्वास है कि क्षतिग्रस्त मस्तिष्क का आरोग्य लाभ कठिन है। उनका कहना है कि जब स्नायु तंत्र काम नहीं करता या कमजोर पड़ जाता है तो उसे दोबारा एक्टिव करने के लिए उससे और काम लिये जाने की जरूरत है, यही काम तरह के व्यायाम से कराया जाता है।
इस मौके पर राजुल वसा फाउन्डेशन की सीओओ अर्पिता राय ने कहा कि डॉ राजुल ने स्नायुविक विज्ञान में मस्तिष्क मृत्यु की धारणा को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया है और वसा अवधारणा की आधारशिला रखी, जिसे वसा अवधारणा एक सीधी बातचीत है। मस्तिष्क, शरीर और बाहरी वातावरण के बीच जो कि पूरे मसकोलो स्कैल्टन सिस्टम (muscolo skeleton system) को सिखाती है कि कितना मोटर ओवरफ्लो बढ़ाया जाए कि खोई हुई सेन्सरी मोटर को पुनः प्राप्त किया जा सके।
इस अवसर पर डॉ विनीता दास, अधिष्ठाता चिकित्सा संकाय, ने डॉ राजुल वसा को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया और ऐसे कार्यक्रम को केजीएमयू में आयोजित किए जाने की सराहना की। कार्यक्रम का संचालन पेरियोडोंटोलॉजी विभाग की डॉ रामेश्वरी सिंघल ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से हीमोटोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एके त्रिपाठी, न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ आरके गर्ग सहित तमाम चिकित्सक एवं भारी संख्या में मेडिकल व नर्सिंग के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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